Osho Quotes: ओशो का असली नाम रजनीश था. वे एक मशहूर आध्यात्मिक गुरु थे. वे अपने अलग और साफ-सपाट विचारों के लिए जाने जाते थे. ओशो ने लोगों को सिखाया कि ध्यान, जागरूकता और प्रेम से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है. उन्होंने पुराने धर्मों की कुछ बातों से अलग राय रखी, इसलिए कई बार विवादों में भी रहे. उनकी एक किताब ‘संभोग से समाधि की ओर’ बहुत मशहूर हुई, जिसमें उन्होंने यौन इच्छाओं को समझने और स्वीकार करने की बात की. 19 जनवरी 1990 को उन्होंने पुणे के अपने आश्रम में देह छोड़ दी. लेकिन उनके विचार आज भी लाखों लोगों को जीने की नई राह दिखाते हैं. ऐसे में आइए उनकी इस विवादित किताब से कुछ चुनिंदा विचारों को जानते हैं कि ओशो का यौन इच्छा यानी ‘काम’ को लेकर उनकी क्या विचार थे.
परमात्मा की सृजन-ऊर्जा
ओशो के अनुसार, संभोग केवल शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि परमात्मा की सृजनात्मक ऊर्जा का प्रकटीकरण है. यह ऊर्जा यदि सही दिशा में प्रवाहित हो, तो व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर ले जा सकती है.
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अहं-शून्यता की झलक
संभोग के क्षण में व्यक्ति अपने ‘मैं’ को भूल जाता है, जिससे अहंकार का विघटन होता है. यह अहं-शून्यता ध्यान और समाधि की दिशा में पहला कदम है.
समय-शून्यता का अनुभव
संभोग के चरम क्षण में समय का बोध समाप्त हो जाता है. यह अनुभव ध्यान की गहराई में भी होता है, जहां समय और स्थान का अस्तित्व नहीं रहता है.
प्रेम-एकात्म का अनुभव
ओशो कहते हैं कि प्रेम वह स्थिति है जहां दो व्यक्ति अपनी सीमाओं को खोकर एक हो जाते हैं. यह एकात्मता ही परमात्मा के अनुभव की ओर ले जाती है.
यौन ऊर्जा का आध्यात्मिक नियोजन
आचार्य रजनीश के कहते हैं कि यौन ऊर्जा को दमन करने के बजाय, उसे ध्यान और साधना के माध्यम से रूपांतरित किया जा सकता है. यह रूपांतरण व्यक्ति को उच्च चेतना की ओर ले जाता है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. नया विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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