Muzaffarpur News: जिले की मशहूर लहठी अब उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा नेपाल और दिल्ली में पसंद की जा रही है. सकरा का केशोपुर पंचायत इन दिनों लहठी निर्माण का हब बन गया है. बाहर से यहां की बनी लहठी की डिमांड इतनी अधिक है कि यहां के कारीगर उसकी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. यहां एमएसएमइ द्वारा वित्त प्रदत्त और राष्ट्रीय हस्तशिल्प और हथकरघा बोर्ड द्वारा संचालित लाह कलस्टर से जुड़ कर 829 कारीगर लहठी बना रहे हैं. लाह कलस्टर में 50 कारीगर लहठी बनाते हैं तो अन्य यहां से रॉ मैटेरियल लेकर घर में लहठी निर्माण करते हैं और उसे लाह कलस्टर को सौंप देते हैं. इन कारीगरों को यहां से कीमत मिल जाती है. इस वर्ष जनवरी में इस कलस्टर से 16 हजार दर्जन लहठी की आपूर्ति की गयी है. बाहर के कई बड़े कारोबारी यहां से लहठी खरीद कर दूसरे राज्यों में भेजते हैं. लाह कलस्टर अपने कारीगरों को दूसरे राज्यों में लगने वाले मेले में भी स्टॉल लगाने के लिए भेजता है. इससे कारीगरों की अच्छी कमायी होती है.
स्त्रीओं को दिया जा रहा निशुल्क ट्रेनिंग
लाह कलस्टर में स्त्रीओं को लहठी बनाने का निशुल्क ट्रेनिंग भी दिया जा रहा है. इससे यहां लहठी निर्माण में काफी तेजी आयी है. लाह कलस्टर के प्रोग्राम मैनेजर शशांक शाही ने बताया कि वर्ष 2022 में लाह कलस्टर की शुरुआत की गयी थी. दो वर्षों के दौरान ही यहां की बनी लहठी की मांग काफी होने लगी. यहां रॉ मैटेरियल बैंक भी बनाया गया है, जिससे कारीगरों को सामग्री लेने के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होती. सकरा के विभिन्न पंचायतों में अब लहठी बनाया जा रहा है. जिससे यहां की स्त्रीओं को रोजगार मिला है. पर्व-त्योहार के समय यहां से लहठी की मांग काफी हो जाती है. हमलोग स्त्रीओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो और मांग के अनुसार लहठी की आपूर्ति हो सके.
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