Justice Nirmal Yadav: रिटायर्ड जस्टिस निर्मल यादव को 17 साल पुराने केस में सीबीआई की कोर्ट से बड़ी राहत मिली. उन्हें और चार अन्य को कोर्ट ने बरी कर दिया. 13 अगस्त 2008 को हाई कोर्ट की एक अन्य कार्यरत जस्टिस न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के आवास पर कथित रूप से 15 लाख रुपये से भरा एक पैकेट गलत तरीके से पहुंचा दिया गया था. आरोप लगाया गया था कि यह नकदी जस्टिस निर्मल यादव को एक संपत्ति सौदे को प्रभावित करने के लिए रिश्वत के रूप में दी जानी थी. विशेष सीबीआई जस्टिस अलका मलिक के कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाया.
मामले में 5 आरोपी थे, जिसमें एक की पहले ही हो चुकी है मौत
बचाव पक्ष के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने बताया, “कोर्ट ने पूर्व जस्टिस निर्मल यादव और चार अन्य को बरी कर दिया है. मामले में कुल पांच आरोपी थे, जिनमें से एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई. वकील ने कहा, जस्टिस निर्मल यादव को बरी कर दिया गया है. उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे.” इस मामले में हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल, दिल्ली के होटल व्यवसायी रविंदर सिंह, व्यवसायी राजीव गुप्ता और एक अन्य व्यक्ति का नाम भी सामने आया था. आरोपियों में से एक संजीव बंसल की फरवरी 2017 में बीमारी से मौत हो गई थी.
नोटों की अधजली बारियां मिलने के मामले में फंस गए हैं जस्टिस यशवंत वर्मा
यह फैसला 14 मार्च को आग लगने की घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां मिलने को लेकर उठे विवाद के बीच आया है.
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