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शिक्षा, स्वास्थ्य व पशुपालन को मिला बढ़ावा, मगर व्यवसायियों के लिए बड़ी व्यवस्था नहीं

राज्य प्रशासन की ओर से सोमवार को विधान सभा सत्र के दौरान वार्षिक बजट पेश किया गया. बजट पर नया विचार की ओर से प्रभात संवाद के तहत प्रशासन के वार्षिक बजट पर आम लोगों की राय ली गयी. साकेतपुरी मुहल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता के कार्यालय में आयोजित संवाद की. अध्यक्षता व्यवसायी मनोज कुमार पप्पू ने किया. किसान, व्यसायी, स्पोर्ट्सकूद, शिक्षा, व्यापार, रोजगार, पशुपालन से जुड़े लोगों ने अपनी बातों को रखते हुए प्रशासन से बजट को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें रखी. कहा कि प्रशासन बजट के माध्यम से अपना दर्द बयां किया है. बजट में कुछ विशेषता है, तो कमियां भी है. लोगों ने प्रशासन से जो अपेक्षा की थी, वह बजट में दिख नहीं रहा है. शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पशुपालन व कृषि को कुछ बढ़ावा मिला है, मगर व्यवसाय करने वालों के लिए बड़ी व्यवस्था नहीं है. लगातार पांच वर्षो से नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगारों को प्रशासनी नौकरी के क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था नहीं दिख रही है. वार्ता के दौरान संचालन ब्यूरो चीफ निरभ किशोर ने किया.राज्य आज भी कृषि पर निर्भर है. व्यवसायी व किसानों को प्रशासन विशेष रूप से मदद करने की योजना बनायी गयी है, मगर आर्थिक हानि से उबरने के लिए कोई बड़ा स्टेप नहीं लिया गया है. सिंचाई के लिए बड़ी योजना नहीं बनी है.

– मनाेज कुमार पप्पू

राज्य में अब तक किसी प्रशासन ने भी स्पोर्ट्स व सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से नहीं देखा. ना ही किसी ने इसे अपने घोषणा पत्र में रखा है. बजट में स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिला है, मगर सांस्कृतिक कलाकारों के लिए सहुलियत नहीं है.

– सुरजीत झा, संयोजक जिला स्पोर्ट्स व सांस्कृतिक

स्वास्थ व शिक्षा पर फोकस करना चाहिए था. पैसे वाले तो जैसे-तैसे कहीं भी अपना इलाज व बच्चों को शिक्षा देते हैं. मगर गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों के लिए स्थिति संवेदनशील हो जाती है. प्रशासन इस पर ध्यान नहीं सकी है.

– निखिल कुमार झा, शिक्षाविद्

राज्य प्रशासन का बजट मजबूत पिलर की तरह है. जिस तरह मंईयां योजना चलायी जा रही है, उसी प्रकार बेरोजगारों के लिए प्रशासन की ओर से योजना लाना था, मगर नहीं आ पाया. पशुपालन व मत्स्य उत्पादन पर ध्यान दिया गया है.

– बच्चू झा, समाजसेवी

जिस तरह सभी के लिए वर्ग निर्धारित है, उसी प्रकार से छोटे व्यवसाइयों के लिए भी व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सुविधा के तहत आर्थिक सहायता दिया जाना था, मगर बजट में नहीं हो सका है. इसका जिक्र कर लोगों को लाभ दिया जाना था.

– अनिल कुमार पंडित, व्यवसायी

जिस तरह पड़ोसी राज्य बिहार की प्रशासन सभी वर्गों काे ध्यान में रखकर बजट लाती है, उसी तरह झारखंड में भी बजट लाया गया. मगर कुछ कमियां रह गयी. यहां का बजट किसानों के लिए कमजोर है. इस पर ध्यान देने की जरूरत थी.

– रणविजय झा, समाजसेवी व किसान

प्रशासन को इस बजट में भी छोटे मझले व बड़े व्यवसाइयों को ध्यान में नहीं रखा गया. बजट में बड़े व्यवसायी हैं, मगर छोटे के लिए खास नहीं है, जबकि स्त्रीओं के विकास के लिए एसएचजी पर प्रशासन ने ध्यान दिया है.

– मनीष कुमार सिंह पांडु, व्यवसायी

राज्य प्रशासन केंद्र की तरह बजट पेश नहीं कर सकी. बेरोजगारी के क्षेत्र में काम नहीं के बराबर रखकर बजट लाया गया है. राज्य में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है. किसी भी प्रशासन के लिए बजट का मॉडल बेहतर हो.

– आकाश कुमार

आज के बजट से राज्य में नौकरी की तलाश करने वाले युवकों के हाथ खाली हैं. राज्य की बजट में आम लोगों को कुछ खास नहीं दिख पाया है. बेरोजगार लोगों को बजट में प्रशासन की ओर से ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.

– ब्रजेश कुमार, शिक्षक

प्रशासन के पिछले बजट की तुलना की जाये, तो जस की तस है. राज्य प्रशासन से आम लोगों के अलावा सबसे ज्यादा राज्य के छोटे व्यवसायी व बेरोजगार युवाओं को उम्मीद थी, मगर ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा है.

– संतोष कुमार, छात्र नेता

बजट में राज्य प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान दिया है. मत्स्य पालन, पशुपालन, मनरेगा के साथ-साथ आवास पर भी राज्य प्रशासन ने ध्यान दिया है, जो राहत भरी है. मजदूरों को खास तौर पर नजर में रखा गया है.

– सुभाष कुमार दास

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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