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Shaniwarwada row: पुणे स्थित शनिवारवाड़ा एक प्राचीन किला है, जिसके परिसर में तीन मुस्लिम स्त्रीओं द्वारा नमाज पढ़ने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी सांसद मेधा कुलकर्णी पर यह आरोप लगा है कि वो प्रदेश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत और तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं. दरअसल जब नमाज का वीडियो सामने आया तो मेधा कुलकर्णी के साथ बीजेपी और हिंदू संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने रविवार को किले में प्रदर्शन किया और कहा कि इस किले में किसी को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. शनिवारवाड़ा विवाद ने यहां तूल पकड़ लिया है और नेतृत्व शुरू है. आखिर शनिवारवाड़ा क्या है? इसकी खासियत क्या है? बाजीराव प्रथम कौन थे? इन तमाम बातों की जानकारी हम आपको इस आलेख में देते हैं.intro
क्या है शनिवारवाड़ा?

शनिवारवाड़ा दरअसल पेशवा बाजीराव प्रथम द्वारा बनवाया गया किला है, जिसे मराठा साम्राज्य का गौरव माना जाता है. यह पेशवा बाजीराव का अधिकारिक निवास स्थान था और वे यहीं से अपने तमाम प्रशासनिक कार्य किया करते थे. शनिवारवाड़ा इसका निर्माण इसलिए पड़ा क्योंकि इसका उद्घाटन शनिवार को हुआ था और वाड़ा का अर्थ होता है बड़ा घर. यह एक बेहद खूबसूरत और सुरक्षित पांच मंजिला इमारत थी, जिसमें पेशवा बाजीराव प्रथम रहते थे. वे मराठों के सबसे प्रसिद्ध पेशवा थे और उनका कार्यकाल बहुत ही गौरवशाली रहा है. पेशवा का अर्थ होता है प्रधानमंत्री. बाजीराव प्रथम छत्रपति शाहूजी महाराज के प्रधानमंत्री थे. उनका जन्म 1700 में हुआ था और महज 40 वर्ष की उम्र में यानी 1740 में उनका निधन हो गया था. वे 1720 से 1740 तक छत्रपति शाहूजी महाराज के प्रधानमंत्री रहे थे. शनिवारवाड़ा को मराठों की नेतृत्व, संस्कृति और उनकी परंपराओं से जोड़कर देखा जाता है. यह किला मराठा पेशवाओं की कई गाथाओं का साक्षी रहा है.
बाजीराव प्रथम ने कब कराया था शनिवारवाड़ा का निर्माण
पेशवा बाजीराव प्रथम ने 1736 में कराया था. महाराष्ट्र प्रशासन की वेबसाइट पर यह जानकारी है,लेकिन कई जगहों पर यह बताया गया है कि इसका निर्माण 1732 में हुआ था. शनिवार वाड़ा, पेशवाओं का एक 13 मंजिला महल है, जिसका निर्माण सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए किया गया था. मुख्य प्रवेश द्वार को ‘दिल्ली दरवाजा’ के नाम से जाना जाता है और अन्य द्वारों के नाम गणेश, मस्तानी, जम्भल, खिड़की हैं. शनिवार वाड़ा के सामने घोड़े पर सवार बाजीराव प्रथम की मूर्ति स्थापित है. इसके अलावा अंदर कई भव्य महल भी है. यह महल पेशवा शक्ति का केंद्र था और 1828 में यहां आग लग गई जिसके बाद यह महल नष्ट हो गया अब सिर्फ खंडहर ही शेष है जो मराठों के गौरव का प्रतीक है.
क्या शनिवारवाड़ा और मस्तानी महल एक ही है?

ऐसा कहा जाता है कि पेशवा बाजीराव प्रथम की एक मुस्लिम प्रेमिका थी, जिसका नाम मस्तानी था. उसके नाम पर शनिवारवाड़ा में एक दरवाजा भी है. हालांकि शनिवारवाड़ा और मस्तानी महल एक नहीं थे, बल्कि ये दो अलग-अलग इमारतें थी. बाजीराव पेशवा की पत्नी काशीबाई मस्तानी को पसंद नहीं करती थी, इसलिए मस्तानी को शनिवारवाड़ा में जगह नहीं मिली. बाजीराव ने मस्तानी के लिए पुणे से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पाबल गांव में एक महल बनवाया था. शनिवारवाड़े से उसका कोई संबंध नहीं था.
कैसे हुई थी मस्तानी और पेशवा बाजीराव की शादी?
पेशवा बाजीराव और मस्तानी की शादी को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है, कुछ लोग यह मानते हैं कि उनकी शादी हुई थी जबकि कुछ यह कहते हैं कि उनके बीच बस प्रेम संबंध था शादी नहीं हुई थी. इनके संबंधों को बहुत ही ग्लोरिफाई करके फिल्मों और कथाओं में बताया जाता है. लेकिन इनका एक बेटा भी था, जिसे शमशेर बहादुर (कृष्णराव) कहा जाता है. इससे एक बात तो साफ है कि मस्तानी नाम की एक स्त्री बाजीराव के जीवन थी, जिसका बाजीराव के साथ संबंध था. मस्तानी बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल और रूहानी बेगम की बेटी थी, इस वजह से मराठों ने मस्तानी को स्वीकार नहीं किया था. जब उनके बेटे कृष्णराव का संस्कार ब्राह्मणों ने करने से मना कर दिया था, तब कृष्णराव का नाम शमशेर बहादुर रख दिया गया था. छत्रसाल ने मस्तानी से बाजीराव का विवाह इसलिए कराया था, क्योंकि बाजीराव ने उनकी मदद की थी.
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शनिवारवाड़ा क्यों प्रसिद्ध है?
मराठा पेशवाओं के गौरव के रूप में यह किला प्रसिद्ध है.
शनिवारवाड़ा में किसकी हत्या हुई थी?
शनिवारवाड़ा में बाजीराव के पोते नारायणराव की हत्या हुई थी.
शनिवारवाड़ा कैसे नष्ट हुआ?
1828 में लगी आग में शनिवारवाड़ा नष्ट हुआ. आशंका जताई जाती है कि अंग्रेजों ने यह आग लगाई थी.
क्या बाजीराव और मस्तानी की प्रेमकथा सत्य है?
बाजीराव और मस्तानी का संबंध ऐतिहासिक तो है ही साथ ही इसमें कई काल्पनिक बातें भी जुड़ी हुईं हैं. हां यह सच है कि दोनों के बीच संबंध थे और उनका एक बेटा शमशेर बहादुर था.
क्या बाजीराव क्षत्रिय थे?
नहीं, वे ब्राह्मण कुल के थे.
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