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March 12, 2025

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IGNOU Admit Card 2025 Download: इग्नू बीएड प्रवेश परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी, डायरेक्ट लिंक से डाउनलोड

IGNOU Admit Card 2025 Download: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) ने B.Ed प्रवेश परीक्षा 2025 के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिएं हैं. जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है, वे अब आधिकारिक वेबसाइट ignou.ac.in से अपने हॉल टिकट डाउनलोड कर सकते हैं.  16 मार्च 2025 को ऑफलाइन होगी परीक्षा (IGNOU News in Hindi) IGNOU B.Ed प्रवेश परीक्षा 16 मार्च 2025 को ऑफलाइन मोड में आयोजित होने वाली है. परीक्षा पूरे हिंदुस्तान में विभिन्न केंद्रों पर होगी. उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र पर अपने एडमिट कार्ड का प्रिंटआउट और एक वैध फोटो आईडी ले जाना होगा. Naya Vichar Premium Story: झारखंड में परीक्षाओं में धांधली को लेकर केंद्र से भी सख्त कानून, फिर भी थमने का नाम नहीं ले रहे पेपर लीक के मामले IGNOU Admit Card 2025 Download कैसे करें? इग्नू बी.एड प्रवेश परीक्षा 2025 एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के स्टेप्स इस प्रकार हैं- चरण 1: कैंडिडेट्स सबसे पहले इग्नू की आधिकारिक वेबसाइट ignou.ac.in पर जाएं चरण 2: होमपेज पर बी.एड एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए लिंक देखें और उस पर क्लिक करें. चरण 3: एक नया पेज खुलेगा जिसमें आपसे लॉगिन क्रेडेंशियल मांगे जाएंगे. चरण 4: आवश्यक जानकारी दर्ज करें और आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा. चरण 5: एडमिट कार्ड में दी गई जानकारी को सत्यापित करें और पेज को सेव करें. चरण 6: एडमिट कार्ड डाउनलोड करें और भविष्य के संदर्भ के लिए प्रिंटआउट लें. इग्नू बीएड प्रवेश परीक्षा 2025: पात्रता मानदंड इग्नू बीएड प्रवेश परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों को अपनी स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री में कम से कम 50% अंक प्राप्त करने होंगे. बी.एड. कार्यक्रम में प्रवेश के लिए पात्र होने के लिए आवेदकों को आमने-सामने मोड में एनसीटीई-मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम पूरा करना होगा. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बी.एड. कार्यक्रम में अंतिम प्रवेश प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवार के प्रदर्शन और मेरिट सूची में उनकी रैंक पर निर्भर करेगा. IGNOU Admit Card 2025 Download करन के लिए डायरेक्ट लिंक The post IGNOU Admit Card 2025 Download: इग्नू बीएड प्रवेश परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी, डायरेक्ट लिंक से डाउनलोड appeared first on Naya Vichar.

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Natural Glowing Skin: केमिकल प्रोडक्ट्स को कहें ना,घरेलू नुस्खों से पाएं बेदाग और ग्लोइंग स्किन

Natural Glowing Skin: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है चेहरे की रौनक भी फीकी पड़ने लगती है. लेकिन जो लोग सही डाइट और खानपान का ध्यान रखते हैं उनकी त्वचा पर उम्र का असर कम दिखाई देता है. यदि आप भी 50 साल की उम्र में अपनी सुंदरता को बनाए रखना चाहते हैं तो एक सस्ता और प्रभावी उपाय है जिसे आप आसानी से घर पर अपना सकते हैं और वह उपाय है राइस वॉटर.राइस वॉटर जो अक्सर चावल पकाते समय निकलता है. हम बिना समझे उसे फेंक देते हैं लेकिन यह स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है. राइस वॉटर का कैसे करें उपयोग चावल भिगोकर: पहले कच्चे चावलों को लगभग 40-45 मिनट के लिए पानी में भिगोकर रखें. फिर चावलों को छानकर उसका पानी अलग कर लें और इसे रुई की मदद से चेहरे पर लगाएं. चावल उबालकर : चावलों को पानी में उबालें और फिर उबाले हुए पानी को छानकर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रखें. फिर इस पानी को सुबह और शाम दोनों समय अपने चेहरे पर लगाएं. राइस वॉटर के फायदे झुर्रियों को कम करें: राइस वॉटर त्वचा से डेड स्किन हटाता है और झुर्रियों को कम करता है जिससे त्वचा की चमक बनी रहती है. नेचुरल टोनर: यह एक प्राकृतिक टोनर के रूप में काम करता है जिससे त्वचा टाइट होती है और रंगत में सुधार आता है.नियमित उपयोग से स्किन में निखार आता है. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर: राइस वॉटर में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आपकी त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं. विटामिन्स से भरपूर: इसमें विटामिन बी, सी और ए होते हैं जो त्वचा की चमक को दोगुना बढ़ा देते हैं. सन बर्न और जलन को कम करें: राइस वॉटर के इस्तेमाल से आप सन बर्न के निशान भी हटा सकते हैं और अगर त्वचा में जलन हो तो उसे भी कम किया जा सकता है. Also Read : Beauty Tips : उम्र बढ़ने के साथ ही खूबसूरत और फिट रहने के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स Also Read : Beauty Tips : अगर आपको भी चाहिए ग्लोइंग स्किन तो ऐसे रखें अपने चेहरे का ख्याल The post Natural Glowing Skin: केमिकल प्रोडक्ट्स को कहें ना,घरेलू नुस्खों से पाएं बेदाग और ग्लोइंग स्किन appeared first on Naya Vichar.

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UP School Closed: होली में उत्तर प्रदेश के स्कूलों में लंबी छुट्टी, जानें किस जिले में कितने दिन बंद रहेंगे स्कूल

UP School Closed: होली, रंगों और खुशियों का पर्व, इस साल 14 मार्च 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. यह त्योहार हिंदुस्तान के हर कोने में उल्लास और सौहार्द्र का संदेश लेकर आता है, लेकिन खासतौर पर उत्तर हिंदुस्तान में इसकी अलग ही रौनक देखने को मिलती है. लोग एक सप्ताह या दस दिन पहले से ही इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं. इस खास मौके पर देशभर के स्कूलों में अवकाश रहेगा, हालांकि हर राज्य में इसकी अवधि अलग-अलग तय की गई है. उत्तर प्रदेश में तीन दिन की छुट्टी घोषित की गई है, जबकि अन्य राज्यों में अभी इसको लेकर संशय बना हुआ है. आइए जानते हैं डिटेल में कि यूपी, बिहार और अन्य राज्यों में कितने दिन स्कूल बंद रहेंगे और कहां होली की छुट्टियों का क्या शेड्यूल है. UP में होली में कितने दिन बंद रहेंगे स्कूल ? उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन सभी प्रशासनी और सहायता प्राप्त स्कूलों में होली के अवसर पर तीन दिनों का अवकाश घोषित किया गया है. ये स्कूल 13, 14 और 15 मार्च 2025 तक पूरी तरह बंद रहेंगे. इसके अलावा, 16 मार्च को रविवार होने के कारण छात्रों और शिक्षकों को एक अतिरिक्त अवकाश मिलेगा. इस तरह, होली की छुट्टियों के कारण विद्यार्थियों को लगातार चार दिनों का ब्रेक मिलेगा. छुट्टियों के बाद, सभी स्कूल 17 मार्च 2025, सोमवार से अपने निर्धारित समय पर पुनः खुलेंगे. इस अवकाश का लाभ उठाते हुए छात्र अपने परिवार के साथ रंगों और उमंग के इस त्योहार का भरपूर आनंद उठा सकेंगे. उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा घोषित यह अवकाश सुनिश्चित करता है कि विद्यार्थी और शिक्षक होली का उत्सव हर्षोल्लास के साथ मना सकें और फिर तरोताजा होकर अपनी पढ़ाई और शिक्षण कार्य में लौटें. Also Read: Holi Special: अबीर-गुलाल से महकता आंगन, चहुंओर रौनक…रंगों का सुरूर…ऐसी थी वो बचपन वाली होली… झारखंड- बिहार में होली के लिए कितने दिनों की छुट्टी होली का पर्व पूरे हिंदुस्तान में उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है, लेकिन उत्तर हिंदुस्तान में इसकी रौनक कुछ खास होती है. बिहार और झारखंड में भी यह त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इन राज्यों में होली के दौरान गांवों और शहरों में विशेष आयोजन होते हैं, जिसमें रंग-गुलाल उड़ाने से लेकर पारंपरिक गीत-संगीत, पकवान और होलिका दहन की विशेष परंपराएं निभाई जाती हैं. होली के उत्साह को देखते हुए, बिहार और झारखंड प्रशासन ने त्योहार के लिए दो दिन का अवकाश घोषित किया है. इस दौरान राज्य के सभी प्रशासनी और निजी स्कूल बंद रहेंगे, ताकि छात्र और शिक्षक अपने परिवार के साथ इस पर्व का आनंद उठा सकें. Also Read: Essay on Holi in Hindi: होली पर निबंध आसान भाषा में…ऐसे लिखें छात्र The post UP School Closed: होली में उत्तर प्रदेश के स्कूलों में लंबी छुट्टी, जानें किस जिले में कितने दिन बंद रहेंगे स्कूल appeared first on Naya Vichar.

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Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? देखें यहां

Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स एक महत्वपूर्ण विचारक, अर्थशास्त्री और नेतृत्व विशेषज्ञ थे और उनकी किताबों ने समाजवाद और साम्यवाद के सिद्धांतों को मजबूत किया. उनकी प्रमुख किताबों में द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (1848) है और इसे उन्होंने फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर लिखा था. इसमें उन्होंने श्रमिकों से पूंजीवादी व्यवस्था को बदलने की अपील की थी. दूसरी प्रमुख किताब दास कैपिटल (1867) है और ऐसी ही अन्य किताबें हैं जिन्होंने नेतृत्व और समाज को प्रभावित किया. इसलिए इस लेख में आपको कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम (Books of Karl Marx in Hindi) बताए जा रहे हैं. कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? (Karl Marx Books in Hindi) कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? (Karl Marx Books in Hindi) इस प्रकार हैं- किताब का नाम को-राइटर प्रकाशन वर्ष द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो (The Communist Manifesto) फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) 1848 दास कैपिटल (खंड I) (Das Kapital, Volume I) कोई नहीं 1867 दास कैपिटल (खंड II) (Das Kapital, Volume II) फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) 1885 दास कैपिटल (खंड III) (Das Kapital, Volume III) फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) 1894 जर्मन विचारधारा (The German Ideology) फ्रेडरिक एंगेल्स (Friedrich Engels) 1846 नेतृत्वक अर्थशास्त्र की आलोचना (Critique of Political Economy) कोई नहीं 1859 दार्शनिकता की दरिद्रता (The Poverty of Philosophy) कोई नहीं 1847 यह भी पढ़ें- Stephen Hawking Books in Hindi: स्टीफन हॉकिंग की पुस्तकें…छात्रों के लिए विज्ञान की सरल समझ कार्ल मार्क्स का जन्म कहां हुआ था? (Karl Marx in Hindi) कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 को जर्मनी के पश्चिमी हिस्से में स्थित ट्रायर शहर में हुआ था. उस समय यह शहर प्रशिया राइनलैंड का हिस्सा था. ट्रायर का ऐतिहासिक महत्व था और यह एक रोमन बस्ती भी रही है. मार्क्स का परिवार अच्छा था क्योंकि उनके पिता एक वकील थे. मार्क्स ने अपनी शुरुआती जिंदगी ट्रायर में बिताई और इसके बाद वह अपनी पढ़ाई और काम के लिए दूसरे शहरों में गए. मार्क्स ने अपना अधिकांश जीवन पेरिस, ब्रुसेल्स और लंदन जैसे शहरों में बिताया लेकिन ट्रायर हमेशा उनके लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा. आज ट्रायर में उनके जीवन और काम से जुड़े संग्रहालय और स्थल हैं जो उनकी विरासत को याद दिलाते हैं और उनके विचारों को समझने में मदद करते हैं. यह भी पढ़ें- Khushwant Singh Books in Hindi: खुशवंत सिंह की किताबें कौन सी हैं? देखें लिस्ट में The post Karl Marx Books in Hindi: कार्ल मार्क्स की पुस्तकों के नाम क्या हैं? देखें यहां appeared first on Naya Vichar.

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Vidur Niti: विदुर नीति के अनुसार, ये 4 गुण बताते हैं कि कौन है आपका सच्चा मित्र

Vidur Niti: महाहिंदुस्तान के महान पात्र विदुर जो अपनी बुद्धिमत्ता और नीति के लिए प्रसिद्ध थे. विदुर नीति के अनुसार सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुश्किल समय में साथ निभाते हैं. विदुर नीति में दोस्ती के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा था कि कुछ लोग सिर्फ समय बिताने के लिए साथ होते हैं जबकि असली दोस्त वही होते हैं जो हर परिस्थिति में आपके साथ खड़े रहते हैं. विदुर के अनुसार असली दोस्त वही हैं जो आपको जीवन की चार महत्वपूर्ण जगहों पर साथ दें. हर कदम पर साथ चलें : सुख के समय में हर कोई दोस्त बन सकता है. जब सब कुछ अच्छा चल रहा होता है तो लोग आपकी दोस्ती का दावा करते हैं. लेकिन असली दोस्त वही होते हैं जो हर कदम पर साथ चलें.चाहे परिस्थितियां जैसी भी हों.असली दोस्ती वही होता है जो जीवन के हर मोड़ पर समर्थन और समझ दिखाता है. विपत्ति में साथ निभाना : विपत्ति के समय असली दोस्ती की परीक्षा होती है. जब आप कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं तो सच्चे दोस्त वही होते हैं जो आपको अकेला नहीं छोड़ते. यह वह लोग होते हैं जो आपके दुख में साझेदार बनते हैं और आपको संघर्ष करने की ताकत देते हैं. निर्णय लेने में मदद करना : जब जीवन में महत्वपूर्ण निर्णय लेने का समय आता है तो असली दोस्त वही होते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के आपको सही मार्गदर्शन देते हैं. वे आपके फैसलों में आपके साथ होते हैं और आपको उचित सलाह देते हैं चाहे वह फैसला सही हो या गलत. सपनों को साकार करने में साथ देना : सच्चे दोस्त वही होते हैं जो आपके सपनों को साकार करने में आपका साथ देते हैं. चाहे आपके सपने छोटे हों या बड़े असली दोस्त वही होते हैं जो आपके लक्ष्यों के लिए संघर्ष करने में आपका साथ देते हैं और आपके सफल होने की कामना करते हैं. Also Read : Vidur Niti: अगर जीवन में चाहिये पैसा और सफलता, तो इन बातों को किसी से न कहें Also Read : Vidur Niti: विदुर नीति के अनुसार, ये 5 गुण अपनाकर आप पा सकते हैं मां लक्ष्मी की कृपा Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. नया विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है. The post Vidur Niti: विदुर नीति के अनुसार, ये 4 गुण बताते हैं कि कौन है आपका सच्चा मित्र appeared first on Naya Vichar.

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CGPSC SSE Prelims Result Out: छत्तीसगढ़ PCS प्रीलिम्स परीक्षा का परिणाम जारी, 3737 उम्मीद्वार हुए शॉर्टलिस्ट

CGPSC SSE Prelims Result Out: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने राज्य सेवा परीक्षा 2024 के प्रीलिम्स का परिणाम जारी कर दिया है. परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थी अपना रिजल्ट आयोग की आधिकारिक वेबसाइट psc.cg.gov.in पर देख सकते हैं. इस परीक्षा में कुल 3737 अभ्यर्थी सफल हुए हैं, जिन्हें मुख्य परीक्षा के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है. आयोग के अनुसार, प्रीलिम्स परीक्षा के आधार पर कुल पदों का 15 गुना यानी 3690 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चुना जाना था, लेकिन कैटेगरी वाइज अभ्यर्थियों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए कुल 3737 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. ऐसे में यहां देखें परिणाम चेक करने की प्रक्रिया और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां. कैसे चेक करें CGPSC SSE Prelims का परिणाम ? सबसे पहले छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट psc.cg.gov.in पर जाएं. होमपेज पर रिजल्ट सेक्शन में जाएं और उस पर क्लिक करें. इसके बाद रिजल्ट का पीडीएफ स्क्रीन पर खुल जाएगा. रिजल्ट पीडीएफ डाउनलोड करें और भविष्य की जरूरत के लिए इसका प्रिंटआउट निकाल लें. कब हुई थी परीक्षा ? छत्तीसगढ़ पीसीएस प्रीलिम्स परीक्षा का आयोजन 9 फरवरी 2025 को दो शिफ्टों में किया गया था—पहली शिफ्ट सुबह 10 से 12 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक. इस भर्ती अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के विभिन्न प्रशासनी विभागों में कुल 246 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी, जिसमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और आबकारी सब-इंस्पेक्टर जैसे पद शामिल हैं. Also Read: SSC MTS Result: किसी भी समय जारी हो सकता है SSC MTS रिजल्ट, चेक करने के लिए अपनाएं ये तरीका 1.5 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने किया था आवेदन छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) के अनुसार, प्रीलिम्स परीक्षा के लिए 1.58 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, लेकिन इनमें से केवल 3737 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए हैं. अब इन चयनित उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में शामिल होना होगा, जो 26, 27, 28 और 29 जून 2025 को आयोजित की जाएगी. मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया कब शुरू होगी, इसकी जानकारी आयोग बाद में जारी करेगा. मुख्य परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को इंटरव्यू प्रक्रिया के लिए बुलाया जाएगा. अंत में, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यु के प्रदर्शन के आधार पर उम्मीदवारों का अंतिम चयन किया जाएगा. Also Read: MP Budget 2025: IIT इंदौर के बाद मध्य प्रदेश को मिला नए IIT का तोहफा, मोहन यादव की प्रशासन का बड़ा ऐलान The post CGPSC SSE Prelims Result Out: छत्तीसगढ़ PCS प्रीलिम्स परीक्षा का परिणाम जारी, 3737 उम्मीद्वार हुए शॉर्टलिस्ट appeared first on Naya Vichar.

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Khushwant Singh Books in Hindi: खुशवंत सिंह की किताबें कौन सी हैं? देखें लिस्ट में

Khushwant Singh Books in Hindi: खुशवंत सिंह एक प्रख्यात हिंदुस्तानीय लेखक, पत्रकार, वकील और नेतृत्वज्ञ थे. उनका जन्म 2 फरवरी 1915 को पंजाब के हदाली गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. वह अपनी ऐतिहासिक कृति ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं जो 1956 में प्रकाशित हुई थी. लेखन के अलावा वे एक कुशल इतिहासकार, समाजशास्त्री और नेतृत्वक विश्लेषक भी थे. उन्होंने जीवनभर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखीं जिन्हें विद्यार्थियों को पढ़ना चाहिए, इसलिए इस लेख में आपके लिए खुशवंत सिंह की पुस्तकों (Khushwant Singh Books in Hindi) के बारे में बताया जा रहा है. खुशवंत सिंह की किताबें (Books of Khushwant Singh in Hindi) खुशवंत सिंह की किताबें (Khushwant Singh Books in Hindi) इस प्रकार हैं- किताब राइटर प्रकाशन वर्ष जानकारी Train to Pakistan Khushwant Singh 1956 यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो हिंदुस्तान के विभाजन के दौरान मानव पीड़ा और संघर्ष को दर्शाता है. Delhi: A Novel Khushwant Singh 1990 यह एक जीवंत कथा जो इतिहास और कल्पना को मिलाकर दिल्ली के सांस्कृतिक और नेतृत्वक धरोहर की पड़ताल करती है. The Company of Women Khushwant Singh 1999 एक उपन्यास जो एक आदमी के जीवन और स्त्रीओं के साथ उसके संबंधों के माध्यम से प्रेम, अकेलेपन और मानवीय इच्छाओं की खोज करता है. The Sunset Club Khushwant Singh 2005 एक समूह वृद्ध पुरुषों की कहानी जो जीवन, बुढ़ापे और समाज पर उनके दर्शन के बारे में चर्चा करने के लिए मिलते हैं. Randeep Singh: The Man Who Loved Women Khushwant Singh 1993 एक उपन्यास जो एक आदमी और विभिन्न स्त्रीओं के साथ उसके भावनात्मक और जटिल रिश्तों को दर्शाता है. Truth, Love & a Little Malice Khushwant Singh 2002 एक आत्मकथा जिसमें खुशवंत सिंह अपने व्यक्तिगत अनुभवों, विचारों और जीवन, प्रेम और लेखन यात्रा पर अपने विचार साझा करते हैं. यह भी पढ़ें- Stephen Hawking Books in Hindi: स्टीफन हॉकिंग की पुस्तकें…छात्रों के लिए विज्ञान की सरल समझ खुशवंत सिंह के बारे में (Khushwant Singh in Hindi) खुशवंत सिंह हिंदुस्तान के प्रसिद्ध लेखक थे. उनका जन्म 2 फरवरी 1915 को लाहौर, पाकिस्तान में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन से कानून की डिग्री प्राप्त की. खुशवंत सिंह ने अपनी करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की थी. 1942 में उन्होंने “द हिंदू” अखबार से अपना काम शुरू किया. इसके बाद वह एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, और साहित्यिक व्यक्ति के रूप में जाने गए. उनके द्वारा लिखी गई कहानियां, उपन्यास, निबंध और कविताएं समाज पर गहरा असर डालने वाली थीं. खुशवंत सिंह के प्रमुख उपन्यासों में “ट्रेन टू पाकिस्तान”, “इंदिरा गांधी: द डेथ ऑफ मदर इंडिया”, “ए वुमन एंड ए पैलेस”, और “द लास्ट लीफ” शामिल हैं. साहित्य में उनके योगदान को देखकर उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे बड़े पुरस्कार मिले. खुशवंत सिंह का निधन 20 मार्च 2014 को 99 वर्ष की उम्र में दिल्ली में हुआ था. यह भी पढ़ें- Best Book for Neet in Hindi 2025: NEET 2025 के लिए सर्वश्रेष्ठ किताबें…जो आपकी तैयारी बनाएंगी आसान The post Khushwant Singh Books in Hindi: खुशवंत सिंह की किताबें कौन सी हैं? देखें लिस्ट में appeared first on Naya Vichar.

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Orange Rasgulla Recipe: घर पर ऐसे बनाएं टेस्टी और जूसी संतरे वाले रसगुल्ले

Orange Rasgulla Recipe:  मीठे में रसगुल्ला तो आपने कई बार खाया होगा, लेकिन क्या आपने कभी ऑरेंज रसगुल्ला ट्राई किया है? यह एक अनोखा ट्विस्ट है जो रसगुल्ले को संतरे के फ्लेवर से भर देता है.  संतरे की खुशबू और रसगुल्ले की नर्माहट इसे और भी खास बना देती है.  इसे बनाना बेहद आसान है और यह त्योहारों या खास मौकों के लिए परफेक्ट मिठाई हो सकती है.  तो आइए जानते हैं ऑरेंज रसगुल्ला बनाने की आसान रेसिपी. Orange Rasgulla Recipe: ऑरेंज रसगुल्ला बनाने की सामग्री Orange rasgulla recipe: घर पर ऐसे बनाएं टेस्टी और जूसी संतरे वाले रसगुल्ले छेना बनाने के लिए: 1 लीटर फुल क्रीम दूध 2 बड़े चम्मच नींबू का रस या सिरका 1 कप ठंडा पानी रसगुल्ले के लिए: 1 कप संतरे का रस (फ्रेश जूस या डिब्बाबंद) 2 कप चीनी 4 कप पानी 2-3 इलायची (क्रश करके) 1 चुटकी केसर 1 छोटा चम्मच संतरे का एसेंस (वैकल्पिक) Orange Rasgulla Recipe: ऑरेंज रसगुल्ला बनाने की विधि Orange rasgulla recipe: घर पर ऐसे बनाएं टेस्टी और जूसी संतरे वाले रसगुल्ले 1. छेना तैयार करें सबसे पहले दूध को उबाल लें और उसमें नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाएं. जब दूध फट जाए, तो इसे एक सूती कपड़े से छान लें और ठंडे पानी से धो लें ताकि खट्टापन निकल जाए. अब छेने को हल्के हाथों से दबाकर अतिरिक्त पानी निकाल दें और 15-20 मिनट के लिए कपड़े में बांधकर टांग दें. 2. रसगुल्लों के लिए डो तैयार करें छेना तैयार होने के बाद इसे एक प्लेट में निकालकर अच्छी तरह 5-7 मिनट तक गूंध लें, जब तक यह स्मूद और सॉफ्ट न हो जाए. अब इसे छोटे-छोटे बराबर आकार की लोइयों में बांट लें और गोल रसगुल्ले बना लें. 3. चाशनी तैयार करें एक बड़े पैन में 2 कप चीनी और 4 कप पानी डालकर उबालें. जब चीनी पूरी तरह घुल जाए, तो इसमें संतरे का रस, इलायची, केसर और संतरे का एसेंस डालें. अब इसमें तैयार किए गए रसगुल्ले डालें और ढककर धीमी आंच पर 15-20 मिनट तक पकाएं. जब रसगुल्ले साइज में बड़े हो जाएं और हल्के होकर ऊपर तैरने लगें, तो गैस बंद कर दें. 4. ठंडा करें और सर्व करें रसगुल्लों को कम से कम 3-4 घंटे तक चाशनी में ही रहने दें, जिससे वे पूरी तरह से फ्लेवर सोख लें. अब इन्हें ठंडा करके सर्व करें और संतरे के फ्लेवर का मजा लें. अगर आप ज्यादा फ्लेवर चाहते हैं, तो संतरे के छिलके का हल्का सा जेस्ट भी डाल सकते हैं. चाशनी को ज्यादा गाढ़ा न करें, नहीं तो रसगुल्ले पूरी तरह उसमें भीग नहीं पाएंगे. ऑरेंज रसगुल्ला एक टेस्टी और इनोवेटिव मिठाई है, जो पारंपरिक रसगुल्ले से अलग और खास लगती है.  इसे घर पर बनाना बहुत आसान है और यह सभी को पसंद आएगी.  तो इस बार कुछ नया ट्राई करें और घरवालों को ऑरेंज रसगुल्ला खिलाकर सरप्राइज दें! Also Read: Rose Barfi Recipe: होली पर घर में बनाएं यह खास मिठाई गुलाब बर्फी   Also Read: Apple Halwa Recipe: बेहद ही आसानी से तैयार हो जाता है ये एप्पल हलवा जानें झटपट रेसिपी Also Read: Coconut Motichoor Laddoo Recipe: लड्डू इतने स्वादिष्ट कि एक बार चखकर दोबारा मांगेंगे मेहमान The post Orange Rasgulla Recipe: घर पर ऐसे बनाएं टेस्टी और जूसी संतरे वाले रसगुल्ले appeared first on Naya Vichar.

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मुगल राजदरबार में अकबर ने शुरू कराया था होली का जश्न, औरंगजेब ने लगा दिया था प्रतिबंध

Table of Contents अकबर के दरबार में होली जहांगीर ने भी होली को दिया बढ़ावा शाहजहां के काल में होली बनी ईद –ए–गुलाबी विदेशी लेखकों ने भी किया मुगल काल की होली का जिक्र औरंगजेब ने हिंदू त्योहारों पर लगाया प्रतिबंध Holi of Mughal Period :“कान्हा पिचकारी रसिया गुलाल बरसै, गोपिन के संग स्पोर्ट्सें रसखान पिचकारी।” यह पंक्तियां हैं प्रसिद्ध कवि रसखान की, जो अकबर के समकालीन थे. रसखान इस्लाम धर्म को मानने वाले थे, लेकिन उन्होंने कविताएं कृष्ण की भक्ति में लिखीं. यह उदाहरण है उस वक्त के समाज की जिसमें हिंदू–मुसलमान एक साथ आ रहे थे और होली का त्योहार मनाया जा रहा था. मुगल बादशाहों में अकबर एक ऐसे राजा थे जिन्होंने हिंदुओं के प्रति थोड़ी रहमदिली की और उनके पर्व–त्योहारों को भी महत्व दिया. अकबर की सबसे प्रमुख रानी का दर्जा पाने वाले जोधाबाई के साथ बादशाह अकबर के होली स्पोर्ट्सने की कहानियां बहुत प्रचलित हैं. अकबर के दरबार में होली अकबर और जोधाबाई की होली मुगल शासकों में अकबर सबसे सहिष्णु शासक थे और उनके बारे में अबुल फजल ने आइने अकबरी में लिखा है कि अकबर के दरबार में होली मनाई जाती थी. वे अपनी रानियों के साथ भी हरम में होली स्पोर्ट्सते थे, जिनमें जोधाबाई का नाम सबसे पहले आता है. होली के अवसर पर राजदरबार में उत्सव होता था और अकबर महल से बाहर आकर आम लोगों के साथ भी होली स्पोर्ट्सते थे.  इतिहासकार इरफान हबीब भी मुगल काल की होली का वर्णन करते हैं वे लिखते हैं कि अकबर ने ‘सुलेह-ए-कुल’ यानी सर्वधर्म समभाव की नीति को अपनाया और सभी धर्मों के त्योहारों में भाग लिया. होली के मौके पर राजदरबार में गुलाल से होली स्पोर्ट्सी जाती थी, नृत्य– संगीत और काव्यपाठ का आयोजन किया जाता था.  जहांगीर ने भी होली को दिया बढ़ावा जहांगीर एक हिंदू मां के बेटे थे और उन्होंने भी अपने समय में अपने राजदरबार में होली जैसे त्योहार को खूब प्रोत्साहित किया. इतिहासकार बताते हैं कि जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में होली के त्योहार का जिक्र किया है. उनकी प्रिय रानी नूरजहां भी होली के त्योहार में शिरकत करती थीं, जबकि वे मुस्लिम थीं. जहांगीर के काल के जो पेंटिंग्स उपलब्ध हैं उनमें भी जहांगीर को होली स्पोर्ट्सते हुए दिखाया गया है, जो यह साबित करता है कि जहांगीर हिंदू त्योहारों के प्रति प्रेम रखते थे. उनकी कई रानियां भी हिंदू थीं, जिनके साथ हरम में होली होती थी. पढ़ें नया विचार की प्रीमियम स्टोरी :पीएम मोदी का मॉरीशस में बिहारी गीत-गवई से स्वागत- ‘राजा के सोभे ला माथे, सैकड़ों साल पुरानी परंपरा में जीवित संस्कृति संपत्ति पर आदिवासी स्त्रीओं के अधिकार, क्या कहता है देश का कानून और कस्टमरी लाॅ Magadha Empire : वैशाली की नगरवधू आम्रपाली, जिसके प्रेमसंबंध मगध के राजाओं से थे ; उसने संन्यास क्यों लिया? विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें शाहजहां के काल में होली बनी ईद –ए–गुलाबी मुगल बादशाह शाहजहां ने भी होली के त्योहार को उत्सव की तरह मनाया. उनके शासनकाल के दौरान राजदरबार में होली का उत्सव ईद–ए–गुलाबी के नाम से जाना जाता था. इस त्योहार को राजदरबार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग साथ मनाते थे. अब्दुल हामिद लाहौरी की किताब पादशाहनामा और शाहजहांनामा दोनों में ही इस बात का उल्लेख मिलता है कि शाहजहां के शासनकाल में होली मनाई जाती थी. मुगल काल की कलाकृतियों में भी होली का जिक्र मिलता है और शाहजहां द्वारा आयोजित किए जाने उत्सवों का वर्णन मिलता है. होली बनी ईद –ए–गुलाबी विदेशी लेखकों ने भी किया मुगल काल की होली का जिक्र फ्रांसीसी चिकित्सक और यात्री François Bernier ने अपनी पुस्तक Travels in the Mughal Empire में मुगल दरबार की होली का जिक्र किया है और बताया है कि किस तरह उस वक्त होली स्पोर्ट्सी जाती थी. निकोलाओ मनुची ने भी मुगल कालीन समाज और परंपराओं का जिक्र करते हुए होली का वर्णन किया है.  औरंगजेब ने हिंदू त्योहारों पर लगाया प्रतिबंध मुगल शासकों में औरंगजेब एक ऐसा शासक था, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि उसने हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया और हिंदुओं पर अत्याचार किया. कई इतिहासकार यह मानते हैं कि औरंगजेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किया उनपर जजिया कर दोबारा से लगाया, जिसे अकबर ने बंद करा दिया था. इतिहासकार यदुनाथ प्रशासन और सतीश चंद्र ने इस बात का उल्लेख अपनी किताबों में किया है. औरंगजेब के हिंदू राजाओं के साथ भी अच्छे संबंध नहीं थे, जिसकी वजह हिंदुओं पर अत्याचार ही था. औरंगजेब के शासनकाल में राजदरबार में होली मनाई जाती हो, इसका कोई प्रमाण भी ना मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि उसने इस त्योहार पर प्रतिबंध लगाया. पढ़ें नया विचार की प्रीमियम स्टोरी :Mughal Harem Stories : अपने हुस्न और चतुराई से नूरजहां ने जहांगीर को कदमों में रखा और बनी मलिका ए हिंद The post मुगल राजदरबार में अकबर ने शुरू कराया था होली का जश्न, औरंगजेब ने लगा दिया था प्रतिबंध appeared first on Naya Vichar.

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अब उत्पाद सिपाही बहाली में अभ्यर्थियों को नहीं दौड़ना होगा 10 किलोमीटर, झारखंड कैबिनेट की बैठक में फैसला

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड कैबिनेट की बैठक गुरुवार को संपन्न हो गयी है. बैठक में उत्पाद सिपाही की दौड़ में संशोधन करने समेत कुल 31 प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है. संशोधित नियमों के मुताबिक अब अभ्यर्थियों को उत्पाद सिपाही बहाली की दौड़ में 10 किलोमीटर नहीं दौड़ना होगा. इसके बजाय उन्हें 1600 किमी की दौड़ 6 मिनट में पूरी करनी होगी. मंत्रीमंडल की मीटिंग में खनिजों पर भी सेस दर बढ़ाने का फैसला लिया गया है. The post अब उत्पाद सिपाही बहाली में अभ्यर्थियों को नहीं दौड़ना होगा 10 किलोमीटर, झारखंड कैबिनेट की बैठक में फैसला appeared first on Naya Vichar.

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