Hot News

March 25, 2025

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

शहादत दिवस : 25 मार्च : कायरों की तरह नहीं जीना चाहते थे गणेशशंकर विद्यार्थी

Ganesh Shankar Vidyarthi: इस देश में स्वतंत्रता के आराधकों की लंबी परंपरा में गणेशशंकर विद्यार्थी का नाम अलग से रेखांकित किया जाता है, क्योंकि वह मतभेद या विचारभेद को स्वतंत्रता संघर्ष के आड़े आने देने के खिलाफ थे. वह कहते थे कि स्वतंत्रता का लक्ष्य पाने के लिए संघर्ष के औजार व हथियार परिस्थितियों के अनुसार अपनाये व बदले जा सकते हैं. कानपुर को कर्मभूमि बनाने और मजदूर नेता के रूप में सार्वजनिक जीवन शुरू करने के साथ वह लेखक/पत्रकार और ‘प्रताप’ (पहले साप्ताहिक, फिर दैनिक) के संपादक व संचालक बने, तो भी उन्होंने कांग्रेस या महात्मा गांधी के अहिंसक और क्रांतिकारियों के सशस्त्र क्रांतिकारी संघर्षों का एक जैसा समर्थन किया. उनका सारा जोर इस पर था कि स्वतंत्रता संघर्ष के जितने भी रास्ते हो सकते हों, उनमें किसी को भी वीरान न रहने दिया जाये और परिस्थिति के अनुसार हर तरह की रणनीतियां इस्तेमाल की जायें. उनके निकट अहिंसा भी एक रणनीति थी और सशस्त्र संघर्ष भी. जब तक वह रहे, कानपुर स्थित ‘प्रताप’ कार्यालय क्रांतिकारियों द्वारा पहचान छिपाकर रहने, छद्म नाम से लिखने व काम करने का केंद्र बना रहा. ‘प्रताप’ ने महात्मा गांधी, कांग्रेस और किसानों के अहिंसक आंदोलनों को भरपूर प्रोत्साहन से भी मुंह नहीं मोड़ा. इससे चिढ़ी गोरी प्रशासन के दमन व उत्पीड़न के विरुद्ध विद्यार्थी जी ने जैसा निर्भय व दो टूक दृष्टिकोण अपनाया और बदले में अनेक प्रशासनी कोप झेले, उसकी दूसरी मिसाल दुर्लभ है. उस दौर में भागलपुर में स्वतंत्रता सेनानी बटुकदेव शर्मा को बढ़ती पुलिस सरगर्मी के बीच अपने पकड़े जाने का अंदेशा सताने लगा और एक शुभचिंतक के कहने पर उन्होंने गुप्त पत्र लिखकर विद्यार्थी जी से छिपने का ठौर मांगा, तो विद्यार्थी जी ने उन्हें ‘प्रताप’ कार्यालय के उस खास कमरे में छिपाया, जिसमें किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी. उन दिनों जो भी युवक स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ना चाहता था, विद्यार्थी जी उसकी मदद करते थे. वर्ष 1924 में जब भगत सिंह अपने परिजनों के शादी कर लेने के दबाव से नाराज हुए और क्रांतिकारी बनने के इरादे से घर छोड़कर विद्यार्थी जी के पास पहुंचे, तो उन्होंने उनसे कहा, ‘देखो लड़के, आजादी की चाहत ऐसी है, मानो कोई परवाना शमा पर फना हो जाना चाहता हो. जलती हुई शमा में एक बार दाखिल हो गये, तो यह उम्मीद मत रखना कि बाकियों के पास जाकर उन्हें भी शमा तक लेकर आऊंगा. एक बार जलने की ठान ली, तो वापसी का रास्ता बंद कर लेना ही ठीक है.’ अपना नाम बलवंत सिंह रखकर भगत सिंह ढाई वर्ष तक ‘प्रताप’ में काम करने लगे. वहीं उनकी बटुकेश्वर दत्त, चंद्रशेखर आजाद और बिजॉय कुमार सिन्हा जैसे क्रांतिकारियों से मुलाकात हुई. जब 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह के साथ सुखदेव व राजगुरु शहीद हुए, तो उद्वेलित कानपुरवासियों ने गोरी सत्ता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कांग्रेस के बंद के आह्वान के बीच अंग्रेज कलेक्टर ने देखा कि स्थिति कर्फ्यू लगाने के बावजूद नियंत्रण में नहीं आ रही, तो उसने सीआइडी को सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का निर्देश दे दिया. ‘प्रताप बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध विद्यार्थी जी के लिए परिस्थितियों के समक्ष आत्मसमर्पण करके चुपचाप घर में बैठे रहना मुमकिन नहीं हुआ, तो अमन-चैन बहाली के बहुविध प्रयत्न करते हुए 25 मार्च की सुबह वह डिप्टी कलेक्टर के पास गये और सांप्रदायिक तत्वों पर अंकुश लगाने को कहा. इससे पहले ऐसे ही एक मौके पर सांप्रदायिकता भड़की, तो प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई कर बात को बिगड़ने से बचा लिया था. लेकिन विद्यार्थी जी ने पाया कि इस बार उसके सुर बदले हुए हैं. वहां से निराश होकर वह गिनती के सहयोगियों के साथ मारकाट रोकने और निर्दोषों को बचाने निकल पड़े. कई जगह वह ऐसा करने में सफल भी हुए, पर उसके बाद हालात की भयावहता को देखकर उनके सहयोगियों की हिम्मत भी पस्त हो गयी और वे उन्हें एकदम से अकेला कर गये. इसके बावजूद वह पूरी निर्भयता से दंगाइयों को समझाते-बुझाते और रोकते रहे. तभी उन पर प्राणांतक हमला हुआ. कुछ भी कर गुजरने पर आमादा दोतरफा भीड़ के बीच वह फंस गये, तो कुछ शुभचिंतक उनकी रक्षा के लिए उन्हें एक अपेक्षाकृत सुरक्षित गली में ले जाना चाह रहे थे. लेकिन वह यह कहते हुए दोनों तरफ की भीड़ को समझाने-बुझाने में लगे रहे कि अपनी जान बचाने के लिए कायरों की तरह भागना क्या, एक न एक दिन तो सबको मर ही जाना है. इसी के बाद एक तरफ की भीड़ उन पर हमलावर हो उठी और उन पर होने वाले प्रहारों की गिनती ही नहीं रह गयी. कई दिनों बाद दंगा थमा, तो उनका पार्थिव शरीर एक अस्पताल में लाशों के ढेर में मिला. उनके खादी के कपड़ों से ही उन्हें पहचाना जा सका था.(ये लेखक के निजी विचार हैं.) The post शहादत दिवस : 25 मार्च : कायरों की तरह नहीं जीना चाहते थे गणेशशंकर विद्यार्थी appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

Masked Aadhaar Card: OYO रूम जाने से पहले आधार कार्ड के साथ करें ये जरूरी काम, आपकी पहचान रहेगी गोपनीय

अगर आप यात्रा के दौरान OYO रूम या किसी अन्य होटल में ठहरने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अपनी सुरक्षा के लिए कुछ खास सावधानियां बरतनी चाहिए. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है आधार कार्ड का सही उपयोग, खासकर Masked Aadhaar Card का. आइए जानते हैं कि यह क्यों जरूरी है और इसे कैसे डाउनलोड कर सकते है.  Masked Aadhaar Card क्या है? Masked Aadhaar Card आपकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए जारी किया गया एक सुरक्षित वर्ज़न है. इसमें आपके आधार नंबर के केवल अंतिम चार अंक ही दिखाई देते हैं, जिससे आपकी गोपनीय जानकारी सुरक्षित रहती है. Masked Aadhaar Card कैसे डाउनलोड करें? UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं. “Download Aadhaar” सेक्शन पर क्लिक करें. अपना 12 अंकों का आधार नंबर, नाम और पिन कोड दर्ज करें. “Masked Aadhaar” विकल्प को चुनें. OTP दर्ज कर वेरिफिकेशन पूरा करें. डाउनलोड करने के बाद, फाइल को खोलने के लिए पासवर्ड (आपके नाम के पहले चार अक्षर और जन्म वर्ष) का उपयोग करें. OYO रूम में Masked Aadhaar Card का उपयोग कैसे करें? चेक-इन के समय होटल स्टाफ को Masked Aadhaar Card दिखाएं. यदि डिजिटल कॉपी दिखा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि PDF फाइल सुरक्षित है. अपनी सुरक्षा के लिए आधार कार्ड की हार्ड कॉपी पर “For Hotel Use Only” लिखना भी एक अच्छा उपाय है. Masked Aadhaar Card का महत्व OYO रूम या अन्य होटलों में चेक-इन के समय पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड देना आम बात है. हालांकि, सामान्य आधार कार्ड में आपकी पूरी व्यक्तिगत जानकारी होती है, जिसे गलत हाथों में जाने से बचाना बेहद जरूरी है. Masked Aadhaar Card का उपयोग करने के कई फायदे है जैसे- गोपनीयता की सुरक्षा: इसमें केवल अंतिम चार अंक ही दिखते हैं, जिससे आपकी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रहती है. धोखाधड़ी से बचाव: आधार नंबर के दुरुपयोग की आशंका कम हो जाती है. आसान स्वीकार्यता: OYO सहित अधिकांश होटल Masked Aadhaar Card को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं. Also Read: हिंदुस्तान का एक ऐसा राज्य जहां करोड़पति होने के बावजूद लोगों को 1 रुपये का भी टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है The post Masked Aadhaar Card: OYO रूम जाने से पहले आधार कार्ड के साथ करें ये जरूरी काम, आपकी पहचान रहेगी गोपनीय appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

बिहार कांग्रेस में होगा बड़ा सांगठनिक बदलाव, अब जिला और प्रखंड में अध्यक्ष बदलने की तैयारी

Bihar Congress: पटना. बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस फुल एक्टिव मोड में आ गई है. पहले बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष बदल गए, अब पार्टी की तैयारी कमजोर जिला और प्रखंड कमेटी बदलने की है. इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रभारी अल्लावरू और सह प्रभारियों की उपस्थिति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस बैठक में कमजोर जिला और खंड कमेटी बदलने के लिए 31 मार्च तक केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट देने की बात हुई. बैठक में पार्टी की 17 विधायक, जिला अध्यक्ष सहित सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे. सभी वर्गों की होगी हिस्सेदारी, लेकिन महत्वपूर्ण होगा जनाधार बिहार कांग्रेस प्रभारी नियुक्ति किए गए कृष्णा अल्लावरू बीते कुछ दिनों बिहार में डेरा डाले हैं. इससे पहले भी वो कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में जनाधार वाले व्यक्ति को ही तरजीह दी जाएगी. इसलिए कांग्रेस मुख्यालय का गणेश परिक्रमा करने के बजाए लोगों के बीच जाकर काम करें. साथ ही संगठन को मजबूत बनाएं. कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि टिकट में भी सभी वर्गों की हिस्सेदारी होगी, लेकिन जनाधार महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी साफ कह चुके हैं कि छह – आठ महीने में लड़ाई कम और काम ज्यादा करना है. अब टिकट लेकर जीतकर आना बहुत जरूरी अब टिकट लेकर जीतकर आना बहुत जरूरी है. नहीं तो जो 2020 में जो हुआ वह सबके सामने है. हम 70 पर लड़े और मात्र 19 जीते. इसलिए अपने बीच से उन साथियों को आगेबढ़ाएं, जिनका जनाधार है. उनको आगेमत बढ़ाएं जो जनता के बीच नहीं, सदाकत आश्रम में आकर स्वागत करते रहते हैं, अगर आपको परिक्रमा करनी है, परिश्रम करनी है तो फील्ड में जनता के बीच जा कर करें, पार्टी खुद ढूंढ़ कर ऐसे लोगों को टिकट देगी. उन्होंने कहा कि हमें संगठन को भी मजबूत करना है, क्योंकि कोई भी उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव जीत नहीं सकता. उन्होंने नसीहत दी कि आनेवाले समय में जो भी कार्यक्रम हो, किसी जिले या प्रखंड में करें. Also Read: अगले तीन माह में नक्सलमुक्त होगा बिहार, पुलिस मुख्यालय ने तैयार किया एक्शन प्लान The post बिहार कांग्रेस में होगा बड़ा सांगठनिक बदलाव, अब जिला और प्रखंड में अध्यक्ष बदलने की तैयारी appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

Auraiya Murder : शादी के 15 दिन बाद पति को मरवा दी गोली, पत्नी के प्रेमी ने दिया साथ

Auraiya Murder : मेरठ में सौरभ राजपूत हत्याकांड की तरह औरैया जिले में भी इससे मिलता-जुलता मामला देखने को मिला. सहार क्षेत्र में एक व्यक्ति की उसकी पत्नी ने ही अपने प्रेमी की मदद से सुपारी देकर हत्या करवा दी. पुलिस ने इस मामले में आरोपी पत्नी, उसके प्रेमी और पैसे लेकर हत्या करने वाले अपराधी को गिरफ्तार कर लिया है. औरैया जिले के सहार थाना क्षेत्र की यह घटना 25 साल के दिलीप यादव और 22 साल की प्रगति यादव की शादी के बमुश्किल 15 दिन बाद 19 मार्च को हुई. सहार थाना के प्रभारी पंकज मिश्रा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, “घटना वाले दिन 19 मार्च को पुलिस को सूचना मिली कि एक युवक खेत में घायल अवस्था में पड़ा है. पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को इलाज के लिए बिधूना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया और परिजनों को घटना की जानकारी दी गई.” यह भी पढ़ें : खिलाड़ी नहीं नीता अंबानी ने ‘हीरा’ खरीदा है, गेंद से बल्लेबाज छलनी, तो संस्कार से पब्लिक का दिल, देखें Video आगे उन्होंने बताया, ‘‘दिलीप को 19 मार्च की रात सैफई अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद उसे ग्वालियर और फिर 19 मार्च को आगरा ले जाया गया. हालत गंभीर होने पर परिजनों ने उसे 20 मार्च को औरैया के एक अस्पताल में भर्ती कराया. अगले दिन 21 मार्च की रात उसकी मौत हो गई. इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया.’’ दिलीप की हत्या के लिए दो लाख रुपये की सुपारी दी गई पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हत्यारों की पहचान की गई. उन्होंने बताया कि आरोपियों की पहचान दिलीप यादव की पत्नी प्रगति यादव, उसके प्रेमी अनुराग उर्फ ​​मनोज और रामजी चौधरी के रूप में हुई है. पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिजीत आर. शंकर ने बताया कि प्रगति और उसके प्रेमी अनुराग उर्फ ​​मनोज ने मिलकर दिलीप की हत्या की साजिश रची थी. एसपी ने बताया कि आरोपियों ने दिलीप की हत्या के लिए रामजी चौधरी को दो लाख रुपये की सुपारी दी थी. दिलीप के साथ मारपीट के बाद गोली मारी गई एसपी ने बताया कि चौधरी ने दिलीप को धोखे से बुलाया और मोटरसाइकिल पर बैठा कर खेतों की तरफ ले गया, जहां उसने दिलीप के साथ मारपीट की और गोली मार दी. इसके बाद वह दिलीप को मरा समझकर फरार हो गया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिलीप की शादी इसी महीने पांच मार्च को प्रगति के साथ हुई थी। प्रगति का प्रेम प्रसंग गांव के ही अनुराग से था. प्रगति और उसके प्रेमी ने मिलकर दिलीप को रास्ते से हटाने की साजिश रची और अछल्दा निवासी रामजी चौधरी को दो लाख रुपये की सुपारी देकर दिलीप की हत्या का काम सौंपा. The post Auraiya Murder : शादी के 15 दिन बाद पति को मरवा दी गोली, पत्नी के प्रेमी ने दिया साथ appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

ग्रामीण भारत को मनरेगा से मिला है लाभ

MGNREGA: इस वर्ष संसद द्वारा पारित एक शानदार वैधानिक अधिकार के बीस साल पूरे हो रहे हैं. यह काम या रोजगार का अधिकार है. यह 23 अगस्त, 2005 को संसद से पारित होने के बाद कानून बना, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम नाम दिया गया. इसके तरह ग्रामीण हिंदुस्तान के परिवारों के एक कौशलविहीन सदस्य को साल में सौ दिन काम देने का प्रावधान है. इसका एक तिहाई स्त्रीओं के लिए आरक्षित किया गया है. यह रोजगार आवेदक के घर से पांच किलोमीटर तक की परिधि में दिये जाने का प्रावधान है. यह दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक रोजगार कार्यक्रम है. शुरुआती आलोचनाओं के बावजूद विश्व बैंक जैसी संस्था ने इसे शानदार विकास कार्य बताया है. विकसित देशों में एक बेरोजगार स्त्री या पुरुष रोजगार दफ्तर में अपना पंजीयन कराता है, और रोजगार तलाशने के दौरान उसे बेरोजगारी भत्ता मिलता है. हिंदुस्तान में ऐसी व्यवस्था नहीं है, क्योंकि श्रम बाजार संगठित नहीं है. इसकी जगह हमारे यहां मनरेगा जैसी योजना है, जो ग्रामीण आबादी को कवर करती है. इसके तहत काम की मांग सूखे और अकाल के दौरान बहुत बढ़ जाती है. इसके तहत काम की मांग तब घट जाती है, जब श्रम बाजार की स्थिति सुधरती है और कृषि क्षेत्र में श्रम की मांग बढ़ जाती है. इस योजना के तहत रोजगार की मांग घटना अच्छी निशानी है. अगर यह योजना अनावश्यक हो जाये, तो उसका अर्थ होगा कि ग्रामीण हिंदुस्तान में रोजगार की कमी नहीं रही. पर फिलहाल ये दोनों ही स्थितियां नहीं हैं. कोविड के दौरान मनरेगा में काम की मांग बेतहाशा बढ़ी. वर्ष 2020-21 में इस मद में प्रशासनी खर्च उसके बजटीय आवंटन से दोगुना बढ़कर करीब 1.2 लाख करोड़ हो गया था, और लोगों को सालाना 300 दिन तक का रोजगार दिया गया था. मनरेगा आर्थिक परेशानियों के समय रोजगार देता है. इसमें दी जाने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से जुड़ी है, यानी यह गरीबी मिटाने की योजना की तरह काम करता है. चूंकि इसमें स्त्रीओं की भागीदारी अधिक है, लिहाजा यह स्त्री सशक्तिकरण को अंजाम देने के साथ उसे स्वायत्तता भी देता है. अनेक जगह कार्यस्थलों पर क्रैच की सुविधा है, जिससे कम उम्र की विवाहिताओं के लिए भी काम करना आसान है. इसमें सिंचाई योजनाओं के अलावा तालाब और नहर खोदने, ग्रामीण सड़क बनाने और वनीकरण जैसे काम किये जाते हैं. कुछ राज्यों में मनरेगा के तहत ग्रामीण आवास के अलावा निजी आवास और दूसरे निर्माण कार्य भी कराये जाते हैं. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा से रोजगार के लिए शहरों की तरफ जाने का दबाव कम हो जाता है. कोविड के दौरान मनरेगा के आकर्षण से बड़ी संख्या में शहरी मजदूरों का पलायन गांवों की ओर हुआ था. चूंकि इसमें काम के अधिकार का कानून बना हुआ है, ऐसे में जरूरतमंदों के लिए काम पाना भी सहज है. श्रमिकों के भुगतान को आधार से जोड़ने का लाभ हुआ है कि उनकी मजदूरी सीधे उनके बैंक खातों में जाती है. इस योजना के नकारात्मक पक्ष क्या हैं? चूंकि इसके जरिये श्रम बाजार में हस्तक्षेप किया गया है तथा इसमें वैकल्पिक रोजगार और वाजिब मजदूरी के प्रावधान हैं, लिहाजा इससे वे बड़े किसान नाखुश हैं, जिन्हें मजदूरों की जरूरत पड़ती है. उनकी शिकायत है कि मजदूर अब कम मिलते हैं या मनरेगा ने श्रमिकों को आलसी बना दिया है. चूंकि मनरेगा के तहत न्यूनतम मजदूरी दिये जाने का प्रावधान है, ऐसे में, अपने यहां काम कराने वाले बड़े किसानों को भी मजबूरन श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देनी पड़ती है. भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण और बायोमीट्रिक व्यवस्था के बावजूद मनरेगा में श्रमिकों के फर्जी विवरण पेश कर उनकी मजदूरी हड़प लेने की शिकायतें हैं. ग्रामीणों तथा एनजीओ द्वारा सोशल ऑडिट कराये जाने से ही इस फर्जीवाड़े पर रोक लग सकती है. तीसरी मुश्किल बायोमीट्रिक जरूरत से जुड़ी है. जब बिजली न रहने या मशीन की गड़बड़ी से श्रमिकों के अंगूठे के निशान या आंखों की रेटिना का मिलान नहीं हो पाता, तब मजदूरी का भुगतान रुक जाता है. अगर इस तरह की गड़बड़ी की दर दो फीसदी हो, तो उसका नतीजा एक या दो करोड़ श्रमिकों की मजदूरी रुकने के रूप में सामने आता है. यह एक गंभीर गड़बड़ी है, जिसका त्वरित हल जरूरी है. चौथी गड़बड़ी, जो हाल के दौर में ज्यादा दिखाई पड़ी है, वह है मजदूरी के भुगतान में विलंब. चूंकि मनरेगा के तहत काम करने वाले लोग मजदूर हैं, ऐसे में, मजदूरी के भुगतान में एक या दो सप्ताह का विलंब उनके लिए बहुत मुश्किल भरा होता है. पर एक हालिया आंकड़ा बताता है कि कुल 975 करोड़ रुपये की मजदूरी के भुगतान में देरी हुई है. मनरेगा में ऐसी कई चीजें हैं, जिनमें बदलाव लाकर इसे सुधारा जा सकता है. यह यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआइ) से, जो शुद्ध रूप से एक धन स्थानांतरण योजना है और जिसे 2017 के आर्थिक सर्वे में एक विचार के रूप में पेश किया था, भिन्न है. मनरेगा रोजगार के लिए खुद सामने आये लोगों की एक योजना है, जिसमें कठिन शारीरिक परिश्रम की जरूरत पड़ती है. अगर प्रणाली ठीक तरह से काम करे, तो यही खासियत मनरेगा के फर्जी दावों को खारिज करने के लिए काफी है. इसकी सफलता का प्रमाण यही है कि शहरी बेरोजगारों के लिए भी ऐसी योजना की मांग की जाती रही है और कई राज्य प्रशासनों ने इस दिशा में सोचा भी. मनरेगा दरअसल लोक निर्माण योजनाओं, प्रयोगों और बहुद्देश्यीय परियोजनाओं का मिला-जुला रूप है. महाराष्ट्र में कई साल के भीषण सूखे की पृष्ठभूमि में 1973 में रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत हुई थी. वह राज्य प्रशासन द्वारा वित्तपोषित योजना थी, जिसके लिए शहरों के नौकरीपेशा लोगों पर आजीविका कर लगाया गया था. मनरेगा जैसे कानून के पीछे उस सफल योजना की प्रेरणा थी. जब तक देश में बेरोजगार लोगों के पंजीयन, उनकी शिनाख्त और उन्हें भत्ता देने की शुरुआत नहीं हो जाती, तब तक इस योजना की उपयोगिता बनी रहेगी. हालांकि मुफ्त राशन तथा पीएम किसान व लाड़की बहिन जैसी डायरेक्ट बेनेफिट स्कीम जैसी योजनाओं के कारण मनरेगा में काम की मांग में कमी आयेगी. पर भूलना नहीं चाहिए कि इस योजना के कारण ग्रामीण हिंदुस्तान को रोजगार और निर्माण का दोहरा

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

स्कूटी से घर लौट रहे BPSC शिक्षक को अज्ञात वाहन ने रौंदा, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती

Bihar News: बिहार के जमुई जिले के टाउन थाना क्षेत्र के बरूअटा इलाके में रविवार शाम दर्दनाक सड़क हादसा हुआ. सोनपे हाई स्कूल के BPSC शिक्षक पवन देव तांती (32) अपनी ड्यूटी खत्म कर स्कूटी से घर लौट रहे थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। हादसे के बाद चालक मौके से फरार हो गया. राहगीरों ने पहुंचाई मदद, अस्पताल में भर्ती स्थानीय लोगों ने शिक्षक को सड़क किनारे अचेत अवस्था में पड़ा देखा. राहगीरों ने तुरंत 112 पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायल शिक्षक को जमुई सदर अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टरों के अनुसार, शिक्षक की हालत अब स्थिर है लेकिन उन्हें निगरानी में रखा गया है. परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश, न्याय की मांग घटना की सूचना मिलते ही शिक्षक के चचेरे भाई रंजीत तांती अस्पताल पहुंचे. वहीं, परिजनों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द से जल्द आरोपी वाहन चालक को गिरफ्तार करने और कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. ये भी पढ़े: मुजफ्फरपुर में शिशु को लेकर प्रेमी संग भागी पत्नी, लाखों रुपए लेकर हुई फरार CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस, जांच जारी पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू कर दी है और घटनास्थल के आसपास के CCTV फुटेज की जांच कर रही है, ताकि दुर्घटना के जिम्मेदार वाहन और उसके चालक की पहचान हो सके. पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. The post स्कूटी से घर लौट रहे BPSC शिक्षक को अज्ञात वाहन ने रौंदा, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती appeared first on Naya Vichar.

समस्तीपुर

शिक्षक पर छात्रा से छेड़खानी का आरोप; राजकीयकृत मध्य विद्यालय बहादुरपुर, समस्तीपुर पर सैकड़ों की संख्या में हंगामा कर रहे लोग, आरोपित शिक्षक को बनाया बंधक

नया विचार समस्तीपुर: शहर के बहादुरपुर स्थित राजकीयकृत मध्य विद्यालय बहादुरपुर में वहां के हेडमास्टर पर पांचवी कक्षा की छात्रा से बैड टच व छेड़खानी किये जाने का मामला सामनें आया है। इसको लेकर विद्यालय परिसर में सोमवार की शाम घंटो हंगामा हुआ। वहां पहुंचे लोगों ने आरोपी हेडमास्टर को बंधक बना लिया। आरोपी हेडमास्टर की पहचान पवन पासवान के रूप में की गयी है। लोगों का आरोप था की सोमवार की शाम विद्यालय में छुट्टी के बाद हेडमास्टर के पास किसी काम से 5वीं कक्षा की तीन छात्राएं गयी थी। इस दौरान एचएम ने दो छात्राओं को घर जाने को कहकर एक छात्रा को रोक लिया। इसके बाद जब छात्रा घर पहुंची और परिजनों को आपबीती बतायी तो परिजन आक्रोशित होकर स्कूल पहुंच हंगामा करने लगे और हेडमास्टर को बंधक बनाकर पिटाई कर दी। हालांकि सूचना पर पहुंची नगर थाने की पुलिस ने हेडमास्टर को आक्रोशित लोगों के चंगुल से निकालकर थाना लाया। आक्रोशित परिजनों का कहना था कि स्कूल के सीसीटीवी में हेडमास्टर की करतूत कैद हो गयी है। स्थानीय आक्रोशित लोगों का कहना था कि एचएम छात्रा को गोद में बैठाकर बैट टच कर रहे थे। इधर काफी मशक्कत के बाद नगर थाने की पुलिस ने हेडमास्टर को अपने सुरक्षा घेरे मे लेकर थाना ले आयी। इस संबंध में पूछने पर आरोपित हेडमास्टर ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। वहीं डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि घटना की जानकारी मिली है। जांच पड़ताल कर न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं नगर थानाध्यक्ष शिव कुमार यादव ने बताया कि पीड़िता के परिजनों के द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर नगर थाना द्वारा विधि सम्मत अग्रिम कार्रवाई की जा रही हैं, विधि व्यवस्था की स्थिति सामान्य हैं।

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

Kunal Kamra : माफी क्यों मांगू? एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी के बाद उठे विवाद पर बोले कुणाल कामरा

Kunal Kamra : विवाद के बाद स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा का रिएक्शन आया है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केवल शक्तिशाली लोगों की प्रशंसा करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए. सार्वजनिक हस्तियों के बारे में चुटकुले बनाने का उनका अधिकार जारी रहेगा. अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मानूंगा. कामरा ने कहा कि वह किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए सहयोग करने के लिए तैयार हैं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बारे में अपनी ‘देशद्रोही’ टिप्पणी पर उठे विवाद के बाद उनकी यह पहली प्रतिक्रिया है. My Statement – pic.twitter.com/QZ6NchIcsM — Kunal Kamra (@kunalkamra88) March 24, 2025 कुणाल कामरा की टिप्पणी के बाद, शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई के एक स्टूडियो में तोड़फोड़ की. यहां कामरा ने अपना शो रिकॉर्ड किया था. हमले से प्रभावित हैबिटेट कॉमेडी क्लब ने अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की है. हैबिटेट पर हमले के लिए जिम्मेदार भीड़ को लेकर कामरा ने कहा, “यह महज एक मंच है. सभी तरह के शो के लिए एक जगह. हैबिटेट (या कोई भी अन्य स्थल) मेरी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है, न ही मैं क्या कहता हूं या क्या करता हूं, इस पर उसका कोई कंट्रोल है. न ही किसी नेतृत्वक दल का इससे कोई संबंध है. The post Kunal Kamra : माफी क्यों मांगू? एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी के बाद उठे विवाद पर बोले कुणाल कामरा appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

Dhanbad News: आइआइटी के छात्र संदर्भ सिंह को मिला 58 लाख की स्कॉलरशिप

Dhanbad News: आइआइटी आइएसएम, धनबाद के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के बीटेक के छात्र संदर्भ सिंह को अमेरिका के पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के लिए 58 लाख रुपये (70 हजार डॉलर) का स्कॉलरशिप ऑफर मिला है. यूएस न्यूज 2024 रैंकिंग में पर्ड्यू अमेरिका में छठे स्थान पर है. इस वित्तीय सहायता में ट्यूशन फीस, स्वास्थ्य बीमा और 30,000 अमेरिकी डॉलर का वजीफा शामिल है. उनका शोध लिथियम बैटरी सिस्टम और वर्टिकल टेकऑफ एयरक्राफ्ट पर केंद्रित होगा, जो स्थायी विमानन क्षेत्र में एक नवीन विषय है. संदर्भ को कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी (यूएस रैंक 7) सहित कई अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से भी ऑफर मिले हैं. आइआइटी आइएसएम में जीआइएएन पाठ्यक्रम शुरू आइआइटी आइएसएम के गणित और कंप्यूटिंग विभाग द्वारा आयोजित ‘ग्राफ में रंग भरने की नयी प्रवृत्तियां’ पर पांच दिवसीय जीआइएएन पाठ्यक्रम का सोमवार को संस्थान के कार्यकारी विकास केंद्र-लाउंज में उद्घाटन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा उपस्थित रहे. 28 मार्च तक चलने वाले इस पाठ्यक्रम में स्लोवेनिया की ल्युब्लियाना यूनिवर्सिटी के प्रो. रिस्टे स्क्रेकोवस्की विदेशी विशेषज्ञ के रूप में भाग ले रहे हैं. उद्घाटन समारोह में गणित और कंप्यूटिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसपी तिवारी और पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो दिनबंधु प्रधान भी मौजूद थे. यह पाठ्यक्रम ग्राफ रंग भरने के विभिन्न आयामों जैसे वर्टेक्स कलरिंग, एज कलरिंग, क्रिटिकल ग्राफ, लिस्ट कलरिंग, और कॉन्फ्लिक्ट-फ्री कलरिंग पर केंद्रित है. इसमें फोर कलर थ्योरम और ब्रूक्स थ्योरम जैसी प्रसिद्ध प्रमेयों के साथ-साथ आधुनिक शोध और अनसुलझी समस्याओं पर चर्चा होगी. डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है The post Dhanbad News: आइआइटी के छात्र संदर्भ सिंह को मिला 58 लाख की स्कॉलरशिप appeared first on Naya Vichar.

ताजा ख़बर, मुख्य खबर

Dhanbad News: आइएसएम के पूर्व छात्र ने संस्थान को दिया 1.25 लाख डालर

Dhanbad News: आइआइटी आइएसएम के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग के 1996 बैच के छात्र डॉ मिहिर कुमार सिन्हा ने संस्थान को दिवंगत माता-पिता के सम्मान में 1.25 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग एक करोड़ रुपये) डोनेट किया है. इस धनराशि का उपयोग शताब्दी व्याख्यान शृंखला के आयोजन पर किया जायेगा. इस लेकर सोमवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया. डॉ मिहिर ने यह धनराशि आइआइटी (आइएसएम) नॉर्थ अमेरिका एलुमिनाई एसोसिएशन के माध्यम से दिया है. इस पहल के तहत ‘मानविकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ विषय पर प्रतिष्ठित डॉ अबनीश चंद्र और वीणापानी सिन्हा स्मृति व्याख्यान शृंखला आयोजित की जायेगी. यह व्याख्यान शृंखला छात्रों, संकाय सदस्यों और आमंत्रित अतिथियों को प्रतिष्ठित विद्वानों, विचारकों और विशेषज्ञों से सीखने का अवसर प्रदान करेगी. हर वर्ष, एक नोबेल पुरस्कार विजेता या अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया जायेगा. इस अवसर पर निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने डॉ सिन्हा के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया और इस पहल को बौद्धिक विकास और बहु-विषयक सीखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया. कार्यक्रम में डॉ मिहिर कुमार सिन्हा, संस्थान के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा, प्रो धीरज कुमार, प्रो आरएम भट्टाचार्य (डीन, अंतरराष्ट्रीय संबंध और पूर्व छात्र मामले), प्रो रजनी सिंह (डीन, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन), प्रो. राजीव उपाध्याय (फैकल्टी-इंचार्ज, एलुमनाई अफेयर्स), रजिस्ट्रार प्रबोध पांडेय और सहायक रजिस्ट्रार मृत्युंजय शर्मा उपस्थित थे. डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है The post Dhanbad News: आइएसएम के पूर्व छात्र ने संस्थान को दिया 1.25 लाख डालर appeared first on Naya Vichar.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.

About Us

नयाविचार एक आधुनिक न्यूज़ पोर्टल है, जो निष्पक्ष, सटीक और प्रासंगिक समाचारों को प्रस्तुत करने के लिए समर्पित है। यहां राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण खबर को विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है। नयाविचार का उद्देश्य पाठकों को विश्वसनीय और गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे वे सही निर्णय ले सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

Quick Links

Who Are We

Our Mission

Awards

Experience

Success Story

© 2025 Developed By Socify

Scroll to Top