संवाददाता, कोलकाता
स्टेट लेवल ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी (शिकायत निवारण समिति) की ओर से आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जूनियर डॉक्टर, इंर्टन, सीनियर रेसिडेंट (एसआर) का वेतन बढ़ाने की घोषणा की. पर इससे चिकित्सक वर्ग संतुष्ट नहीं है. इसे लेकर मेडिकल सर्विस सेंटर की ओर से प्रेसवार्ता की गयी. इसमें सेंटर के राज्य सचिव डॉ विप्लब चंद्रा, सर्विस डॉक्टर्स फोरम के महासचिव डॉ सजल विश्वास, कोषाध्यक्ष डॉ सपन विश्वास और नर्सेज यूनिटी की सचिव सिस्टर भास्वती मुखर्जी मौजूद रहे.
डॉ चंद्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में हुई बैठक में बंगाल के चिकित्सा और नर्सिंग समुदाय ही नहीं, बल्कि राज्यवासियों को भी गहरी निराशा का सामना करना पड़ा. लोग अभया के लिए वास्तविक न्याय चाहते हैं. धमकी संस्कृति के नेताओं के लिए अनुकरणीय सजा चाहते थे. मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्य का माहौल लौट आये. भय की संस्कृति का अंत हो, भ्रष्टाचार और नकली दवाइयों के चक्र को रोका जाना चाहिए. लेकिन बैठक में मुख्यमंत्री की ओर से ऐसा कोई आश्वासन नहीं मिला. कॉलेजों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त दो करोड़ आवंटित किया गया है, जबकि प्रशासनी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाइयां नहीं हैं. डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिक्स के पद रिक्त हैं.
अगर मुख्यमंत्री ने अभया के न्याय और धमकी संस्कृति के बारे में कुछ सकारात्मक कहा होता, तो प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर बहुत खुश होते. राज्य प्रशासन की ओर से हर महीने टास्क फोर्स की बैठक कराये जाने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन छह महीने में एक भी बैठक नहीं हुई. जिस तरह से प्रशासन प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को परेशान करने की कोशिश कर रहा है, उसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा. यह अत्यंत निराशाजनक हैं. इसलिए हमारा आंदोलन जारी रहेगा. बंगाल में जूनियर डॉक्टरों का वेतन देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है. इसके बावजूद जूनियर डॉक्टरों ने अब तक वेतन वृद्धि की मांग नहीं की. क्या मुख्यमंत्री ने आज मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जूनियर डॉक्टरों के वेतन वृद्धि की घोषणा की? आम जनता की तरह हम भी जानना चाहते है कि अभया के असली हत्यारे कब पकड़े जायेंगे? घटना के पीछे का मकसद क्या था? राज्य की जनता इस मामले पर मुख्यमंत्री का बयान सुनना चाहती थी, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा.
आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और राज्य के मेडिकल कॉलेजों में धमकी संस्कृति फैलाने वालों के खिलाफ व्यापक आरोपों के बावजूद उन्होंने किसी भी दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया. मेदिनीपुर कांड में आरोपित कंपनी को क्लीन चीट दे दी गयी. लेकिन डॉक्टरों को दोषी ठहरा दिया गया. आखिरकार आंदोलन के दबाव में उन्हें आज छह जूनियर डॉक्टरों का निलंबन हटाने को मजबूर होना पड़ा.
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