Hot News

शिवजी को पाने के लिए किसी तंत्र-मंत्र की नहीं होती है जरूरत: पं प्रदीप मिश्रा

कहा, शिवजी को जल चढ़ाकर यह मत सोचो कि क्या और कितना मिलेगा, बस भाव रखो हर किसी को रास्ता दिखाते हैं महादेव, भटके लोगों को भी देते हैं एक मौका सिंहेश्वर. देवाधिदेव महादेव की नगरी में चल रहे सात दिवसीय श्री सिंहेश्वरनाथ शिवमहापुराण के चौथे दिन श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा. कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिवजी को जल चढ़ाकर यह मत सोचो कि क्या मिलेगा और कितना मिलेगा. आपका कर्तव्य है मंदिर पहुंचना. इसके बाद उसकी मर्जी. शिवजी को पाने के लिए कोई मंत्र, तंत्र और श्रोत की जरूरत नहीं है. उन्हें पाने के लिए बस भाव…

Spread the love

कहा, शिवजी को जल चढ़ाकर यह मत सोचो कि क्या और कितना मिलेगा, बस भाव रखो हर किसी को रास्ता दिखाते हैं महादेव, भटके लोगों को भी देते हैं एक मौका सिंहेश्वर. देवाधिदेव महादेव की नगरी में चल रहे सात दिवसीय श्री सिंहेश्वरनाथ शिवमहापुराण के चौथे दिन श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा. कथावाचक पं प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिवजी को जल चढ़ाकर यह मत सोचो कि क्या मिलेगा और कितना मिलेगा. आपका कर्तव्य है मंदिर पहुंचना. इसके बाद उसकी मर्जी. शिवजी को पाने के लिए कोई मंत्र, तंत्र और श्रोत की जरूरत नहीं है. उन्हें पाने के लिए बस भाव ही काफी है. शबरी ने भले ही कुछ नहीं पढ़ा, लेकिन रामजी को हृदय में बिठाया. माता शबरी कोई मंत्र-तंत्र जानती थी. बस मातंक बाबा ने कह दिया कि एक दिन राम उसके द्वार आयेंगे. बस दरवाजे पर झाड़ू लगाते रहना. तब लगातार शबरी ने यह जारी रखा. उन्होंने कहा कि भगवान शिव हर भक्त को एक मौका जरूर देते हैं. शिवपुराण का ज्ञान बदल देता है जीवन मेहनत करने वाले को वह कभी खाली हाथ नहीं लौटाते हैं. आज के समय में जिसके पास विश्वास है, उसके पास सबकुछ है. भगवान शिव भाग्य बदलने की ताकत रखते हैं. जो मेहनत करता है, उसे शिवजी दर्शन जरूर देते हैं. उन्होंने बताया कि भगवान शंकर ने माता पार्वती से कहा था कि मेहनत करोगी तो मंजिल जरूर मिलेगी. यही बात आज के युवाओं को समझनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जीवन में चाहे संसद की सत्ता हो या घर की मुसीबतें, भगवान शिव हर किसी को रास्ता दिखाते हैं, जो पानी में डूब रहा होता है, उसे भी बाहर निकलने का एक मौका मिलता है. पं मिश्रा ने कहा कि आज के समय में धन है, बल है, भंडार है, लेकिन संयम नहीं है. मनुष्य के पास सबकुछ है, पर संतोष नहीं है. उन्होंने कहा कि शिवपुराण में जो ज्ञान है, वह जीवन को दिशा देता है. शिवभक्ति से ही जीवन सफल होता है. महिषासुर वध के लिए देवी बनीं जगदम्बा महिषासुर के आतंक से देवता परेशान थे. भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने भगवान शंकर से कहा कि इस राक्षस का अंत पार्वती के हाथों होना चाहिए. शंकर ने कहा पार्वती को क्रोध नहीं आता. तब देवताओं ने मिलकर शक्ति की रचना की. अंत में देवी पार्वती ने जगदम्बा रूप धारण किया. उन्होंने महिषासुर का वध किया. अभाव में भी धर्म नहीं छोड़ें पं मिश्रा ने अभाव में भी धर्म से पीछे न हटने की सीख देने वाली कथा सुनाई. गांव के रामनाथ और उनकी पत्नी भानुमति की कहानी ने लोगों को भावुक कर दिया. शिवरात्रि के दिन गांव वालों ने रामनाथ से शिवलिंग पर एक लोटा दूध चढ़ाने को कहा. रामनाथ परेशान हो गया. घर में दूध नहीं था. भानुमति ने उसे धीरज रखने को कहा. बोली, जब कोई धर्म के लिए दरवाजे पर आए, तो मना मत करना. अपनी कमी का रोना मत रोना. भानुमति ने रामनाथ को समझाया कि श्रद्धा से बड़ा कुछ नहीं होता. धर्म के काम में मन से सहयोग देना चाहिए. भगवान को भाव चाहिए, मंत्र-तंत्र नहीं भगवान को न मंत्र चाहिए, न तंत्र, न श्लोक, न स्रोत, न ही यह जरूरी है कि माथे पर त्रिपुंड लगाओ तो ही शिव के भक्त कहलाओगे. मन को शिवालय बनाओ. मन को मंदिर बनाओ. भगवान शंकर को कोई पदार्थ नहीं चाहिए. व्यवहार और ज्ञान में से कई बार व्यवहार ही प्रमुख होता है. बाहर रहने वाले साल में दो बार घर जरूर आएं घर से बाहर रहने वाले युवाओं से अपील की कि वे चाहे मुंबई, दिल्ली या लंदन जैसे किसी भी शहर में रहते हों, साल में कम से कम दो बार अपने गांव या शहर जरूर आएं. अपने मां-बाप से मिलें. देखें कि वे किस हाल में हैं. कहा गया कि माताओं को अपने बच्चों से कुछ नहीं चाहिए. उन्हें सिर्फ बच्चों का प्यार चाहिए. उनका हालचाल जानना ही उनके लिए सबसे बड़ी खुशी है. बेटी का कन्यादान, माता-पिता को नर्क से मुक्ति परिवार में रिश्तों का महत्व बड़ा होता है. बेटी का कन्यादान करने से माता-पिता को उसी समय नर्क से मुक्ति मिल जाती है. प्रवचन में कहा कि माता-पिता अनपढ़ होते हुए भी अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर, एसपी, डीएम बना देते हैं. यह उनके त्याग और मेहनत का परिणाम होता है. सोचने वाली बात यह है कि पढ़े लिखे शिशु अपने माता-पिता के साथ कैसा व्यवहार करते हैं. क्या वे उनके त्याग को समझते हैं. क्या वे उन्हें वह सम्मान देते हैं, जिसके वे हकदार हैं. समाज में यह सोच बदलने की जरूरत है. पढ़ी-लिखी बहू बच्चों को मोबाइल दिखा खिला रहीं खाना व्यवहार और ज्ञान में से कई बार व्यवहार ही ज्यादा जरूरी होता है. आज की पढ़ी लिखी बहू बच्चों को खाना खिलाने के लिए मोबाइल का सहारा ले रही हैं. शिशु खाना तभी खाते हैं, जब उन्हें मोबाइल पर वीडियो दिखाया जाता है. पहले घरों में दादी-नानी कहानियां सुनाकर बच्चों को खाना खिलाती थीं. अब यह तरीका बदल गया है. आज का समय प्रोफेशनल हो गया है. रिश्ते भी जरूरत पर आधारित हो गए हैं. पहले परिवारों में भावनात्मक जुड़ाव ज्यादा होता था. अब लोग समय की कमी का हवाला देकर तकनीक का सहारा ले रहे हैं. बच्चों की परवरिश में भी इसका असर दिख रहा है. शिवरात्रि पर व्रत रखा, मिट्टी के शिवलिंग से बदली किस्मत शिवपुराण के अनुसार पत्नी का धर्म है अपने पति को विपरीत परिस्थिति में बल दे. जगत जननी भी अपने पति भगवान शिव को बल देती हैं. रामनाथ और भानुमति के घर में दो दिन से अन्न नहीं था. शिवरात्रि आने वाली थी. भानुमति ने पति से कहा कि खाना न खाएं, दूध खरीद लें. व्रत भी हो जाएगा. चारों बच्चों ने भी भूख लगने पर खाना मांगा. भानुमति ने उन्हें भी व्रत रखने को कहा. शिशु मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाने लगे. शिवलिंग बनाकर घर लौटे. चंचुला देवी ने बताया कि जिस घर में पार्थिव शिवलिंग होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. रामनाथ और भानुमति ने शिवलिंग को प्रणाम किया. अपनी परेशानी भगवान को बतायी. उसी समय शिशु अंदर गए. डिब्बे में बचा थोड़ा आटा पानी में घोलकर लाए. उसे दूध मानकर शिवलिंग पर चढ़ाया. तभी शिव और पार्वती वृद्ध रूप में वहां पहुंचे. उन्होंने रामनाथ को एक गाय और कुछ धन दिया. कहा तुम्हारे पिता ने यह मेरे पास छोड़ा था. इसके बाद घर महल बन गया. धन से भर गया. गाय से दूध की धारा बहने लगी.

डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

The post शिवजी को पाने के लिए किसी तंत्र-मंत्र की नहीं होती है जरूरत: पं प्रदीप मिश्रा appeared first on Naya Vichar.

Spread the love

विनोद झा
संपादक नया विचार

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top