दावथ के परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जीयर स्वामी का प्रवचन प्रतिनिधि, सूर्यपुरा. दावथ प्रखंड के परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जीयर स्वामी के प्रवचन में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी महाराज ने कहा कि वेद, पुराण, संत, महात्मा, परमात्मा, गुरु, पुरोहित सबको मानना चाहिए. लेकिन, समर्पण एक जगह रखना चाहिए. जैसे देवी, देवता, मां दुर्गा, सरस्वती, शिवजी, गंगाजी इत्यादि अनंत देवी-देवता हैं. सबको मानना चाहिए. सब की पूजा करनी चाहिए. लेकिन, परम ब्रह्म परमेश्वर जगत के पालनकर्ता भगवान श्रीमन्नारायण में समर्पण रखना चाहिए. क्योंकि, जगत के स्वामी भगवान श्रीमन्नारायण ही हैं. आकाश, पाताल, पृथ्वी, प्रकृति इत्यादि संसार में जो भी चीज हैं, उन सभी चीजों पर नियंत्रण संचालन करने वाले भगवान श्रीमन्नारायण ही हैं. इसी प्रकार आज समाज में लोग कई गुरु बनाते हैं. जीवन में गुरु अलग-अलग समय पर कई प्रकार के बनाते हैं. लेकिन, गुरु भी एक ही होना चाहिए, जिसमें समर्पण हो. समाज में अलग-अलग पंथ परंपरा चल रहा है. लेकिन, यह जितने भी पंथ चल रहे हैं, इनकी शुरुआत कुछ वर्ष पहले हुई है. लेकिन, यह सृष्टि 60 हजार करोड़ वर्ष पहले से है. उस समय से वैदिक परंपरा के अनुसार मानव जीवन जीने की वैदिक मर्यादा बतायी गयी है. धार्मिक ग्रंथों में अलग-अलग प्ररेणा स्वामी जी ने कहा कि अलग-अलग धार्मिक ग्रंथ बनाये गये हैं. उनमें देवी-देवता की पूजा करने की प्रेरणा दी जाती है. इसका मतलब यह है कि जैसे छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि शिशु स्कूल जाये. इस प्रकार से जितने भी पुराण इत्यादि हैं, उनमें भी अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं की चर्चा की गयी है. ताकि, किसी भी प्रकार से मानव अपने जीवन में भक्ति के मार्ग पर चलें. जिस प्रकार से शिशु को स्कूल भेजना प्रमुख लक्ष्य होता है, उसी प्रकार से जितने भी धार्मिक ग्रंथ हैं, उनको पढ़कर के मानव उन परम ब्रह्म परमेश्वर भगवान श्रीमन्नारायण का शरणागति प्राप्त करें.
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