नया विचार सरायरंजन। सत्य को नारायण के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य है ।बाकी सब माया है ।सत्य में ही सारा जगत समया हुआ है ।सत्य के सहारे ही शेष भगवान पृथ्वी को धारण करते हैं। यह बातें पंडित अमित कुमार झा ने बुधवार को मुसरीघरारी स्थित नगर पंचायत वार्ड नंबर 1 में सत्यनारायण भगवान के पूजा के दौरान कथा में कहीं ।पंडित अमित कुमार झा ने कहा कि श्री सत्यनारायण व्रत का वर्णन देव ऋषि नारद जी के पूछने पर स्वयं भगवान विष्णु ने अपने मुख से किया है। एक बार नारद जी ने भ्रमण करते हुए मृत्यु लोक के प्राणियों को अपने-अपने कर्मों के अनुसार तरह-तरह के दुखों से परेशान होते देखा ।इससे उनका संत हृदय द्रवित हो उठा ।और वह वीणा बजाते हुए अपने परम आराध्य भगवान श्री हरि की शरण में हरि कीर्तन करते छीर सागर पहुंच गए ।और स्तुति पूर्वक बोले, हे नाथ यदि आप मेरे ऊपर प्रसन्न है तो मृत्यु लोक के प्राणियों की व्यथा हरने वाला कोई छोटा सा उपाय बताने की कृपा करें। तब भगवान ने कहा यह बात तुमने विश्व कल्याण की कामना से बहुत सुंदर प्रश्न किया है ।अतः तुम्हें साधु बाद है ।आज मैं तुम्हें ऐसा व्रत बताता हूं जो स्वर्ग में भी दुर्लभ है और महान पुन्यदाक है ।तथा मोह के बंधन को काट देने वाला है ।और वह है श्री सत्यनारायण व्रत। इसे विधि विधान से करने पर मनुष्य सांसारिक सुखो को भोगकर परलोक में मोक्ष प्राप्त कर लेता है ।मौके पर राधाकांत झा, मधु कान्त झा,बेबी कुमारी, अंजली सुमन ,शंकर सुमन, प्रिया सुमन, अमरेश झा सहित दर्जनों श्रद्धालु उपस्थित थे।