पिपरवार. मंगरदाहा रैयत विस्थापित समिति के तत्वावधान में चिरैयाटांड़ के ग्रामीणों ने सोमवार को पांच सूत्री मांगों को लेकर पिपरवार भूमिगत खान व कोयला ढुलाई का काम रोक दिया. इसकी वजह से पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक सीएचपी-बचरा साइडिंग की कोयला ढुलाई ठप रही. भूमिगत खान से मजदूर बाहर निकल गये. ग्रामीणों की शिकायत थी कि 35 वर्ष पूर्व खुली पिपरवार परियोजना खदान बंद हो चुकी है. बंद खदान में ही पिपरवार भूमिगत खान के लिए सुरंग खोदी जा रही है. लेकिन अब तक मंगरदाहा गांव के कई रैयतों के नौकरी-मुआवजा पेंडिंग हैं. रैयतों को चिरैयाटांड़ में बसाया गया था. यहां भी मूलभूत सुविधाओं का घोर आभाव है. प्रबंधन की उदासीनता की वजह से रैयतों का प्रखंड कार्यालय से प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. वे नारकीय जीवन जीने को विवश हैं. ग्रामीण भूमिगत खान में नियोजन की भी मांग कर रहे थे. बाद में प्रबंधन के साथ ग्रामीणों की वार्ता हुई. जिसमें प्रबंधन ने लगभग मांगें मानते हुए भूमिगत खान में जेएमएस कंपनी में नियोजन दिलाने का आश्वासन दिया. इसके बाद दोपहर तीन बजे से भूमिगत खान व ट्रांसपोर्टिंग का काम पुन: शुरू हो सका. वार्ता में जीएम संजीव कुमार, एएंडआर, सीएसआर व जेएमएस के अधिकारी व ग्रामीणों की ओर से विक्रम गंझू, कुलदीप गंझू, प्रदीप गंझू, दीपक करमाली, संजय करमाली, संजय गंझू, सोविंद गंझू, जितेंद्र कुमार, करीमन गंझू, मट्टू भुईयां, रूपेश भुईयां, संतोष कुमार, अमर सिंह, छोटू सिंह, अर्जुन कुमार, रंथू गंझू, कौलेश्वर गंझू, मनजीत करमाली, हेमंत भोक्ता, राजेश गंझू, सुखदेव भुईयां सहित काफी संख्या में ग्रामीण स्त्रीयें भी शामिल थी.
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