कमर आगा, रक्षा विशेषज्ञ
पहलगाम में बेगुनाहों की जान लेने वालों के प्रति लोगों में भारी आक्रोश था और अब भी है. जनता चाह रही थी कि हिंदुस्तान पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, इस घटना का बदला लिया जाये और प्रशासन भी वचनबद्ध थी. प्रधानमंत्री ने कहा ही था कि पहलगाम में हमला करने वालों के साथ-साथ हमले की साजिश में जो भी लोग शामिल रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा. प्रधानमंत्री ने सेना को एक्शन लेने की छूट भी दे दी थी. इसके तहत रक्षा मंत्री और सेना में शामिल हाई कमांड स्ट्राइक को लेकर निर्णय लेना और सेना को इस बारे में बताना था. उस ब्रीफ में, जाहिर है, स्ट्राइक के दायरे भी शामिल थे.
यह पहले से ही बताया जा रहा था कि हमारी सेना पाकिस्तान के आतंकी ट्रेनिंग कैंप्स को भी टारगेट कर सकती है. वही हुआ. हमारी सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हिंदुस्तान का यह मानना रहा है कि जम्मू एवं कश्मीर की जो ऑक्यूपाइड टेरिटरी है, वह हमारी जमीन है. हिंदुस्तान वहां कोई भी एक्शन ले सकता है. सेना के सामने स्ट्राइक के कई विकल्प थे. सेना बिना प्लेन छोड़े भी मिसाइल और ड्रोन के माध्यम से कड़े कदम उठा सकती थी. इसका ध्यान रखना चाहिए कि अगर हिंदुस्तान बॉर्डर पर मैसिव डिप्लॉयमेंट कर देता है, तो आगे पाकिस्तान के लिए बहुत मुश्किलें खड़ी हो जायेंगी.
मिलिटरी ऑप्शन के अलावा अब लांग टर्म प्लान पर भी हिंदुस्तान काम कर सकता है. इस प्लान में ऐसे एक्शन शामिल होंगे, जो पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करेंगे. उदाहरण के लिए, हिंदुस्तान ने यह भी कहा है कि वह वर्ल्ड बैंक का 1.3 या 1.5 ट्रिलियन का लोन, जो पाकिस्तान को मिलना है, रोकने के भी प्रयास करेगा. साफ है कि आतंकवाद के प्रायोजक की कमर तोड़ने के लिए आगे और कदम उठाने होंगे.
(बातचीत पर आधारित)
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