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रूस या अमेरिका नहीं, इस देश में 13 घंटे की नौकरी पक्की, गुस्सा फूटा, सड़क पर उतरे कर्मचारी

Greece Parliament Passes Law Mandating 13 Hour Workdays: दुनिया तेजी से बदल रही है. काम का तरीका भी बदल रहा है. पहले लोग ऑफिस में काम करके घर लौट आते थे, अब लैपटॉप और मोबाइल ने दफ्तर को घर तक पहुंचा दिया है. सुबह से लेकर रात तक काम का दबाव, डेडलाइन का तनाव और निजी जिंदगी के लिए वक्त की कमी. ये अब हर जगह आम बात है. ऐसे में ग्रीस से आई एक समाचार ने इस बहस को फिर से जिंदा कर दिया है कि आखिर इंसान कितना काम करे?

ग्रीस की संसद ने एक ऐसा नया लेबर कानून पास किया है, जिसके तहत प्राइवेट क्षेत्र के कर्मचारी रोजाना 13 घंटे तक काम कर सकते हैं. प्रशासन इसे “आधुनिक जरूरतों के हिसाब से सुधार” बता रही है, लेकिन देश के लोग और कर्मचारी इसे शोषण की नई परिभाषा मान रहे हैं.

Greece Parliament Passes Law Mandating 13 Hour Workdays: कानून क्या कहता है?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीस की संसद ने इस विवाद खड़ा कर देने वाला कानून को भारी विरोध के बीच पास किया. विपक्ष, कर्मचारी संघ और श्रमिक संगठन इसे “पिछड़े जमाने का फैसला” बता रहे हैं. इस कानून के तहत कर्मचारियों को रोजाना 13 घंटे तक काम करने की अनुमति दी गई है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह पूरी तरह स्वैच्छिक (वैकल्पिक) है और सिर्फ प्राइवेट क्षेत्र में लागू होगा. साथ ही, इसे साल में 37 दिनों से ज्यादा लागू नहीं किया जा सकेगा. ओवरटाइम की सीमा 150 घंटे प्रति वर्ष तय की गई है, जबकि साप्ताहिक काम का समय पहले की तरह 40 घंटे ही रहेगा.

यह कानून सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी न्यू डेमोक्रेसी पार्टी के समर्थन से पास हुआ. वहीं, वामपंथी पासोक पार्टी ने इसके खिलाफ वोट दिया और सिरिजा पार्टी ने वोटिंग से दूरी बनाई. प्रशासन का कहना है कि ये बदलाव ग्रीस के पुराने श्रम कानूनों को “वर्तमान जमाने के अनुरूप” बनाएगा.

प्रशासन का तर्क क्या है?

ग्रीस की लेबर मंत्री निकी केरामेस ने संसद में कहा कि यह कदम यूरोपीय संघ के नियमों के हिसाब से है, जहां ओवरटाइम सहित औसत कार्य सप्ताह 48 घंटे तक सीमित होता है. मंत्री का कहना है कि यह सुधार “कर्मचारियों को लचीलापन देने” के लिए है, न कि उन्हें मजबूर करने के लिए. प्रशासन का तर्क है कि इससे कंपनियां और कर्मचारी दोनों अपनी सुविधा से काम का समय तय कर पाएंगे.

विरोधियों की दलील- ‘यह सुधार नहीं, शोषण है’

अमेरिकी न्यूज साइट पोलिटिको के अनुसार, लेबर बाजार के जानकारों और यूनियनों का कहना है कि यह कानून असल में ओवरटाइम को वैध बनाकर नियोक्ताओं को खुली छूट दे देगा. ग्रीस के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के संगठन ग्रीक जनरल कन्फेडरेशन ऑफ लेबर ने श्रम मंत्री को एक पत्र लिखा कि यह कानून नौकरी की असुरक्षा को बढ़ाता है और अस्थायी व असुरक्षित काम के मॉडल को और मजबूत करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कर्मचारियों में थकान, मानसिक तनाव और हादसों का खतरा बढ़ेगा. प्रशासन का कहना है कि कई सेक्टर ऐसे हैं जहां काम का समय तय नहीं रहता, जैसे शिफ्ट वाली नौकरियां या प्रोजेक्ट आधारित काम. वहां यह नियम मददगार हो सकता है.

लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह “लचीलापन” कर्मचारियों के लिए है या कंपनियों की सुविधा के लिए? कानून पास होते ही एथेंस और दूसरे शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. हाथों में बैनर थे कि “हम मशीन नहीं हैं”, “हमें इंसाफ चाहिए”. ये विरोध सिर्फ घंटों के नहीं, बल्कि उस बढ़ते दबाव के खिलाफ भी हैं जो आज की कार्य संस्कृति ने लोगों पर डाल दिया है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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