प्रतिनिधि, धुरकी प्रखंड क्षेत्र के कनहर तटीय क्षेत्र में हाथियों का झुंड एक सप्ताह से सक्रिय हैं. जिससे कनहर नदी के नजदीक बसे गांव के लोग काफी भयभीत हैं. गुरुवार की रात्रि कनहर नदी के तट पर बसा शुरू गांव जहां पर 25 से 30 घर आदिम जनजाति के परिवार की बस्ती है. वहां बीती रात्रि हाथियों की झुंड ने मिनराशा परहिया का घर को छतिग्रस्त करते हुए मुनीलाल परिया के घर में रखे अनाज को चट कर गये. हाथी शाम ढलते ही कनहर नदी से निकलकर गांव पहुंच गये. जिसके भय से इस टोले के सभी लोग परिवार के साथ गांव के विद्यालय में आकर शरण लिए हुए हैं. वहीं उनकी दिनचर्या हाथी के भय से बिगड़ा गयी है. इस संबंध में गांव के अनिल कोरवा, राजेश कोरवा, संतोष परहिया, रामकुमार परहिया, आदि लोगों ने बताया की शाम ढलते ही रोजाना की तरह हाथी गांव में पहुंच जा रहे हैं. गांव में विधि व्यवस्था नहीं होने की वजह से ऊंचाईं पर बना विद्यालय में आकर हम लोग स्थाई रूप से रह रहे हैं. विद्यालय के छत पर चढ़कर रात जगा करते रहते हैं. अभी तो फसल नहीं लगे होने के कारण नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. लेकिन घर में रखे अनाज को चट कर जा रहे हैं. जिससे हम लोगों को खाने-पीने को लेकर काफी दिक्कत हो रही है. हम लोग का गांव जंगल का बीचो-बीच है चारों तरफ से नदी व पहाड़ों एवं घने जंगल है. हम लोग को घर परिवार चलाने के लिए मुख्य पेसा मजदूरी करना है.गांव में काम का अभाव होने से हम लोग दूसरे गांव में काम करने जाते हैं. तब हम लोगों का रसोई जलता है. लेकिन जंगल में हाथी रहने के कारण हम लोग उसके भय से गांव से नहीं निकल रहे हैं. जिससे दिन प्रतिदिन का दिनचर्या गड़बड़ा गया है. बच्चों का भी पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. भय से विद्यालय नहीं जा रहे हैं.जबकि इसकी सूचना वन विभाग को हम लोग लगातार दे रहे हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर वनपाल प्रमोद कुमार ने बताया कनहर नदी के किनारे हाथी बिचरन करने की सूचना लगातार मिल रही है गांव के लोगों को सतर्क करने की चेतावनी दी गयी है. इसकी सूचना हम लोग वरिय पदाधिकारी को भी दिए हैं. जैसा मार्गदर्शन मिलेगा वैसा उपाय हम लोग करेंगे..
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