गोपालगंज. श्री हनुमान जी का चरित्र अत्यंत पावन और पवित्र है. हनुमान जी के चरित्र में स्वामी भक्ति, गुरु भक्ति, इष्ट प्रेम आदि जितने भी गुण हैं, वे सभी विद्यमान हैं. सुंदरकांड में उनकी प्रत्यभिज्ञा शक्ति का पूर्ण परिचय मिलता है. बघउच स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित छह दिवसीय हनुमंत यज्ञ में ज्ञानपीठ से काशी से आये डॉ पुण्डरीक शास्त्री जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि रामायण एक ऐसा महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ है, जो मानव जीवन के लिए धर्मशास्त्रों की तरह धर्म का प्रमोद करता है. इसमें कई पात्र प्रतिबिंबित होते हैं, जैसे– लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, विश्वामित्र, सुग्रीव, विभीषण आदि. किंतु राम और माता सीता इसके प्रधान पात्र हैं. इन दोनों के द्वारा ही हनुमान जी प्रधान बने हैं. श्री हनुमान जी के बिना भगवान श्रीराम का कोई कार्य होता ही नहीं है. हनुमान जी बुद्धि, बल, संपन्नता, चातुर्य, प्रतिभा और सामर्थ्य से युक्त हैं. जो ””मान”” (अहंकार) का हनन कर दे, उसका नाम हनुमान है. डॉ पुण्डरीक जी ने कहा कि आनंद रामायण में यह वर्णन है कि हनुमान जी की आराधना द्वारा बुद्धि, बल, कृति, धीरता, निर्भीकता, आरोग्य, सुदृढ़ता और वाकपटुता आदि सभी फल प्राप्त होते हैं. श्री हनुमान, श्रीराम भक्तों के परम आधार, रक्षक और श्रीराम मिलन के अग्रदूत हैं. श्रीराम भक्त को श्री हनुमान जी से सहज प्रेम, आश्रय और स्नेह प्राप्त होता है. हनुमान जी महाराज दास्य भक्ति के आचार्य हैं. श्री हनुमान जी का जीवन केवल स्वामी की प्रसन्नता में ही व्यतीत होता है. जिससे स्वामी की प्रसन्नता में कोई कमी न आए, उसे ही सच्चा सेवक कहते हैं. और यही सर्वोत्तम भक्तिभाव का लक्षण है? प्रभु की प्रसन्नता में ही अपनी प्रसन्नता का अनुभव करना. बघउच में चल रहे यज्ञ में मंदिर के मुख्य अर्चक अजय तिवारी, कथावाचक पं योंगेंद्र तिवारी व लोकगीत गायक राजनंदनी की अहम भूमिका है.
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