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मुगल राजदरबार में अकबर ने शुरू कराया था होली का जश्न, औरंगजेब ने लगा दिया था प्रतिबंध

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Holi of Mughal Period :“कान्हा पिचकारी रसिया गुलाल बरसै, गोपिन के संग स्पोर्ट्सें रसखान पिचकारी।” यह पंक्तियां हैं प्रसिद्ध कवि रसखान की, जो अकबर के समकालीन थे. रसखान इस्लाम धर्म को मानने वाले थे, लेकिन उन्होंने कविताएं कृष्ण की भक्ति में लिखीं. यह उदाहरण है उस वक्त के समाज की जिसमें हिंदू–मुसलमान एक साथ आ रहे थे और होली का त्योहार मनाया जा रहा था. मुगल बादशाहों में अकबर एक ऐसे राजा थे जिन्होंने हिंदुओं के प्रति थोड़ी रहमदिली की और उनके पर्व–त्योहारों को भी महत्व दिया. अकबर की सबसे प्रमुख रानी का दर्जा पाने वाले जोधाबाई के साथ बादशाह अकबर के होली स्पोर्ट्सने की कहानियां बहुत प्रचलित हैं.

अकबर के दरबार में होली

Holi of Mughals
अकबर और जोधाबाई की होली

मुगल शासकों में अकबर सबसे सहिष्णु शासक थे और उनके बारे में अबुल फजल ने आइने अकबरी में लिखा है कि अकबर के दरबार में होली मनाई जाती थी. वे अपनी रानियों के साथ भी हरम में होली स्पोर्ट्सते थे, जिनमें जोधाबाई का नाम सबसे पहले आता है. होली के अवसर पर राजदरबार में उत्सव होता था और अकबर महल से बाहर आकर आम लोगों के साथ भी होली स्पोर्ट्सते थे. 

इतिहासकार इरफान हबीब भी मुगल काल की होली का वर्णन करते हैं वे लिखते हैं कि अकबर ने ‘सुलेह-ए-कुल’ यानी सर्वधर्म समभाव की नीति को अपनाया और सभी धर्मों के त्योहारों में भाग लिया. होली के मौके पर राजदरबार में गुलाल से होली स्पोर्ट्सी जाती थी, नृत्य– संगीत और काव्यपाठ का आयोजन किया जाता था. 

जहांगीर ने भी होली को दिया बढ़ावा

जहांगीर एक हिंदू मां के बेटे थे और उन्होंने भी अपने समय में अपने राजदरबार में होली जैसे त्योहार को खूब प्रोत्साहित किया. इतिहासकार बताते हैं कि जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में होली के त्योहार का जिक्र किया है. उनकी प्रिय रानी नूरजहां भी होली के त्योहार में शिरकत करती थीं, जबकि वे मुस्लिम थीं. जहांगीर के काल के जो पेंटिंग्स उपलब्ध हैं उनमें भी जहांगीर को होली स्पोर्ट्सते हुए दिखाया गया है, जो यह साबित करता है कि जहांगीर हिंदू त्योहारों के प्रति प्रेम रखते थे. उनकी कई रानियां भी हिंदू थीं, जिनके साथ हरम में होली होती थी.

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शाहजहां के काल में होली बनी ईद –ए–गुलाबी

मुगल बादशाह शाहजहां ने भी होली के त्योहार को उत्सव की तरह मनाया. उनके शासनकाल के दौरान राजदरबार में होली का उत्सव ईद–ए–गुलाबी के नाम से जाना जाता था. इस त्योहार को राजदरबार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग साथ मनाते थे. अब्दुल हामिद लाहौरी की किताब पादशाहनामा और शाहजहांनामा दोनों में ही इस बात का उल्लेख मिलता है कि शाहजहां के शासनकाल में होली मनाई जाती थी. मुगल काल की कलाकृतियों में भी होली का जिक्र मिलता है और शाहजहां द्वारा आयोजित किए जाने उत्सवों का वर्णन मिलता है.

Holi in Mughal Period
होली बनी ईद –ए–गुलाबी

विदेशी लेखकों ने भी किया मुगल काल की होली का जिक्र

फ्रांसीसी चिकित्सक और यात्री François Bernier ने अपनी पुस्तक Travels in the Mughal Empire में मुगल दरबार की होली का जिक्र किया है और बताया है कि किस तरह उस वक्त होली स्पोर्ट्सी जाती थी. निकोलाओ मनुची ने भी मुगल कालीन समाज और परंपराओं का जिक्र करते हुए होली का वर्णन किया है. 

औरंगजेब ने हिंदू त्योहारों पर लगाया प्रतिबंध

मुगल शासकों में औरंगजेब एक ऐसा शासक था, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि उसने हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया और हिंदुओं पर अत्याचार किया. कई इतिहासकार यह मानते हैं कि औरंगजेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किया उनपर जजिया कर दोबारा से लगाया, जिसे अकबर ने बंद करा दिया था. इतिहासकार यदुनाथ प्रशासन और सतीश चंद्र ने इस बात का उल्लेख अपनी किताबों में किया है. औरंगजेब के हिंदू राजाओं के साथ भी अच्छे संबंध नहीं थे, जिसकी वजह हिंदुओं पर अत्याचार ही था. औरंगजेब के शासनकाल में राजदरबार में होली मनाई जाती हो, इसका कोई प्रमाण भी ना मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि उसने इस त्योहार पर प्रतिबंध लगाया.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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