सीतामढ़ी कोर्ट. 13 वर्ष पूर्व गैर इरादतन हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश(एडीजे) प्रथम सह विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी) राजीव कुमार ने बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पुपरी थाना क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी स्व हुलास मुखिया के पुत्र असर्फी मुखिया (उम्र करीब 70 वर्ष) को दोषी करार दिया है. भादवि की धारा 304 में उसे दोषी ठहराया गया है. सजा के बिंदु पर फैसले को लेकर 16 अक्तूबर 2025 की तिथि मुकर्रर की गयी है. मामले में प्रशासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक उपेंद्र बैठा ने पक्ष रखा. वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता उमेश नंदन वर्मा ने बहस किया. मालूम हो कि मृत्यु से पूर्व पुपरी थाना क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी कैलाश राम ने 16 अक्तूबर 2012 को इलाज के दौरान पुलिस को बयान दर्ज कराया था. जिसमें बताया था कि वह पुपरी जाने के लिए हरिहरपुर से गाड़ी पर बैठा था. ड्राइवर व खलासी चाय पीने गए थे. तभी असर्फी मुखिया, उसकी पत्नी और रमेश मुखिया वहां आ पहुंचे और बोले किं तुम स्त्रीओं के साथ छेड़खानी कर रहा है. जिसपर वह बोला मैं पुपरी जाने के लिए गाड़ी में बैठा हूं. जिसके बाद सभी लोग मारपीट कर बुरी तरह जख्मी कर दिया. हल्ला पर लोग दौरे तथा मुझे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. जिसके आवेदन पर पुपरी थाना कांड संख्या 196/12 दर्ज हुआ. किंतु उसकी नाजुक स्थिति को देख उसे बेहतर इलाज के लिए दरभंगा रेफर कर दिया, जहां जाने के क्रम में उसकी मृत्यु हो गयी. तब मुकदमे में अन्य धाराओं के साथ 302 को जोड़ा गया, किंतु न्यायालय ने मुकदमा को 304 में सत्य पाया है. न्यायालय ने असर्फी मुखिया की पत्नी मारनी देवी को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है.
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