मिहिजाम. चित्तरंजन के रवींद्र मंच सीटू की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान किया गया. अधिवेशन में सीटू की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ के हेमलता शामिल हुई थीं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों मेें प्रशासनी नीतियों के खिलाफ कई आंदोलन हुए हैं, लेकिन 1974 के बाद प्रशासन की नीतियों के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन नहीं हुआ है. इससे हमारे मनोबल को ठेस पहुंची है. उन्होंने कर्मचारियों की कटौती का मुद्दा उठाया. कहा कि रेलवे में इस समय 3 लाख पद खाली हैं. नए स्टाफ की भर्ती नहीं होने से सबसे ज्यादा नुकसान ट्रेन संचालन, लाइन मेंटेनस पर हो रहा है. लोको पायलट का बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया है. लोको पायलट से 15 से 20 घंटे तक काम कराया जा रहा है. सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है. परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि उदारीकरण निजीकरण की शुरुआत 1991 से हुई, लेकिन वर्तमान प्रशासन के सता में आने बाद इसने तीव्र रूप ले लिया है. बहुमत के साथ काला कानून लेबर कोड पारित कर दिया है, जो अप्रैल से लागू होगा. जब यूनियनें मौजूदा प्रशासन की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई का आह्वान कर रही है तो प्रशासन विभाजन कार्ड स्पोर्ट्स रही है. इसके अधिकारी आंदोलन रोक रहे हैं. लोकतांत्रिक तरीके से विरोध का भी गला घोंटा जा रहा है. कारखाने में उत्पादन बढ़ गया है, लेकिन कर्मियों की कमी है. उन्होंने श्रमिकों को अपनी समस्याओं के निदान के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया. इसके लिए रेलवे कर्मचारियों के अलावा अन्य संस्थानों के कर्मचारियों को एकजुट होना चाहिए. तभी उन इकाइयां बच पायेगी. कार्यक्रम में पांच सूत्री मांग पत्र पेश किया गया. इनमें सभी रिक्त पदों को भरने, एनपीएस व यूपीएस को समाप्त करना, हिंदुस्तानीय रेलवे का निजीकरण निगमीकरण बंद करना, अनुबंध श्रमिकों को न्यूनतम वेतन देना तथा 8वां वेतन आयोग लागू करना शामिल है. मौके पर लेबर यूनियन के महासचिव राजीव गुप्ता, आरएस चौहान, अभिरूप चौधरी सहित कई सदस्य शामिल हुए थे.
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