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साइबर ठगों की अब खैर नहीं, डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ आ गया तगड़ा हथियार

Cyber Fraud: साइबर धोखाधड़ी के जरिए लोगों के खातों से पैसा उड़ाने वाले साइबर ठगों की अब खैर नहीं है. प्रशासन ने बुधवार को उनकी इन गतिविधियों पर सख्त नजर बनाए रखने और उनकी धर-पकड़ करने के लिए एक तगड़ा हथियार लॉन्च कर दिया है. समाचार है कि दूरसंचार विभाग ने वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए ‘फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (एफआरआई)’ लॉन्च किया है. यह टूल बैंकों, यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर्स और वित्तीय संस्थानों के साथ खुफिया जानकारी साझा कर साइबर अपराध को रोकने में मदद करेगा.

संदिग्ध नंबरों पर सख्त नजर

एफआरआई टूल किसी मोबाइल नंबर को धोखाधड़ी के लिए संदिग्ध पाए जाने पर उसे आईडेंटिफाई करता है. ऐसे नंबर से डिजिटल पेमेंट के प्रयास पर सिस्टम अतिरिक्त सुरक्षा जांच और वेरिफिकेशन लागू करती है.

त्वरित और सहयोगात्मक कार्रवाई

एफआरआई दूरसंचार और वित्तीय क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों के खिलाफ तेजी से लक्षित कार्रवाई को सक्षम बनाता है. यह डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) के मल्टी-डाइमेंशन एनालिसिस पर आधारित है.

जोखिम का स्तर होगा साफ

यह टूल मोबाइल नंबरों को ‘मीडियम’, ‘हाई’ या ‘हाइएस्ट’ जोखिम के रूप में वर्गीकृत करता है. यह वर्गीकरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, चक्षु मंच और वित्तीय संस्थानों से मिली जानकारी पर आधारित है.

बैंकों और यूपीआई को मिलेगी ताकत

एफआरआई बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और यूपीआई सेवा प्रदाताओं को उच्च जोखिम वाले नंबरों के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करने में सशक्त बनाता है.

समय पर कार्रवाई, धोखाधड़ी पर प्रहार

साइबर धोखाधड़ी में शामिल नंबर अक्सर कुछ दिनों तक ही सक्रिय रहते हैं. एफआरआई का अग्रिम जोखिम संकेतक त्वरित कार्रवाई में मदद करता है, जिससे पूर्ण सत्यापन में लगने वाला समय कम प्रभावी होता है.

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फोनपे ने दिखाई राह

डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म फोनपे ने एफआरआई को अपनाकर हाइएस्ट रिस्क वाले नंबरों से लेनदेन को नकारना शुरू कर दिया है. इससे साइबर सुरक्षा में एक नया मानक स्थापित हो रहा है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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