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सपा पर सरकार की सबसे बड़ी कार्रवाई! ऑफिस सील, नेता बोले- तानाशाही की हद

Pilibhit Political Office Seal: पीलीभीत में बुधवार सुबह एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया, जब नगर पालिका ने समाजवादी पार्टी (सपा) के जिला कार्यालय पर ताला जड़ दिया. कार्यवाही के दौरान सपा कार्यालय का नाम पेंट से मिटाया गया और पार्टी का झंडा उखाड़कर फेंक दिया गया. यह कार्यालय नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (ईओ) के प्रशासनी आवास पर बना हुआ था, जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था.

पुलिस बल के साथ पहुंचा प्रशासन, सपा नेताओं का विरोध

प्रशासन ने इस कार्यवाही के लिए जबरदस्त तैयारी की थी. सुबह होते ही 7 थानों की पुलिस फोर्स, जिसमें 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी शामिल थे, मौके पर पहुंची. सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह ‘जग्गा’ समेत कई कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया, लेकिन पुलिस ने किसी की एक न सुनी. इस दौरान पुलिस और सपा कार्यकर्ताओं के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई. पुलिस ने विरोध कर रहे 35 सपा कार्यकर्ताओं को मौके से गिरफ्तार कर लिया.

पहले दी थी चेतावनी, समयसीमा खत्म होते ही हुई कार्रवाई

यह कार्रवाई अचानक नहीं थी. प्रशासन ने पहले ही सपा जिलाध्यक्ष को नोटिस देकर 16 जून तक कार्यालय खाली करने का निर्देश दिया था. इससे पहले, 8 दिन पहले भी भारी पुलिस बल के साथ प्रशासन मौके पर पहुंचा था, लेकिन सपा नेताओं ने 6 महीने का समय मांगा था. इसके जवाब में प्रशासन ने उन्हें 16 जून तक की मोहलत दी थी, जो समाप्त हो गई थी.

नगर पालिका का पक्ष: प्रशासनी संपत्ति पर था अवैध कब्जा

सिटी मजिस्ट्रेट विजयवर्धन तोमर ने बताया कि यह भवन अधिशासी अधिकारी का प्रशासनी आवास है, जिस पर अवैध रूप से सपा कार्यालय चलाया जा रहा था. वर्ष 2005 में इसे महज 150 रुपए मासिक किराए पर सपा को आवंटित किया गया था, लेकिन 2020 में यह आवंटन रद्द कर दिया गया था. आवंटन की प्रक्रिया वैध नहीं थी, इसलिए इसे निरस्त किया गया. नोटिस की समयसीमा समाप्त होने के बाद नगर पालिका ने भवन को अपने कब्जे में ले लिया.

सपा का पलटवार: यह तानाशाही प्रशासन है

सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह ‘जग्गा’ ने प्रशासन की कार्रवाई को तानाशाही करार दिया. उन्होंने कहा, “यह अत्याचारी प्रशासन है, जिसने हमारे कार्यालय को जबरन खाली करवाया. अगर यही मापदंड हैं, तो हम भी इनकी बेनामी संपत्तियों और अवैध कब्जों की जांच कराकर उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.”

कोर्ट में मामला विचाराधीन, फिर भी क्यों हुई कार्रवाई?

सपा नेताओं का दावा है कि इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में 2021 से याचिका विचाराधीन है. इससे पहले हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया. सपा का कहना है कि कोर्ट से अभी कोई अंतरिम रोक का आदेश नहीं आया था, लेकिन मामला विचाराधीन होने के बावजूद पालिका ने जबरन कब्जा हटाया.

तीन दिन पहले ही चस्पा किया गया था अंतिम नोटिस

तीन दिन पहले नगर पालिका की ओर से अंतिम नोटिस कार्यालय गेट पर चस्पा किया गया था, जिसमें 16 जून तक कार्यालय खाली करने की चेतावनी दी गई थी. समयसीमा पूरी होते ही प्रशासन ने आज सख्ती से यह कदम उठाया.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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