बड़तला की घटना, 40 दिनों के अंदर आया कोर्ट का फैसला
अदालत ने 10 लाख रुपये जुर्माना चुकाने का भी दिया निर्देश
संवाददाता, कोलकाता
उत्तर कोलकाता के बड़तला इलाके में फुटपाथ पर अपने माता-पिता के साथ रहने वाली सात महीने की बच्ची का अपहरण कर उसका यौन शोषण करने और उसपर अत्याचार करने की घटना में सोमवार को नगर सत्र न्यायालय ने राजीव घोष उर्फ गोबरा नाम के युवक को दोषी करार दिया था. मंगलवार को कोर्ट ने दोषी करार दिये गये राजीव घोष को फांसी की सजा सुनायी है. कम उम्र और वृद्ध माता-पिता का हवाला देकर बचाव पक्ष ने की सजा कम करने की मांग : अदालत सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को प्रशासनी वकील ने कहा: पोक्सो एक्ट की धारा के तहत इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम बताते हुए न्यायाधीश ने दोषी करार दिये गये राजीव घोष को मौत की सजा सुनायी है. बचाव पक्ष के वकील ने अदालत में दलील दी कि दोषी करार दिये गये व्यक्ति की उम्र काफी कम है. उसके घर पर बुजुर्ग माता-पिता रहते हैं. प्रशासनी वकील ने इस तर्क का खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया. बचाव पक्ष के वकील ने बार-बार अदालत में कहा, इस मामले में पीड़ित बच्ची जिंदा है, इसके बावजूद अदालत में दोषी को फांसी की सजा कैसे दी जा सकती हैं? प्रशासनी वकील ने कहा कि, कानून कहीं भी यह नहीं कहता कि मौत की सजा देने के लिए पीड़िता का मरना जरूरी है. प्रशासनी वकील ने अदालत में बार-बार कहा कि, भले ही इस मामले में पीड़िता मासूम बच्ची ठीक होकर घर लौट आये, लेकिन यह घटना उसे जीवन भर परेशान करती रहेगी.
यह दुर्लभतम घटना का स्पष्ट उदाहरण है, बच्ची के शरीर के साथ खिलवाड़ किया गया: अदालत सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की कि यह घटना दुर्लभतम घटना का स्पष्ट उदाहरण है. मासूम बच्ची के शरीर के साथ दोषी करार दिये गये युवक ने खिलवाड़ किया है. ऐसे लोगों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. इसलिए मौत के अलावा इन जैसे लोगों के लिए कोई अन्य सजा नहीं हो सकती. इसके अलावा 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बचाव पक्ष चाहे तो ऊपरी अदालत में इस फैसले को चुनौती दे सकता है.
इस तरह का फैसला समाज में कड़ा संदेश देगा
अदालत की तरफ से सुनाये गये इस फैसले पर डीसी (नॉर्थ) दीपक प्रशासन ने कहा, सात महीने की बच्ची जिसे कुछ भी समझ नहीं होती, उनके साथ इस तरह की जघन्य घटना को अंजाम दिया गया था. इस मामले की जानकारी मिलते ही कोलकाता पुलिस ने गंभीरता से इसकी जांच शुरू की. सिर्फ दो दिनों में असंख्य सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के साथ दोषी करार दिये गये युवक को चिन्हित किया गया. उसके असल में और कैमरे में कैद चलने के तरीके को मैच कराने में पुलिस को सफलता मिली. आरोपी के डीएनए की जांच की गयी है. बच्ची का डीएनए प्रोफाइल आरोपी युवक के कपड़ों पर लगे खून से मेल खा गया. मामले के जांच अधिकारी अदालत को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि यह दुर्लभतम घटना है. अदालत का इस तरह का फैसला समाज में सख्त संदेश देगा.
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