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May 10, 2025

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India Pakistan ceasefire: शांति के बहाने दुनिया को बहला रहा है पाकिस्तान, भारत ने दो टूक कहा- कोई भरोसा नहीं!

India Pakistan ceasefire in Hindi: एलओसी पर लगातार फायरिंग और घुसपैठ की कोशिश करने वाला पाकिस्तान अब शांति की बातें करने लगा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को कहा एक्स पे कहा कि हिंदुस्तान के साथ संघर्ष विराम “नई शुरुआत” है और इससे कश्मीर समेत कई मुद्दों के हल की उम्मीद जगी है.  शरीफ ने अमेरिका का भी शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो की मदद से हिंदुस्तान-पाक के बीच यह समझौता हो सका है.  India DGMO ceasefire agreement: हिंदुस्तान का साफ जवाब- सीधी बातचीत से हुआ समझौता पाकिस्तान के इन दावों पर हिंदुस्तान ने दो टूक जवाब दिया. हिंदुस्तान ने कहा कि संघर्ष विराम का फैसला दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे बातचीत से हुआ है. इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है.  हिंदुस्तानीय सेना के मुताबिक, शुक्रवार को पाकिस्तान की तरफ से DGMO स्तर की कॉल आई थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने की सहमति बनी.  India Pakistan ceasefire: शांति की बात और फिर गोलीबारी! पाकिस्तान की तरफ से शांति की बात तो हुई, लेकिन उसी दिन संघर्ष विराम तोड़ने की समाचार भी सामने आ गई. इससे यह साफ हो गया कि पाकिस्तान की बातों पर तुरंत भरोसा नहीं किया जा सकता.  हिंदुस्तान ने साफ किया है कि शांति तभी संभव है जब सीमा पार से आतंक और फायरिंग पूरी तरह बंद हो.  हिंदुस्तान ने यह भी कहा कि न तो किसी तीसरे देश में बातचीत की बात हुई है और न ही किसी मध्यस्थ की जरूरत है.  पढ़ें: DGMO कौन होते हैं? जिनकी बातचीत से टला युद्ध, जानें क्या होता है रोल और कितनी मिलती है सैलरी क्या दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान? पाकिस्तान का बदला-बदला रुख दिखाता है कि वह अब दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि वह सुधर रहा है. लेकिन यह वही पाकिस्तान है जो आतंकवाद को पनाह देता आया है और हिंदुस्तान विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है. हिंदुस्तान ने पहले भी कहा है कि वह शांति चाहता है, लेकिन उसकी पहली शर्त है- सीमा पार से आतंक पूरी तरह बंद हो.  पाकिस्तान की तरफ से आई यह शांति की बात अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव के कारण हो सकती है. लेकिन हिंदुस्तान ने साफ कर दिया है कि वह सिर्फ बयानों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से भरोसा करता है.  The post India Pakistan ceasefire: शांति के बहाने दुनिया को बहला रहा है पाकिस्तान, हिंदुस्तान ने दो टूक कहा- कोई भरोसा नहीं! appeared first on Naya Vichar.

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India Pakistan Ceasefire: भारत-पाक सीजफायर पर सऊदी अरब का स्वागत, शांति बहाली की जताई उम्मीद

India Pakistan Ceasefire: हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम समझौते को लेकर सऊदी अरब ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर दोनों देशों के बीच बनी इस सहमति का स्वागत किया है और इसे दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता के लिए एक अहम कदम बताया है. सऊदी अरब का विदेश मंत्रालय पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य और हिंदुस्तान गणराज्य के बीच हुए संघर्षविराम (सीज़फायर) समझौते का स्वागत करता है और आशावादी है कि यह समझौता क्षेत्र में सुरक्षा और शांति बहाल करेगा. #BREAKING: Saudi Arabia welcomes the ceasefire agreement between Pakistan and India. pic.twitter.com/TLsHqLQc0e — Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) May 10, 2025 सऊदी अरब दोनों पक्षों द्वारा समझदारी और संयम को प्राथमिकता देने की सराहना करता है और यह दोहराता है कि वह वार्ता और शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से विवादों के समाधान का समर्थन करता है. यह समर्थन अच्छे पड़ोसी संबंधों के सिद्धांतों और दोनों देशों एवं उनके नागरिकों के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर आधारित है. Also Read: झारखंड के इस कॉलेज से पढ़े हैं IFS विक्रम मिश्री, आज संभाल रहे हैं विदेश सचिव की जिम्मेदारी The post India Pakistan Ceasefire: हिंदुस्तान-पाक सीजफायर पर सऊदी अरब का स्वागत, शांति बहाली की जताई उम्मीद appeared first on Naya Vichar.

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IFS Vikram Misri Education: झारखंड के इस कॉलेज से पढ़े हैं IFS विक्रम मिश्री, आज संभाल रहे हैं विदेश सचिव की जिम्मेदारी

IFS Vikram Misri Education in Hindi: इन दिनों हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर जिस अधिकारी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो हैं हिंदुस्तान के विदेश सचिव विक्रम मिश्री.  देश-विदेश से जुड़ी हर अहम जानकारी वो खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा कर रहे हैं.  लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इस जिम्मेदार पद पर बैठने वाले विक्रम मिश्री की पढ़ाई का एक हिस्सा झारखंड के जमशेदपुर से जुड़ा है. विक्रम मिश्री की पढ़ाई का एक हिस्सा झारखंड से भी जुड़ा है? Vikram Misri IFS officer in Hindi: जमशेदपुर के XLRI से की थी MBA की पढ़ाई विक्रम मिश्री का जन्म 1964 में श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में हुआ था.  उन्होंने स्कूल की पढ़ाई श्रीनगर, उधमपुर और ग्वालियर में की.  फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से इतिहास विषय में ग्रेजुएशन किया.  इसके बाद उन्होंने झारखंड के जमशेदपुर स्थित 1987 में XLRI (Xavier Labour Relations Institute) से मैनेजमेंट की पढ़ाई (MBA) की. इस संस्थान से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने करीब तीन साल तक विज्ञापन एजेंसियों में काम भी किया.  1989 में बने IFS, कई बड़े पदों पर काम किया 1989 में विक्रम मिश्री हिंदुस्तानीय विदेश सेवा (IFS) में चुने गए. अपने करियर में उन्होंने ब्रसेल्स, वॉशिंगटन, इस्लामाबाद, ट्यूनिस और बीजिंग जैसे अहम देशों में हिंदुस्तानीय दूतावासों में काम किया. वह तीन प्रधानमंत्रियों, आई. के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव भी रह चुके हैं.  2019 से 2021 तक वो चीन में हिंदुस्तान के राजदूत रहे और गलवान घाटी विवाद के समय हिंदुस्तान की तरफ से चीन से बातचीत करने वालों में एक प्रमुख चेहरा थे.  पढ़ें: DGMO कौन होते हैं? जिनकी बातचीत से टला युद्ध, जानें क्या होता है रोल और कितनी मिलती है सैलरी IFS Vikram Misri Education: विदेश सचिव के रूप में जिम्मेदारी 15 जुलाई 2024 को विक्रम मिश्री को हिंदुस्तान का 35वां विदेश सचिव नियुक्त किया गया. यह विदेश मंत्रालय की सबसे ऊंची पोस्ट होती है. विदेश सचिव की जिम्मेदारी होती है हिंदुस्तान की विदेश नीति को लागू करना, दूसरे देशों से रिश्ते संभालना और कूटनीतिक फैसलों में सलाह देना.  विदेश सचिव को हर महीने 2 लाख रुपए या उससे ज्यादा वेतन मिलता है. इसके अलावा प्रशासनी आवास, वाहन, सुरक्षा, स्टाफ और डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं.  विदेश सचिव कैसे बनते हैं? विदेश सचिव बनने के लिए सबसे पहले UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर हिंदुस्तानीय विदेश सेवा (IFS) में चुना जाना होता है. इसके बाद वर्षों तक विदेशों में विभिन्न दूतावासों, मंत्रालयों और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मिशनों में कार्य करने का अनुभव जरूरी होता है.  एक IFS अधिकारी की सेवा गुणवत्ता, कूटनीतिक समझ, और नेतृत्व क्षमता के आधार पर उन्हें वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत किया जाता है. विदेश सचिव की नियुक्ति हिंदुस्तान प्रशासन की कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री शामिल होते हैं. यह विदेश मंत्रालय का सर्वोच्च प्रशासनिक पद होता है.  पढ़ें: Operation Sindoor: सायरन और ब्लैकआउट का अलर्ट! ऐसे वक्त में क्या करें, जानिए यहां The post IFS Vikram Misri Education: झारखंड के इस कॉलेज से पढ़े हैं IFS विक्रम मिश्री, आज संभाल रहे हैं विदेश सचिव की जिम्मेदारी appeared first on Naya Vichar.

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Salman Khan ने सीजफायर पर ट्वीट किया, यूजर्स ने ऐसे लपेटा कि ट्वीट डिलीट कर भागे

Salman Khan: हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चल रहे संघर्ष के बाद शनिवार को दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की. इस सीजफायर पर बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने राहत व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “सीजफायर के लिए शुक्र है.” हालांकि, कुछ ही समय बाद उन्होंने यह पोस्ट डिलीट कर दिया. सलमान के इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है और कई यूजर्स ने उन पर तीखा हमला किया है. Salman khan ने सीजफायर पर ट्वीट किया, यूजर्स ने ऐसे लपेटा कि ट्वीट डिलीट कर भागे 2 सीजफायर पर सलमान का ट्वीट सलमान खान का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर हलचल का कारण बना. एक ओर जहां कुछ लोग सलमान की इस प्रतिक्रिया को सकारात्मक मानते हुए सीजफायर का स्वागत कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर कई यूजर्स ने उन्हें आड़े हाथों लिया. इन यूजर्स का कहना था कि जब हिंदुस्तानीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, तब सलमान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन जैसे ही सीजफायर की घोषणा हुई, उन्होंने ट्वीट किया और बाद में उसे डिलीट कर दिया. एक यूजर ने ट्वीट किया, “सीजफायर उतनी देर चला जितना सलमान खान की फिल्म थिएटर में चलती है.” सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सलमान खान को लेकर ट्विटर पर बहस तेज हो गई. कई यूजर्स ने सलमान की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि वह सिर्फ तब बोलते हैं जब पाकिस्तान से शांति की बात होती है. एक यूजर ने लिखा, “सलमान खान और अन्य बॉलीवुड सितारे, जिनका पाकिस्तान और मध्य-पूर्व में बड़ा फैन बेस है, इनकी कोई भी आलोचना नहीं होती. वे जानते हैं कि हिंदुस्तानीय राष्ट्रवादी इनसे कुछ नहीं कर सकते.” इसके अलावा, कुछ अन्य यूजर्स ने सलमान को देशद्रोहियों के रूप में पेश किया और उन्हें हिंदुस्तान की बजाय पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होने का आरोप लगाया. एक यूजर ने कहा, “सलमान पाकिस्तान के साथ शांति चाहते हैं क्योंकि वह अफगान लड़कियों के प्रति सच्चे प्रेमी बनना चाहते हैं. वह हिंदुस्तान के लिए नहीं, बल्कि खुद को पाकिस्तानी मीडिया में हीरो बनाने की कोशिश कर रहे हैं.” Also Read: विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बड़ा बयान, पाकिस्तान ने सैन्य समझौते का उल्लंघन किया, हिंदुस्तान की कड़ी चेतावनी The post Salman Khan ने सीजफायर पर ट्वीट किया, यूजर्स ने ऐसे लपेटा कि ट्वीट डिलीट कर भागे appeared first on Naya Vichar.

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IFS Vikram Misri Salary: हर मोर्चे पर पाकिस्तान को घेर रहे IFS विक्रम मिश्री कौन हैं? जानिए पद, सैलरी और सचिव बनने का सफर

IFS Vikram Misri Salary in Hindi: हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर एक बार फिर तनाव चरम पर है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिसके जवाब में हिंदुस्तानीय सेना ने चार दिवसीय सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया. इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर का उल्लंघन हुआ, जिसका हिंदुस्तानीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. दोनों देशों के DGMO ने संघर्षविराम पर सहमति जताई, लेकिन कुछ ही घंटों में पाकिस्तान ने फिर उल्लंघन कर स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया. इस बीच हिंदुस्तान के विदेश सचिव ने स्पष्ट कर दिया कि सेना को हर तरह की कार्रवाई के लिए खुली छूट दी गई है.  हिंदुस्तान के विदेश सचिव विक्रम मिश्री हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान हिंदुस्तान-पाक तनाव पर लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं. ऐसे में आम लोगों के बीच यह जिज्ञासा बढ़ी है कि आखिर कौन हैं विक्रम मिश्री, उनकी भूमिका क्या है, उन्हें कितनी सैलरी मिलती है और कोई व्यक्ति कैसे विदेश सचिव बनता है. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में.   Vikram Misri IFS officer: प्रारंभिक जीवन, पढ़ाई और शुरुआती करियर विक्रम मिश्री का जन्म 7 नवंबर 1964 को श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हुआ. उन्होंने बर्न हॉल स्कूल (श्रीनगर), डीएवी स्कूल, कार्मेल कॉन्वेंट (उधमपुर) और सिंधिया स्कूल (ग्वालियर) से स्कूलिंग की. आगे की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक और फिर एक्सएलआरआई, जमशेदपुर से एमबीए किया. खास बात यह है कि मिश्री ने हिंदुस्तानीय विदेश सेवा में आने से पहले तीन वर्षों तक विज्ञापन क्षेत्र (advertising) में भी काम किया था.  राजनयिक करियर की शुरुआत और अनुभव 1989 में वह हिंदुस्तानीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने ब्रसेल्स, ट्यूनिस, इस्लामाबाद, वॉशिंगटन डीसी समेत कई जगहों पर सेवाएं दीं. वह श्रीलंका में उप उच्चायुक्त और म्यूनिख में कौंसल जनरल भी रहे. विक्रम मिश्री की पहचान एक भरोसेमंद अधिकारी के रूप में तब और मजबूत हुई जब उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियों, आई. के. गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में कार्य किया. 2019 से 2021 तक वे चीन में हिंदुस्तान के राजदूत रहे और गलवान तनाव के समय हिंदुस्तान की स्थिति को मजबूती से रखा.  विदेश सचिव की भूमिका क्या होती है? 15 जुलाई 2024 को विक्रम मिश्री हिंदुस्तान के 35वें विदेश सचिव बने. यह विदेश मंत्रालय का सर्वोच्च प्रशासनिक पद होता है. विदेश सचिव देश की विदेश नीति के कार्यान्वयन, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, द्विपक्षीय वार्ताओं और वैश्विक मंचों पर हिंदुस्तान की भूमिका को समन्वित करते हैं. वह विदेश मंत्री के प्रमुख सलाहकार भी होते हैं.  पढ़ें: DGMO कौन होते हैं? जिनकी बातचीत से टला युद्ध, जानें क्या होता है रोल और कितनी मिलती है सैलरी IFS Vikram Misri Salary: कितनी मिलती है सैलरी और क्या सुविधाएं हैं? विदेश सचिव को हिंदुस्तान प्रशासन के सचिव स्तर का वेतन मिलता है, जो कि 2,25,000 प्रति माह निर्धारित होती है. इसके अलावा उन्हें प्रशासनी आवास (आमतौर पर चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में), सुरक्षा, राजनयिक पासपोर्ट, और वाहन समेत अन्य तमाम प्रशासनी सुविधाएं दी जाती हैं.  विदेश सचिव कैसे बनते हैं? विदेश सचिव बनने के लिए IFS अधिकारी को कम-से-कम तीन दशक का अनुभव, बेदाग सेवा रिकॉर्ड और रणनीतिक समझ जरूरी होती है. इस पद पर नियुक्ति हिंदुस्तान प्रशासन की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet – ACC) द्वारा की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री होते हैं. (How to become an IFS officer in Hindi) पढ़ें: Operation Sindoor: सायरन और ब्लैकआउट का अलर्ट! ऐसे वक्त में क्या करें, जानिए यहां The post IFS Vikram Misri Salary: हर मोर्चे पर पाकिस्तान को घेर रहे IFS विक्रम मिश्री कौन हैं? जानिए पद, सैलरी और सचिव बनने का सफर appeared first on Naya Vichar.

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China Support Pakistan: ‘चीन का असली चेहरा सामने आया, वांग यी बोले- हम पाकिस्तान के साथ हैं’

China Support Pakistan: जम्मू-कश्मीर में संघर्षविराम के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने उसका उल्लंघन कर दिया. इस दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर ड्रोन दिखने की समाचार साझा की. इस बीच चीन ने पाकिस्तान का खुला समर्थन करते हुए बयान जारी किया, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने एक फोन कॉल के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार को भरोसा दिलाया कि चीन पाकिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय स्वतंत्रता के समर्थन में पूरी मजबूती से खड़ा है. इस बातचीत के तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी किया. बयान के अनुसार, इशाक डार ने वांग यी को क्षेत्रीय हालात और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य झड़पों की जानकारी दी. Deputy Prime Minister/Foreign Minister Senator Mohammad Ishaq Dar @MIshaqDar50 spoke today with the Foreign Minister of China, Wang Yi. During the conversation, the DPM/FM briefed Foreign Minister Wang Yi on the evolving regional situation in the wake of last night’s Indian… pic.twitter.com/U7dV4QdtGM — Ministry of Foreign Affairs – Pakistan (@ForeignOfficePk) May 10, 2025 चीन ने पाकिस्तान के ‘संयम’ की तारीफ की समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्री ने मौजूदा हालात में पाकिस्तान द्वारा दिखाए गए संयम की सराहना की और इसे जिम्मेदार रवैया बताया. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी और भरोसेमंद मित्र होने के नाते, चीन हर हाल में पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा.” इसके अलावा, इशाक डार ने तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान से भी फोन पर बात की और उन्हें क्षेत्र की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया. हिंदुस्तान का कड़ा संदेश पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम के उल्लंघन के तुरंत बाद हिंदुस्तान की तरफ से भी एक आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया, “पिछले कुछ घंटों में बार-बार उस सहमति का उल्लंघन हुआ है, जो आज शाम हिंदुस्तान और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच बनी थी.” बयान में आगे कहा गया, “हिंदुस्तानीय सेना इन उल्लंघनों का उचित और कड़ा जवाब दे रही है. हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और पाकिस्तान से अपील करते हैं कि वह इस पर तत्काल और जिम्मेदारीपूर्ण कार्रवाई करे. सीमा पर हमारी सेनाएं पूरी सतर्कता के साथ निगरानी कर रही हैं और किसी भी दोहराव की स्थिति में उन्हें सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.” Also Read: विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बड़ा बयान, पाकिस्तान ने सैन्य समझौते का उल्लंघन किया, हिंदुस्तान की कड़ी चेतावनी The post China Support Pakistan: ‘चीन का असली चेहरा सामने आया, वांग यी बोले- हम पाकिस्तान के साथ हैं’ appeared first on Naya Vichar.

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पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का किया उल्लंघन, भारत पर की दोबारा गोलाबारी

INDIA PAKISTAN WAR: हिंदुस्तान-पाकिस्तान सीमा पर एक बार फिर से तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है.पाकिस्तान ने आज दोपहर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों पर अकारण गोलाबारी शुरू कर दी. यह हमला उस समय हुआ जब दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने को लेकर कूटनीतिक प्रयास जारी थे. हिंदुस्तानीय सेना के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से दोपहर लगभग 2 बजे बिना किसी उकसावे के गोलाबारी की गई, जिसमें भारी हथियारों का इस्तेमाल किया गया. यह गोलीबारी जम्मू के अरनिया और कठुआ सेक्टरों में देखी गई, जहां रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया गया. स्थानीय लोगों में भय का माहौल फैल गया है, और प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है. हिंदुस्तानीय सुरक्षा बलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और दुश्मन की चौकियों को प्रभावी तरीके से निशाना बनाया. सेना के प्रवक्ता ने बताया कि हमारे जवान पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. हिंदुस्तान प्रशासन की प्रतिक्रिया हिंदुस्तान प्रशासन ने पाकिस्तान की इस हरकत की कड़ी निंदा की है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह सीधा-सीधा संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन है और इसका गंभीर जवाब दिया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाने का संकेत दिया है.प्रशासनी सूत्रों ने इस घटना को सीधी चुनौती करार दिया है और कहा है कि हिंदुस्तान इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत का सख्ती से जवाब देगा. विदेश मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है. फिलहाल स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है और स्थानीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. स्थानीय हालात गोलाबारी के चलते सीमावर्ती गांवों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं और लोगों को बंकरों में रहने की सलाह दी गई है. जिला प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है. हालांकि अब तक किसी नागरिक या सुरक्षाबल के जवान के घायल होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है. विशेषज्ञों का कहना है विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह कार्रवाई सीमा पर तनाव बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास हो सकता है. यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब हिंदुस्तान ने हाल ही में सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है और आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा शनिवार रात क़रीब 11 बजे हुई स्पेशल ब्रीफिंग में विक्रम मिसरी ने बताया है कि पाकिस्तान ने समझौते का उल्लंघन किया है.उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों से हो रही सैन्य कार्रवाई को रोकने का समझौता आज शाम को हुआ था. पिछले कुछ घंटों से पाकिस्तान की तरफ़ से इस समझौते का घोर उल्लंघन हो रहा है.””हिंदुस्तानीय सेना जवाबी कार्रवाई कर रही है और इस सीजफायर से निपट रही है. पाकिस्तान की यह कायराना हरकत अत्यंत ही निंदनीय है और पाकिस्तान इसके लिए ज़िम्मेदार है.” The post पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का किया उल्लंघन, हिंदुस्तान पर की दोबारा गोलाबारी appeared first on Naya Vichar.

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पाकिस्तानी सेना क्यों रहती है आउट ऑफ कंट्रोल, कठपुतली सरकार बनाने में माहिर

Pakistan Army: हिंदुस्तान के साथ जारी तनाव के बाद अमेरिका के हस्तक्षेप पर पाकिस्तान की प्रशासन ने युद्धविराम करने पर अपनी सहमति जता दी. लेकिन, वहां पर सेना प्रशासन की बात मानने को तैयार नहीं है. बरसों से दुनिया भर के लोगों में हमेशा यह सवाल पैदा होता रहता है कि आखिर, ऐसी क्या बात है, जो पाकिस्तानी सेना हमेशा आउट ऑफ कंट्रोल रहती है और अपने हिसाब से वहां पर कठपुतली प्रशासन बनाती रहती है? जब चाहती है और जैसा चाहती है, अपने हिसाब से प्रशासन बनाती और गिराती है? आइए, आज हम इसकी पूरी सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं. पाकिस्तान की प्रशासन और सेना के संबंध गड़बड़ पाकिस्तान में प्रशासन और सेना के बीच असंतुलित संबंध एक जटिल और ऐतिहासिक मुद्दा है, जो 1947 में देश की स्थापना के साथ शुरू हुआ. सेना ने न केवल सुरक्षा बल के रूप में, बल्कि नेतृत्वक और आर्थिक शक्ति के केंद्र के रूप में भी अपनी भूमिका को मजबूत किया है. पाकिस्तान में प्रशासन और सेना के बीच संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं. सेना हमेशा प्रशासन, सत्ता और नेतृत्व पर हावी रही है. 1947-1958: शुरुआती अस्थिरता और सत्ता में सेना का उदय पाकिस्तान की स्थापना हिंदुस्तान के विभाजन के बाद हुई, जिसके साथ आर्थिक, सामाजिक और क्षेत्रीय चुनौतियां आईं. कश्मीर विवाद के कारण 1947-48 में हिंदुस्तान के साथ पहला युद्ध हुआ, जिसने सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के रक्षक के रूप में स्थापित किया. शुरुआती वर्षों में असैनिक प्रशासनें कमजोर थीं, क्योंकि नेतृत्वक दलों में एकता और नेतृत्व की कमी थी. 1951 में लियाकत अली खान की हत्या के बाद नेतृत्वक अस्थिरता और बढ़ी. इस दौरान, सेना ने धीरे-धीरे खुद को एक संगठित और स्थिर संस्था के रूप में प्रस्तुत किया. 1958 में जनरल अयूब खान ने पहला सैन्य तख्तापलट किया, जिसने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ठप कर दिया और सेना को नेतृत्व में प्रमुख शक्ति बना दिया. यह तख्तापलट कमजोर असैनिक नेतृत्व और भ्रष्टाचार के आरोपों का परिणाम था, जिसे सेना ने अपने हस्तक्षेप का औचित्य साबित करने के लिए इस्तेमाल किया. 1958-1988: सैन्य शासन का युग अयूब खान (1958-1969) के शासन ने सेना को आर्थिक और नेतृत्वक शक्ति दी. सेना ने बड़े पैमाने पर व्यापार और उद्योगों में निवेश किया, जिससे उसकी आर्थिक ताकत बढ़ी. 1965 के हिंदुस्तान-पाकिस्तान युद्ध में सेना की भूमिका ने उसकी छवि को और मजबूत किया. हालांकि, युद्ध का परिणाम अनिर्णायक रहा. 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक बड़ा झटका था, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र बांग्लादेश बन गया. इस हार ने सेना की विश्वसनीयता को प्रभावित किया, लेकिन उसने जल्द ही जनरल जिया-उल-हक (1977-1988) के नेतृत्व में सत्ता पर फिर से कब्जा कर लिया. जिया ने इस्लामीकरण को बढ़ावा देकर और सोवियत-अफगान युद्ध में अमेरिकी समर्थन प्राप्त करके सेना की स्थिति को और सुदृढ़ किया. इस अवधि में, सेना ने ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) के माध्यम से विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा पर नियंत्रण स्थापित किया. असैनिक प्रशासनें इस दौरान या तो कठपुतली थीं या अस्तित्वहीन. 1988-1999: लोकतंत्र की कोशिशें और सेना का दबदबा जिया-उल-हक की मौत के बाद बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ जैसे नेताओं ने लोकतांत्रिक प्रशासनें बनाईं, लेकिन सेना का प्रभाव कम नहीं हुआ. 1990 के दशक में सेना ने कश्मीर में छद्म युद्ध और आतंकवादी समूहों को समर्थन देकर हिंदुस्तान के खिलाफ अपनी रणनीति को तेज किया. 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर नवाज शरीफ की सत्ता हथिया ली, क्योंकि शरीफ ने सेना प्रमुख को बदलने की कोशिश की थी. इस घटना ने दिखाया कि सेना असैनिक प्रशासनों को अपनी मर्जी के खिलाफ फैसले लेने की इजाजत नहीं देती. 2008-2025: छद्म लोकतंत्र और सेना की पकड़ 2008 में लोकतंत्र की बहाली के बाद सेना ने प्रत्यक्ष शासन छोड़ दिया, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से नीतियों को प्रभावित किया. जनरल राहील शरीफ और बाद में जनरल बाजवा ने विदेश नीति (विशेष रूप से हिंदुस्तान और अफगानिस्तान के साथ संबंधों) पर नियंत्रण रखा. 2018 में इमरान खान की प्रशासन को सेना का समर्थन प्राप्त था, लेकिन 2022 में उनके हटने के बाद सेना ने शहबाज शरीफ की प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया. 2025 में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना ने प्रशासन को हिंदुस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के लिए मजबूर किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि प्रमुख नीतिगत फैसले सेना ही लेती है. हाल के 2024 के चुनावों में भी सेना पर हस्तक्षेप के आरोप लगे. तनाव के प्रमुख कारण ऐतिहासिक प्रभुत्व: सेना ने शुरुआती अस्थिरता का फायदा उठाकर सत्ता पर कब्जा किया और कभी भी पूर्ण असैनिक नियंत्रण स्वीकार नहीं किया. आर्थिक शक्ति: सेना का बड़े पैमाने पर व्यापार, रियल एस्टेट और उद्योगों में नियंत्रण है, जो उसे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाता है. विदेश नीति पर नियंत्रण: हिंदुस्तान, अमेरिका और चीन के साथ संबंधों में सेना का दबदबा है, जिससे प्रशासन की भूमिका सीमित हो जाती है. आतंकवाद और सुरक्षा: सेना ने आतंकवाद विरोधी अभियानों और कश्मीर नीति के जरिए अपनी जरूरत को साबित किया है. कमजोर लोकतंत्र: बार-बार तख्तापलट और भ्रष्टाचार ने असैनिक प्रशासनों की विश्वसनीयता को कमजोर किया. इसे भी पढ़ें: India Pakistan Ceasefire: जयराम रमेश ने की संसद के विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक की मांग पाकिस्तान में सेना-प्रशासन के तनाव का कारण पाकिस्तान में सेना और प्रशासन के बीच तनाव का मूल कारण सेना की ऐतिहासिक, आर्थिक और नेतृत्वक ताकत है, जो कमजोर लोकतांत्रिक संस्थानों और बार-बार के सैन्य हस्तक्षेप से और मजबूत हुई. 1947 से 2025 तक सेना ने हर प्रमुख संकट का इस्तेमाल अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किया. जब तक असैनिक संस्थाएँ मजबूत नहीं होंगी और सेना की आर्थिक शक्ति सीमित नहीं होगी, यह असंतुलन बना रहेगा. इसे भी पढ़ें: 1971 के बाद हिंदुस्तानीय सेना ने पाकिस्तान को सिखाया सबसे बड़ा सबक, ऑपरेशन सिंदूर की दिखाई ताकत The post पाकिस्तानी सेना क्यों रहती है आउट ऑफ कंट्रोल, कठपुतली प्रशासन बनाने में माहिर appeared first on Naya Vichar.

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Press Conference On Ceasefire Violence : विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बड़ा बयान, पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया, भारत की कड़ी चेतावनी

Press Conference On Ceasefire Violence : हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव के बीच, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMOs) के बीच शाम को एक समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों ने पिछले कुछ दिनों से जारी सैन्य कार्रवाई को रोकने का निर्णय लिया था. मिस्री ने यह जानकारी दी कि यह समझौता शाम को हुआ था और इसके तहत दोनों देशों की सेनाओं को युद्धविराम की स्थिति में लाने का प्रयास किया गया था. लेकिन, इसके कुछ ही घंटे बाद, पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की ओर से यह उल्लंघन लगातार हो रहा है, जिससे तनाव में इजाफा हुआ है. #WATCH | Delhi: Foreign Secretary Vikram Misri says, “An understanding was reached this evening between the DGMOs of India and Pakistan to stop the military action that was going on for the last few days. For the last few hours, this understanding is being violated by Pakistan.… pic.twitter.com/BNGnyvTnUH — ANI (@ANI) May 10, 2025 The post Press Conference On Ceasefire Violence : विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बड़ा बयान, पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया, हिंदुस्तान की कड़ी चेतावनी appeared first on Naya Vichar.

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शुभमन गिल बनेंगे टेस्ट कप्तान, पंत को भी मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी, कोहली के संन्यास पर BCCI की चुप्पी

Team India Test Captain: प्रतिभाशाली युवा बल्लेबाज शुभमन गिल को टेस्ट में हिंदुस्तानीय टीम की कमान सौंपी जा सकती है जबकि स्पोर्ट्स के इस पारंपरिक प्रारूप में विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत नए उप-कप्तान होंगे. उप-कप्तान का चयन सरल लगता है क्योंकि पंत विदेशी परिस्थितियों में हिंदुस्तान के बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाजों में से एक हैं और जसप्रीत बुमराह का कद इतना बड़ा है कि उन्हें उप-कप्तान की भूमिका के लिए नहीं चुना जा सकता है और साथ ही जब उनकी खुद की फिटनेस भी संदिग्ध है तो उनका पूरी सीरीज के लिए स्पोर्ट्सना अनिश्चित है. पंत ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में शतकों के साथ 42 से अधिक के औसत से इस प्रारूप में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं. वह इन देशों में सात बार 90 और 99 के बीच स्कोर बना चुके हैं. Shubman Gill and Pant get big responsibilities BCCI silent on Kohli retirement बुमराह का कद बड़ा, नहीं बनेंगे उपकप्तान हिंदुस्तानीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘अगर बुमराह कप्तान नहीं हैं तो उन्हें उप-कप्तानी की पेशकश करने का कोई मतलब नहीं है.’ क्रिकेट जगत जहां करिश्माई विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की इच्छा से हैरान है तो वहीं पता चला है कि चयन समिति ने इंग्लैंड में उन्हें कप्तानी सौंपने के विचार पर विचार किया है ताकि गिल को खुद को निखारने के लिए कुछ और समय मिल सके. अभी तक कोहली ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है और माना जा रहा है कि उन्हें इंग्लैंड में आगामी पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में स्पोर्ट्सने के लिए कहा जाएगा क्योंकि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उनके अनुभव की जरूरत होगी, विशेषकर तब जब रोहित शर्मा ने भी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है. Countless memories, magnificent moments. Thank you, Captain 🫡🫡#RohitSharma pic.twitter.com/l6cudgyaZC — BCCI (@BCCI) May 7, 2025 विराट कोहली पर बीसीसीआई की चुप्पी हालांकि बीसीसीआई ने कोहली के टेस्ट करियर के संबंध में उनसे हुई बातचीत पर चुप्पी साधी हुई है. पीटीआई ने चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर और बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया से संपर्क किया लेकिन उन्होंने अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं दिया है. बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा, ‘यह सच है कि चयनकर्ताओं ने इंग्लैंड सीरीज के लिए कोहली को हिंदुस्तानीय कप्तान बनाने के बारे में सोचा था. इससे गिल को कप्तानी की भूमिका में ढलने के लिए कुछ समय मिल जाता. बुमराह की फिटनेस समस्याओं के कारण अजीत अगरकर की समिति की पंसद गिल लग रहे हैं.’ केएल राहुल के बारे में कोई विचार नहीं केएल राहुल को विकल्प के रूप में नहीं माना जा रहा है क्योंकि वह पहले से ही 33 से अधिक उम्र के हैं और बेंगलुरु के इस खिलाड़ी के लिए निरंतरता एक मुद्दा रहा है, भले ही वह ऑस्ट्रेलिया में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में से एक थे. उनका 11 साल के टेस्ट कैरियर के बाद 50 मैचों में 35 से कम का औसत प्रभावशाली नहीं है. इंग्लैंड दौरे के लिए हिंदुस्तानीय टीम की घोषणा मई के तीसरे हफ्ते के अंत में की जाएगी जबकि हिंदुस्तान ए टीम की घोषणा अगले सप्ताह की शुरुआत में की जाएगी. अगर टेस्ट दौरे के लिए नए खिलाड़ियों में से एक का चयन निश्चित है तो वह तमिलनाडु के बाएं हाथ के साई सुदर्शन ही होंगे जिन्होंने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो वह या तो पारी की शुरुआत करेंगे या तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आएंगे. ये भी पढ़ें… ‘यह घबराने का समय नहीं है’, IPL 2025 निलंबन के बाद पंजाब किंग्स की अपील IND PAK War: कंगाल पाकिस्तान को लगा दूसरा झटका, PSL के बाद अब यहां हुआ नुकसान BCCI और जय शाह की वजह से दुबई में नहीं हो सका PSL, ECB अधिकारी ने खोला बड़ा राज The post शुभमन गिल बनेंगे टेस्ट कप्तान, पंत को भी मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी, कोहली के संन्यास पर BCCI की चुप्पी appeared first on Naya Vichar.

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