खास बातें किरायेदारों के सत्यापन में थानाध्यक्षों की रुचि नहीं जहां से शुरू, वहीं अभियान ने तोड़ दिया दम अहियापुर से शुरू हुआ था रेंटर वेरिफिकेशन किराए से रहने वाले बदमाश करते हैं वारदात सदर थाना क्षेत्र में शुरू किया जाना था सत्यापन संवाददाता, मुजफ्फरपुर Muzaffarpur News शहरी थानेदार किरायेदारों के सत्यापन में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.एक साल पहले तत्कालीन सिटी एसपी अवधेश सरोज दीक्षित के निर्देश पर अहियापुर से रेंटर वेरिफिकेशन शुरू हुआ था. इसे आगे शहर के सभी थाना क्षेत्रों में लागू करने का लक्ष्य रखा गया था. इस दौरान रणनीति बनी थी कि शहर व उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में किराये के मकान में रहने वाले करीब दो लाख से अधिक किरायेदारों का सत्यापन करके उसका डाटा बेस पुलिस तैयार करेगी. इसको लेकर मोहल्ले के आधार पर पुलिस पदाधिकारियों की जिम्मेवारी तय की गयी थी. लेकिन यह अभियान अहियापुर में ही दम तोड़ दिया. एक साल में महज 10 हजार किरायेदारों का ही सत्यापन हो पाया. वह भी रिकॉर्ड आधा अधूरा है.दूसरे जिले के अपराधी शहर में किराये पर कमरा लेकर आपराधिक वारदात कर आसानी से फरार हो जा रहे हैं. दस फीसदी रेंटर का भी सत्यापन नहीं अहियापुर, सदर, मिठनपुरा, काजीमोहम्मदपुर, बेला, ब्रह्मपुरा, विवि, सिकंदरपुर व नगर थाना क्षेत्र में दूसरे जिले से आने वाले अधिकांश किरायेदार रहते हैं. इसके अलावा शहर से सटे दो थाना क्षेत्रों, कांटी व मुसहरी में भी कुछ लोग किराये पर कमरा लेकर रहते हैं. पुलिस किरायेदारों का सत्यापन नहीं कर रही है. वहीं, आवासीय मकान के मालिक भी रेंटर के वेरिफिकेशन कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.जिला पुलिस की ओर से 2024 में किराये पर मकान देनेवाले मालिकों के लिए रेंटर का सत्यापन स्थानीय थाने से कराने का निर्देश दिया गया था. लेकिन, 10 प्रतिशत भी नहीं हो सका है. अपराधियों के लिए मुफीद हैं ये दो मुहल्ले एनएच से सटे होने से अहियापुर व सदर थाना क्षेत्र में अपराधी किराये पर कमरा लेते हैं. वहां रहकर रेकी करते हैं. फिर वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं. पुलिस की पूर्व की जांच में यह बात सामने आयी थी कि इन दोनों मुहल्लों में दस जिले सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, गोपालगंज व कटिहार के कोढ़ा गिरोह के शातिर किराये पर कमरा लेकर शहर में लूट, डकैती, बैंक लूट, रुपये छिनतई, कांट्रैक्ट किलिंग समेत अन्य वारदात को अंजाम दे चुके हैं. आसानी से किराये पर दे रहे हैं कमरे शहर में किराये पर कमरा लेने के लिए किसी भी तरह की पूछताछ मकान मालिक नहीं करते हैं. कोई पढ़ाई के लिए तो कुछ काम करने के नाम पर कमरा ले लेते हैं. प्रूफ के नाम पर एक आधार कार्ड की फोटो कॉपी ले लेते हैं. इसके अलावा मकान मालिक कोई और प्रमाण पत्र नहीं मांगते हैं. मकान मालिक की लापरवाही से जिले में बड़ी आपराधिक वारदातें हुई हैं. इस मामले से समझें, क्यों है सत्यापन जरूरी प्रॉपर्टी डीलर नवल किशोर सिंह की हत्या करने से पहले अपराधियों ने अहियापुर में किराये पर कमरा लेकर डेढ़ माह तक रेकी की. इसके अलावा मुथूट फाइनेंस से 32 किलो सोना लूट में भी अपराधियों ने सदर थाना क्षेत्र में किराये से रहकर रेकी की थी. कोढ़ा गिरोह के शातिर ने नगर थाना क्षेत्र के एक गेस्ट हाउस में रहकर उत्तर बिहार में आपराधिक वारदात को अंजाम दिया था. :::::::::::::::::::::::::::::::: शहर में नये सिरे से रेंटर वेरिफिकेशन किया जायेगा. इसको लेकर सभी एसडीपीओ व थानेदार की जिम्मेदारी तय की जायेगी. मकान मालिकों को भी रेंटर का थाने से सत्यापन कराना होगा. -विश्वजीत दयाल, सिटी एसपी डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है The post Muzaffarpur Newsदो लाख किरायेदार, एक साल में 10 हजार का ही डेटा बना appeared first on Naya Vichar.