पाकिस्तानियों की आंत में नहीं पहुंचेगा भात, अगर भारत ने उठा दिया ये कदम
India Pakistan Trade: कश्मीर के पहलगाम के आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद हिंदुस्तान ने पाकिस्तान पर सख्त कूटनीतिक उपाय करने शुरू कर दिए हैं. हिंदुस्तान ने बुधवार को तत्काल प्रभाव से पाकिस्तानियों को हिंदुस्तान छोड़ने, सिंधु समझौता खत्म करने, पाकिस्तानी दूतावास बंद कर उच्चायुक्तों को वापस जाने, पाकिस्तान में हिंदुस्तानीय दूतावास बंद करने, वाघा और अटारी बॉर्डर पर आवाजाही बंद करने और सार्क वीजा रद्द करने का ऐलान किया है. इसी के साथ, हिंदुस्तान अगर चाह जाए, तो पाकिस्तान के नागरिकों की थाली से भात गायब हो जाएगा और उन्हें बिना मसाले का गोश्त पकाना पड़ेगा. इसका कारण यह है कि पाकिस्तान हिंदुस्तान से भेजे जाने वाली कई अहम वस्तुओं पर जिंदा रहता है. पाकिस्तान की उम्मीदों पर फिरा पानी कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. उसे यह उम्मीद थी कि दोनों देशों के रिश्ते धीरे-धीरे सुधरने के बाद द्विपक्षीय व्यापार फिर से शुरू किया जाएगा. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान ने हिंदुस्तान से होने वाले आयात पर कई प्रतिबंध लगा दिया था. इससे खाद्यान्न और मसालों का व्यापार प्रभावित हुआ. फिर भी, कुछ आवश्यक वस्तुओं का व्यापार, खासकर ताजे फल, सब्जियां और मसाले, हवाई या समुद्री मार्गों (जैसे कराची पोर्ट) के जरिए सीमित रूप से जारी रहा. 2024 में हिंदुस्तान से पाकिस्तान को मसालों और खाद्यान्न का निर्यात कुल निर्यात (लगभग 304.93 मिलियन डॉलर) का एक छोटा हिस्सा रहा, जिसमें चीनी, तिलहन, और मसाले प्रमुख थे. मार्च 2024 में ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा, ”पाकिस्तान हिंदुस्तान के साथ ट्रेड दोबारा शुरू करने के सवाल पर गंभीरता से विचार कर रहा है.” हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच पहले ही दुबई और दूसरे देशों के जरिए व्यापार हो रहा है. इसके चलते लागत बढ़ी है और डायरेक्ट ट्रेड की मांग भी है.” हिंदुस्तान से पाकिस्तान निर्यात होने वाले आइटम जैविक रसायन फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयां) प्लास्टिक और प्लास्टिक उत्पाद कपास कृषि उत्पाद (जैसे ताजे फल, सब्जियाँ, चाय, कॉफी, मसाले) चीनी तिलहन डेयरी उत्पाद पशु चारा रंग और मानव निर्मित रेशे ताजे फल और सब्जियां (जैसे प्याज, टमाटर, आलू) चावल (सीमित मात्रा में, खासकर गैर-बासमती) डेयरी उत्पाद (जैसे दूध पाउडर, पनीर) चाय कॉफी काली मिर्च इलायची लौंग दालचीनी हल्दी जीरा इसे भी पढ़ें: बजाज हाउसिंग फाइनेंस के शेयर खरीदें या बेचें! Q4 में कंपनी की बंपर कमाई हिंदुस्तान निर्यात बंद कर दे तो पाकिस्तान में क्या होगा? ताजे फल और सब्जियां (जैसे प्याज, टमाटर, आलू): पाकिस्तान इनकी आपूर्ति के लिए हिंदुस्तान पर आंशिक रूप से निर्भर है. इनके आयात बंद होने से स्थानीय बाजारों में कमी हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और आम जनता को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अधिक खर्च करना पड़ेगा. चीनी: हिंदुस्तान से सस्ती चीनी की आपूर्ति रुकने से पाकिस्तान में चीनी की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो पहले से ही स्थानीय उत्पादन की कमी से जूझ रहा है. तिलहन और डेयरी उत्पाद: इनके आयात पर रोक से खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों की उपलब्धता प्रभावित होगी, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ेगा. मसालों की उपलब्धता और लागत: हिंदुस्तान से चाय, कॉफी, काली मिर्च, इलायची, और अन्य मसालों का आयात बंद होने से पाकिस्तान को वैकल्पिक स्रोत (जैसे श्रीलंका, वियतनाम) तलाशने होंगे. ये स्रोत अक्सर महंगे और कम सुलभ हो सकते हैं, जिससे मसालों की कीमतें बढ़ेंगी. मसालों की कमी से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और घरेलू खपत प्रभावित होगी, जिसका असर रेस्तरां और खाद्य व्यवसायों पर भी पड़ेगा. आर्थिक प्रभाव और बाजार में अस्थिरता: हिंदुस्तान से सस्ते और आसानी से उपलब्ध खाद्यान्न और मसालों की आपूर्ति रुकने से पाकिस्तान के आयात बिल में वृद्धि होगी, क्योंकि उसे अन्य देशों से महंगे दामों पर सामान खरीदना होगा. इससे पहले से कमजोर पाकिस्तानी वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ेगा.महंगाई: खाद्य वस्तुओं और मसालों की कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ेगी, जिसका असर विशेष रूप से निम्न और मध्यम वर्ग पर पड़ेगा, जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भरता: पाकिस्तान को खाद्यान्न और मसालों के लिए अन्य देशों (जैसे चीन, तुर्की, या दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों) की ओर रुख करना होगा. हालांकि, लॉजिस्टिक्स लागत, आयात शुल्क, और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के कारण यह प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी होगी. स्थानीय उत्पादन बढ़ाने की कोशिश हो सकती है, लेकिन इसमें समय, निवेश और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी, जो पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति में चुनौतीपूर्ण है. सामाजिक और नेतृत्वक प्रभाव: खाद्य पदार्थों की कमी और बढ़ती कीमतें सामाजिक अशांति को बढ़ा सकती हैं. खासकर, शहरी क्षेत्रों में जहां लोग पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हैं. प्रशासन पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ेगा और विफलता की स्थिति में जनता का असंतोष और विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं. सीमित प्रभाव की संभावना: हालांकि, हिंदुस्तान से आयात महत्वपूर्ण है, लेकिन पाकिस्तान कुछ हद तक स्थानीय उत्पादन और अन्य देशों से आयात के जरिए इस कमी को प्रबंधित करने की कोशिश कर सकता है. उदाहरण के लिए, चीनी और तिलहन का स्थानीय उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और मसालों के लिए वैश्विक बाजार उपलब्ध हैं. इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान को महंगा पड़ रहा हिंदुस्तान से पंगा, सर्जिकल स्ट्राइक के खौफ से शेयर बाजार में हाहाकार The post पाकिस्तानियों की आंत में नहीं पहुंचेगा भात, अगर हिंदुस्तान ने उठा दिया ये कदम appeared first on Naya Vichar.