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May 19, 2025

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जिंदा मछली मुंह में घुसी, गले में जाकर फंसी, तालाब में मछली से खेल करना झारखंड के युवक को पड़ा महंगा

Live Fish Stuck In Throat: सरायकेला, प्रताप मिश्रा-झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में एक युवक को मछली पकड़ने के दौरान उससे स्पोर्ट्स करना महंगा पड़ गया. जिंदा मछली उछलकर उसके मुंह में घुस गयी और गले में जाकर फंस गया. आनन-फानन में उस युवक को अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद उसकी जान बची. एमजीएम जमशेदपुर किया गया था रेफर सरायकेला प्रखंड की नुवा पंचायत के तबलापुर गांव के टोला रुगड़ी साही में मछली पकड़ने के दौरान गले में जिंदा मछली फंस गयी. इससे सांस लेने में तकलीफ होने लगी. इसके बाद आनन-फानन में उसे सरायकेला सदर अस्पताल लाया गया, जहां स्थिति गंभीर होता देख एमजीएम जमशेदपुर रेफर कर दिया गया. चिकित्सकों की टीम ने गले से मछली को निकाला. इस तरह उसकी जान बची. ये भी पढ़ें: अब चुटकी में होगा अंतिम संस्कार, झारखंड का पहला इको-फ्रेंडली लकड़ी शवदाह गृह यहां बनकर हो गया तैयार मछली से स्पोर्ट्स करना पड़ा महंगा तबलापुर गांव का ताले हेम्ब्रम (20 वर्ष) दोपहर में कम पानीवाले तालाब में मछली पकड़ रहा था. इस दौरान वह दांत से मछली को मार रहा था. तभी एक मछली मुंह में घुस गयी और उसके गले में जाकर फंस गयी. गले में मछली फंसने से उससे सांस लेने में परेशानी होने लगी तो परिजन आनन- फानन में अस्पताल लेकर गए और उसका इलाज कराया. ये भी पढ़ें: पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली को दिलायी अंतरराष्ट्रीय पहचान, ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में बोले DSPMU वीसी ये भी पढ़ें: कल्पना और मां रूपी सोरेन संग चाकुलिया पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन, अपने फुफेरे भाई कपूर टुडू को दी श्रद्धांजलि The post जिंदा मछली मुंह में घुसी, गले में जाकर फंसी, तालाब में मछली से स्पोर्ट्स करना झारखंड के युवक को पड़ा महंगा appeared first on Naya Vichar.

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मुजफ्फरपुर: संजय चौधरी को भाड़े के शूटर ने मारी थी गोली, गिरोह के तीन शातिर हथियार समेत धराए

मुजफ्फरपुर सदर थाना क्षेत्र के पताही इलाके में 15 मई की शाम संजय कुमार चौधरी उर्फ रामनवमी चौधरी की हत्या भाड़े के शूटरों से कराई गई थी. इस मामले में पुलिस ने तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है. इनकी गिरफ्तारी सरैया इलाके से की गई है. पकड़े गए बदमाशों में शामिल सरैया थाना क्षेत्र के बासुचक के प्रकाश पासवान और राजेश कुमार व पारु इलाके के मनोज कुमार शामिल हैं. इनके पास से पुलिस ने एक पिस्टल, दो देसी कट्टा, चार कारतूस, 29 ग्राम स्मैक और दो बाइक बरामद किया है. यह जानकारी सोमवार को अपने कार्यालय कक्ष में सिटी एसपी विश्वजीत दयाल ने दी. उन्होंने बताया कि घटना को पुलिस ने चुनौती के रूप में लिया. एसडीपीओ-2 विनीता सिन्हा के नेतृत्व में सदर थानाध्यक्ष अस्मित कुमार लगातार अपराधियों की तलाश में थे. तकनीकी और मानवीय इनपुट के आधार पर सरैया इलाके से तीन बदमाशों को पकड़ा गया.  बदमाशों ने स्वीकार की हत्याकांड में अपनी संलिप्तता पूछताछ के दौरान इन बदमाशों ने हत्याकांड में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है, हालांकि तीनों में से किसी ने गोली चलाने की बात से इन्कार किया है. उन्होंने पुलिस को बताया है कि गोली उन्होंने नहीं चलाई है. सिटी एसपी ने बताया कि अबतक की जांच के अनुसार संजय की हत्या जमीन विवाद को लेकर की गई है. गोली चलाने वाले और गिरोह में शामिल बदमाशों को सुपारी किसने दी थी. यह पुलिस के लिए अभी मिस्ट्री बनी हुई है. सिटी एसपी ने बताया कि हत्या के लिए सुपारी देने वाले और सुपारी लेकर इस मामले को अंजाम देने वाले की पुलिस तलाश कर रही है. तीन मई को भी बदमाशों ने की थी हत्या की कोशिश विनीता सिन्हा ने बताया कि हत्या के 12 दिन पहले तीन मई को भी इन बदमाशों ने पताही में एलपी शाही कॉलेज के पास संजय पर गोली चलाई थी, लेकिन उस दिन संजय बच निकला था. संजय या उनके किसी परिजन ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी थी. जांच के क्रम में यह बात सामने आयी है. पकड़े गए बदमाशों में शामिल प्रकाश पासवान और मनोज कुमार तीन मई को भी गोली चलाने में शामिल थे. सरैया में ढाबा चलाता है राजेश, यहीं हुई थी हत्या की प्लानिंग  पुलिस को जानकारी मिली है कि सुपारी लेने के बाद चार बदमाश हथियार से लैश होकर पहुंचे थे. इसमें से एक ने गोली चलाई थी. सीसीटीवी फुटेज में गोली चलाने वाले का चेहरा नहीं दिख रहा है. पकड़े गए तीन बदमाशों ने कहा कि गोली उसने नहीं चलाई थी. ऐसे में फरार चौथे साथी को पुलिस खोज रही है. इन बदमाश प्रकाश और मनोज ने बताया कि सरैया में राजेश कुमार का ढाबा है. यहीं हत्या की प्लानिंग की गई थी. पताही में हत्या के बाद सभी यहीं पहुंचे थे. यहां पार्टी हुई थी और हत्या के बदले मिले पैसे का बंटवारा भी हुआ था. हालांकि, सुपारी किसने दी थी और किसे दी थी, पुलिस इसे डिकोड नहीं कर सकी है. बिहार की ताजा समाचारों के लिए यहां क्लिक करें आठ कट्ठा भूमि को लेकर चल रहा था विवाद  पुलिस को जांच में पता चला है कि पूर्व में रामनवमी चौधरी के भाई की हत्या भी प्रॉपर्टी विवाद में हुई थी. उनकी हत्या के बाद रामनवमी प्रॉपर्टी को लेकर सक्रिय थे. एलपी शाही कॉलेज के पास इनका आठ कट्ठा भूमि था. हत्या के मुख्य साजिशकर्ता की इसके ठीक पीछे भूमि थी. रास्ते को लेकर विवाद चल रहा था. इसी को लेकर रामनवमी चौधरी की हत्या कर दी गई. इसे भी पढ़ें: Bihar Crime: बोचहां के फार्म व्यवसायी का बागमती नदी से शव बरामद, FSL टीम ने की घटनास्थल की जांच, खंगाला गया CCTV फुटेज The post मुजफ्फरपुर: संजय चौधरी को भाड़े के शूटर ने मारी थी गोली, गिरोह के तीन शातिर हथियार समेत धराए appeared first on Naya Vichar.

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UPI Payment: यूपीआई से पेमेंट पर सरकार देगी डिस्काउंट, बनाने जा रही तगड़ा प्लान

UPI Payment: यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए खुशसमाचारी है. प्रशासन अब UPI से पेमेंट करने वालों को डिस्काउंट देने की योजना बना रही है. उपभोक्ता मंत्रालय ऐसे प्लान पर काम कर रहा है, जिससे UPI ट्रांजैक्शन करना क्रेडिट कार्ड की तुलना में ज्यादा सस्ता और फायदेमंद हो जाएगा. इसका उद्देश्य डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना और ग्राहकों को प्रत्यक्ष लाभ देना है. क्यों बन रही है यह योजना? क्रेडिट कार्ड से पेमेंट पर आमतौर पर 2-3% मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लगता है, जिससे दुकानदार को पूरा भुगतान नहीं मिल पाता. जबकि, UPI पेमेंट पर कोई शुल्क नहीं लगता. कई बार दुकानदार यह लागत ग्राहकों से वसूलते हैं. इस असमानता को खत्म करने के लिए प्रशासन चाहती है कि अगर कोई ग्राहक UPI से भुगतान करे, तो उसे सामान की कीमत पर सीधी छूट मिले. जून 2025 में होगा अंतिम निर्णय प्रशासन इस योजना पर अमल से पहले जून 2025 में ई-कॉमर्स कंपनियों, बैंकों, NPCI, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स और उपभोक्ता संगठनों के साथ विचार-विमर्श करेगी. इसके बाद योजना की अंतिम रूपरेखा तैयार की जाएगी. हालांकि, पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया UPI और रूपे डेबिट कार्ड पर MDR लागू करने की मांग कर चुकी है, लेकिन प्रशासन अभी इसे मंजूरी नहीं दे रही है. 16 जून से UPI ट्रांजैक्शन होंगे और तेज NPCI के नए नियम के मुताबिक, 16 जून 2025 से UPI पेमेंट सिर्फ 15 सेकंड में पूरा हो जाएगा, जो पहले 30 सेकंड तक लगता था. इससे डिजिटल ट्रांजैक्शन का अनुभव और बेहतर हो जाएगा. इसे भी पढ़ें: Mutual Funds पर टूट पड़ी स्त्रीएं, कंपनियों के एसेसट्स साइज में रिकॉर्ड बढ़ोतरी FY 2024-25 में रिकॉर्ड UPI ट्रांजैक्शन वित्त वर्ष 2024-25 में UPI के जरिए 185.85 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42% ज्यादा हैं. इनका कुल मूल्य 260.56 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 30% सालाना वृद्धि को दर्शाता है. इससे यह साफ है कि देश में डिजिटल भुगतान प्रणाली लगातार तेजी से बढ़ रही है. इसे भी पढ़ें: आधा हिंदुस्तान नहीं जानता कौन कंपनी बनाती है राफेल, जान जाएगा खासियत तो चूम लेगा अपना हाथ The post UPI Payment: यूपीआई से पेमेंट पर प्रशासन देगी डिस्काउंट, बनाने जा रही तगड़ा प्लान appeared first on Naya Vichar.

बिहार

Special Train-दिल्ली से दरभंगा एवं नई दिल्ली से सहरसा के मध्य 01-01 जोड़ी समर स्पेशल ट्रेनों का परिचालन

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर।  ग्रीष्मकालीन अवकाश के अवसर पर यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ के मद्देनजर रेलवे द्वारा कई स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है । इसी कड़ी में दिल्ली से दरभंगा तथा नई दिल्ली से सहरसा के मध्य 01-01 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों के परिचालन का निर्णय लिया गया है जिनका विवरण निम्नानुसार है –  1. गाड़ी संख्या 04072/04071 दिल्ली-दरभंगा-दिल्ली स्पेशल (लखनऊ-वाराणसी-गाजीपुर-बलिया- हाजीपुर-समस्तीपुर के रास्ते): गाड़ी संख्या 04072 दिल्ली-दरभंगा स्पेशल 19 मई से 10 जुलाई, 2025 तक प्रत्येक सोमवार एवं गुरूवार को दिल्ली से 11.00 बजे खुलकर विभिन्न स्टेशनों पर रूकते हुए अगले दिन 08.40 बजे हाजीपुर, 09.40 बजे मुजफ्फरपुर, 11.10 बजे समस्तीपुर रूकते हुए 13.30 बजे दरभंगा पहुंचेगी । वापसी में, गाड़ी संख्या 04071 दरभंगा-दिल्ली स्पेशल 20 मई से 11 जुलाई, 2025 तक प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को दरभंगा से 15.00 बजे खुलकर 16.30 बजे समस्तीपुर, 18.30 मुजफ्फरपुर, 19.25 बजे हाजीपुर सहित अन्य स्टेशनों पर रूकते हुए अगले दिन 18.50 बजे दिल्ली पहुंचेगी । 2. गाड़ी संख्या 04058/04057 नई दिल्ली-सहरसा-नई दिल्ली स्पेशल(प्रयागराज-वाराणसी-गाजीपुर-बलिया- हाजीपुर-शाहपुर पटोरी- बरौनी के रास्ते) : गाड़ी संख्या 04058 नई दिल्ली-सहरसा स्पेशल 20 मई से 11 जुलाई, 2025 तक प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को नई दिल्ली से 19.30 बजे खुलकर विभिन्न स्टेशनों पर रूकते हुए अगले दिन 13.40 बजे हाजीपुर, 14.25 बजे शाहपुर पटोरी, 15.40 बजे बरौनी, 16.08 बजे बेगुसराय, 17.08 बजे खगड़िया, 17.58 बजे मानसी रूकते हुए 19.50 बजे सहरसा पहुंचेगी । वापसी में, गाड़ी संख्या 04057 सहरसा-नई दिल्ली स्पेशल 21 मई से 12 जुलाई, 2025 तक प्रत्येक बुधवार एवं शनिवार को सहरसा से 21.40 बजे खुलकर 22.50 बजे मानसी, 23.02 बजे खगड़िया, 23.40 बजे बेगुसराय, अगले दिन 00.10 बजे बरौनी, 01.10 बजे शाहपुर पटोरी, 01.55 बजे हाजीपुर सहित अन्य स्टेशनों पर रूकते हुए 23.30 बजे नई दिल्ली पहुंचेगी ।

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NTPC बाढ़ को मिला टस्कर अवॉर्ड, जानिए क्यों मिलता है यह सम्मान?

NTPC: एनटीपीसी बाढ़ को आंतरिक एवं बाह्य संचार में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित टस्कर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार एनटीपीसी बाढ़ की आंतरिक और बाह्य हितधारकों के लिए उत्कृष्ट संचार रणनीति को मान्यता देता है.  तिरुवनंतपुरम में शशि थरूर ने दिया अवॉर्ड यह पुरस्कार 17 मई 2025 को केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक औपचारिक समारोह में  लोकसभा सांसद  शशि थरूर द्वारा दिया गया. एनटीपीसी बाढ़ की ओर से यह पुरस्कार PRO विकास धर द्विवेदी (कार्यकारी – कॉर्पोरेट संचार) द्वारा प्राप्त किया गया.  बिहार की ताजा समाचारों के लिए यहां क्लिक करें कार्यकारी निदेशक ने सम्मान को बताया महत्वपूर्ण  कॉर्पोरेट संचार अनुभाग ने इस उपलब्धि के लिए  जी. श्रीनिवास राव, कार्यकारी निदेशक (बाढ़) के सक्षम नेतृत्व के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा सभी कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों, समर्पण और प्रतिबद्धता को बड़ा महत्वपूर्ण बताया.  इसे भी पढ़ें: Bihar: बहू ने इंस्टाग्राम पर बनाई रील तो ससुर को आया गुस्सा, लाठी से मारकर फोड़ डाला सिर The post NTPC बाढ़ को मिला टस्कर अवॉर्ड, जानिए क्यों मिलता है यह सम्मान? appeared first on Naya Vichar.

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अब चुटकी में होगा अंतिम संस्कार, झारखंड का पहला इको-फ्रेंडली लकड़ी शवदाह गृह यहां बनकर हो गया तैयार

Funeral Rites: जमशेदपुर-बिष्टुपुर पार्वती घाट पर झारखंड का पहला इको-फ्रेंडली लकड़ी वाला शवदाह गृह तैयार किया गया है. यहां कम खर्च और जल्द अंतिम संस्कार संपन्न हो सकेगा. इसकी मशानी गुजरात से मंगायी गयी है, जिसकी कीमत करीब सात लाख रुपए है. मशीन स्थापित करने वाली कंपनी के प्रोपराइटर हर्षिल अर्जुन भाई पटेल ने बताया कि लकड़ी की आंच सीधा शव तक पहुंचे, ऐसी इस मशीन में व्यवस्था है. 70 किलो लकड़ी में एक घंटा में पूरी होगी शवदाह प्रक्रिया हर्षिल अर्जुन भाई पटेल ने बताया कि पारंपरिक तरीके से शवदाह करने में करीब तीन क्विंटल लकड़ी की जरूरत पड़ती है. शवदाह करने में ढाई से तीन घंटे लगते हैं, लेकिन इस मशीन में 60-70 किलो लकड़ी से करीब एक घंटे में शवदाह की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. यह मशीन 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर काम करती है. मशीन में कपाल क्रिया, परिक्रमा और अस्थि संचय की भी सुविधा उपलब्ध है. ये भी पढ़ें: झारखंड: पाक महीने में नापाक हरकत, अपनी ही नाबालिग बिटिया से दुष्कर्म के दोषी को आखिरी सांस तक उम्रकैद, 1 लाख जुर्माना अस्थियां और राख ऐसे कर सकेंगे प्राप्त हर्षिल पटेल के अनुसार इस पहल से हर साल 200 पेड़ों की कटाई रोकी जा सकेगी. मशीन जल्द ही एक्टिव हो जाएगी. यह एक पूर्णतः कवर वाला लकड़ी शवदाह प्लेटफॉर्म है, जिसमें पहले शव और लकड़ियां रखी जाएंगी. इसके बाद पूरी प्रक्रिया अपनाकर ढक्कन बंद कर दिया जाएगा. शवदाह प्रक्रिया पूरी होने पर नीचे बनी ट्रे से अस्थियां और राख प्राप्त की जा सकेगी. ये भी पढ़ें: कल्पना और मां रूपी सोरेन संग चाकुलिया पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन, अपने फुफेरे भाई कपूर टुडू को दी श्रद्धांजलि ये भी पढ़ें: पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली को दिलायी अंतरराष्ट्रीय पहचान, ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में बोले DSPMU वीसी ये भी पढ़ें: Jharkhand Weather: दुमकावालों सावधान! रेड अलर्ट जारी, रांची समेत इन 8 जिलों में 3 घंटे के अंदर झमाझम बारिश, वज्रपात की चेतावनी The post अब चुटकी में होगा अंतिम संस्कार, झारखंड का पहला इको-फ्रेंडली लकड़ी शवदाह गृह यहां बनकर हो गया तैयार appeared first on Naya Vichar.

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Gold खरीदने वालों को झटका! बाजार में फिर बढ़ा सोने का भाव, चांदी हो गई महंगी

Gold Price Today: सोने की खरीद या इसमें निवेश करने वालों को करारा झटका लगा है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती के कारण दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने की कीमत 580 रुपये बढ़कर 97,030 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई. अखिल हिंदुस्तानीय सर्राफा संघ की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इससे पहले शुक्रवार को 99.9% शुद्धता वाले सोने की कीमत 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी. दिल्ली में 580 रुपये बढ़ा सोना अखिल हिंदुस्तानीय सर्राफा संघ ने बताया कि इसी के साथ दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोमवार को 99.5% शुद्धता वाले सोने की कीमत सभी प्रकार के टैक्स के साथ 580 रुपये बढ़कर 96,580 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई. इससे पहले के कारोबारी सत्र में यह 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 39.05 डॉलर यानी 1.22% की तेजी के साथ 3,241.82 डॉलर प्रति औंस हो गया. चांदी के भाव में 500 रुपये की बढ़ोतरी इसके अलावा, चांदी की कीमत भी सभी प्रकार के टैक्स के साथ 500 रुपये बढ़कर 98,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई. शुक्रवार को चांदी 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी. इसे भी पढ़ें: आधा हिंदुस्तान नहीं जानता कौन कंपनी बनाती है राफेल, जान जाएगा खासियत तो चूम लेगा अपना हाथ क्यों बढ़ी सोने की कीमत अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘इसी समय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल 4.5% के करीब पहुंच रहा है, जो शुक्रवार को आई तेजी को और बढ़ा रहा है, जबकि रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग को ‘एएए’ से घटाकर एए1 कर दिया है.’’ उन्होंने कहा कि इस कदम से सोने में दिलचस्पी फिर से बढ़ गई है, क्योंकि निवेशक अमेरिकी ‘ट्रेजरी बिलों’ में निवेश कम कर रहे हैं और सुरक्षित निवेश की तलाश कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें: Mutual Funds पर टूट पड़ी स्त्रीएं, कंपनियों के एसेसट्स साइज में रिकॉर्ड बढ़ोतरी भू-नेतृत्वक तनाव से सोने को समर्थन जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष (ईबीजी-जिंस और मुद्रा शोध) प्रणव मेर ने कहा, ‘‘सप्ताह के दौरान मुख्य ध्यान अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों जैसे कि विनिर्माण, सेवा पीएमआई और आवास आंकड़ों पर होगा. ये आंकड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व के भविष्य के मौद्रिक नीति चक्र के बारे में अधिक स्पष्टता प्रदान करेंगे. यही कारण है कि सप्ताह की शुरुआत में सोने के भाव में सकारात्मक रुख देखा गया.” उन्होंने कहा कि भू-नेतृत्वक तनाव की वजह से सोने की कीमतों को समर्थन मिल सकता है. इसे भी पढ़ें: अगले दो हफ्तों में आएंगे 6 नए IPO, कंपनियां जुटाएंगी 11,000 करोड़ रुपये The post Gold खरीदने वालों को झटका! बाजार में फिर बढ़ा सोने का भाव, चांदी हो गई महंगी appeared first on Naya Vichar.

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General Knowledge: किस शहर में लड़कियां नहीं पहन सकती 2 इंच से ज्यादा हील्स? देखें GK के ट्रिकी सवाल-जवाब

General Knowledge: प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को सबसे ज्यादा डर जनरल नॉलेज और करेंट अफेयर्स सेक्शन में लगता है. यही वजह है कि हर स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा में जनरल नॉलेज के सवाल जरूर होते हैं. अक्सर इस सेक्शन में कुछ ट्रिकी सवाल पूछकर छात्रों को कंफ्यूज किया जाता है. ऐसे में यहां कुछ ट्रिकी सवाल-जवाब बताए जा रहे हैं. ये सवाल परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं. General Knowledge for Exam: जीके के ट्रिकी सवाल जवाब सवाल: हिंदुस्तान के किस राज्य की हाईकोर्ट ने जानवरों को कानूनी तौर पर व्यक्ति घोषित किया है?जवाब: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पशुओं को ‘कानूनी व्यक्ति’ घोषित किया है. उत्तराखंड राज्य के सभी नागरिकों को पशुओं के कल्याण/संरक्षण के लिए मानवीय चेहरा होने के नाते यह फैसला लिया गया है. सवाल: ‘Calculator’ को हिंदी में क्या बोलते है?जवाब: कैलकुलेटर को हिंदी में गणक या परिकलक कहा जाता है. कैलकुलेटर का इस्तेमाल 17वीं सदी कैलकुलेटर शब्द के साथ ही होता आ रहा है. सवाल: पृथ्वी के केन्द्र में पाया जाने वाला चुम्बकीय पदार्थ कौन-सा है?जवाब: पृथ्वी के केंद्र में निकेल और लोहा (आयरन) का एक ठोस मिश्रण पाया जाता है, जो एक चुम्बकीय पदार्थ है. ये भी पढ़ें: NEET छात्रों की बल्ले बल्ले, बिहार में 7 जिलों में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज, बढ़ेंगी एमबीबीएस की सीटें सवाल: किस शहर में लड़कियां नहीं पहन सकती 2 इंच से ज्यादा हील्स?जवाब: कैलिफोर्निया के कार्मल बाय द सी नाम के शहर में लड़कियों को ऊंची हील्स पहनने की मनाही है. 1963 में यह कानून इसलिए लाया गया था, क्योंकि इस शहर की ‘कंकरीली सड़कें और ऊबड़-खाबड़ फुटपाथ’ स्टिलेटो जैसी पतली हील्स पहनने वालों के लिए खतरा बन सकते थे. सवाल: चिप्स के पैकेट में कौन सी गैस भरी होती है?जवाब: नाइट्रोजन गैस (नाइट्रोजन गैस भरने से चिप्स कुरकुरे बने रहते हैं जबकि ऑक्सीजन गैस भरी जाए तो चिप्स जल्दी ही खराब हो जाएंगे). सवाल: हिंदुस्तान में लगने वाला वह कौन सा मेला है जिसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है?जवाब: कुंभ मेले का जमावड़ा इतना बड़ा होता है कि उसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता है. सवाल: सबसे ज्यादा मस्जिद किस देश में हैं?जवाब: किसी भी देश की तुलना में हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा मस्जिद है. सवाल: किस देश के मूल निवासी को ‘रेड इंडियन’ कहा जाता है?जवाब: यूरोप से लोगों के आने से पहले जो लोग अमेरिका महाद्वीप के मूल निवासी थे उनको रेड इंडियन या नेटिव इंडियन कहते हैं सवाल: दुनिया में सबसे ज्यादा आम की पैदावार कहां होती है?जवाब: हिंदुस्तान में हर साल 1.2 मिलियन टन आम की पैदावार होती है. ये भी पढ़ें: नालंदा यूनिवर्सिटी या IIM बोधगया, जानें किस कॉलेज में एमबीए की फीस कम The post General Knowledge: किस शहर में लड़कियां नहीं पहन सकती 2 इंच से ज्यादा हील्स? देखें GK के ट्रिकी सवाल-जवाब appeared first on Naya Vichar.

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Mungfali Ke Laddu: बिना खर्च, कम पैसों में बनाएं मेहमानों के लिए मूंगफली के लड्डू 

Mungfali Ke Laddu: हर घर की रसोई में कुछ ऐसे व्यंजन जरूर होते हैं जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि शरीर के लिए भी बेहद लाभकारी होते हैं. मूंगफली के लड्डू ऐसी ही एक खास मिठाई है जो हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है. साथ ही इसे बनाना आसान है और इसका स्वाद दिल जीत लेने वाला भी होता है. इसकी लड्डू में न तो किसी महंगे ड्राईफ्रूट्स की जरूरत होती है, न ही रिफाइंड शुगर की. इसके अलावा, ये मिठाई न केवल पेट को भरने में मदद करती है, बल्कि शरीर को भी जरूरी पोषक तत्व से भर देती है. ऐसे में आज हम आपको घर में मूंगफली के लड्डू बनाने के बारे में बताने जा रहे हैं.  मूंगफली के लड्डू बनाने की सामग्री  मूंगफली – 1 कप गुड़ (कद्दूकस किया हुआ) – 2 कप देसी घी – 1 छोटा चम्मच  इलायची पाउडर – आधा छोटा चम्मच यह भी पढ़ें: Dates Milkshake Recipe: एनर्जी से भरपूर, स्वाद में जबरदस्त, ट्राई करें टेस्टी खजूर मिल्क शेक  मूंगफली के लड्डू बनाने की विधि  सबसे पहले मूंगफली को मध्यम आंच पर अच्छे से भून लें. फिर इसे ठंडा होने पर छिलके हटा लें. अब इसे मिक्सी में दरदरा पीस लें.  अब एक कढ़ाई में 1 छोटा चम्मच घी डालें. फिर इसमें कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालें और धीमी आंच करके पिघलाएं.  जैसे ही गुड़ पिघल जाए तब गैस बंद कर दें. अब पिघले हुए गुड़ में पिसी हुई मूंगफली और इलायची पाउडर मिलाएं और अच्छे से चलाते हुए सब कुछ मिक्स करें. जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए, तब हाथ में थोड़ा घी लगाकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें. लड्डू पूरी तरह ठंडे होने पर सख्त हो जाएगा मतलब आपका लड्डू बनकर तैयार है.  अब आपक स्वादिष्ट और सेहतमंद मूंगफली के लड्डू तैयार है. इसे आप एयरटाइट डिब्बे में रखकर 10-12 दिनों तक खा सकते है.  यह भी पढ़ें: Gud Rasgulla Recipe: चीनी के रसगुल्ले खाते-खाते हो गए है बोर, तो बनाएं गुड़ के रसगुल्ले, जानें विधि  The post Mungfali Ke Laddu: बिना खर्च, कम पैसों में बनाएं मेहमानों के लिए मूंगफली के लड्डू  appeared first on Naya Vichar.

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पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली को दिलायी अंतरराष्ट्रीय पहचान, ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में बोले DSPMU वीसी

Ol Chiki Script Centenary Celebration: रांची-डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) में संताली विभाग की ओर से संताली भाषा के लिपि ‘ओल चिकी’ निर्माण के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि संताली भाषा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने एवं स्थापित करने में पंडित रघुनाथ मुर्मू का अद्वितीय योगदान रहा है. ओल चिकी लिपि के माध्यम से ही संताली जैसी आदिवासी भाषा प्रशासनी तंत्र पर स्थापित हो पायी. कार्यक्रम की शुरुआत संताली समाज की परंपरा के अनुसार छात्र-छात्राओं द्वारा मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों एवं सभागार में बैठे सबों को ‘लोटा-पानी’ देकर सह डोबोक् जोहार प्रणाम कर किया गया. इसके बाद ओल चिकी के प्रणेता पंडित रघुनाथ मुर्मू के छायाचित्र पर पुष्पार्पण किया गया. ओल चिकी का शताब्दी समारोह मनाना गर्व की बात जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के को-ऑर्डिनेटर एवं खोरठा के विभागाध्यक्ष डॉ बिनोद कुमार ने इस विश्वविद्यालय के बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि पूरे हिंदुस्तान में पहली बार इस विश्वविद्यालय में संताली भाषा की टेक्निकल शब्दावली पर दो-दो वर्कशॉप की गयी थी. ओल चिकी लिपि की अपनी गरिमा, मान-मर्यादा है. यह हमारे लिए गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय में ओल चिकी का शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है. मातृभाषा कभी गरीब नहीं होती विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ जिंदर सिंह मुंडा ने कहा कि ‘गोमके’उपाधि से दो व्यक्तित्व को नवाजा गया है. पहला मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और दूसरा गुरू गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू. ओल चिकी एक सांस्कृतिक लिपि है. इसमें संताली समाज, परंपरा, सभ्यता और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. विषय प्रवेश कराते हुए संताली विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ डुमनी माई मुर्मू ने ओल चिकी के इतिहास और पंडित रघुनाथ मुर्मू के जीवन पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मां अपने बच्चों के लिए कभी गरीब नहीं होती, उसी प्रकार मातृभाषा भी कभी गरीब नहीं होती. वह हम सबको विकट से विकट परिस्थिति में भी अपने पथ से विचलित नहीं होने देती. ये भी पढ़ें: कल्पना और मां रूपी सोरेन संग चाकुलिया पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन, अपने फुफेरे भाई कपूर टुडू को दी श्रद्धांजलि विद्यार्थियों को रघुनाथ मुर्मू से प्रेरणा लेने की है जरूरत एनसीसी को-ऑर्डिनेटर कैप्टन डॉ गणेश चंद्र बास्के ने कहा कि आज के विद्यार्थी को अपने आप में झांक कर देखने की आवश्यकता है. जब 100 वर्ष पूर्व पंडित रघुनाथ मुर्मू जैसे अभावों, असुविधाओं से घिरे रहने के बावजूद इनके अंदर अपनी मातृभाषा के लिए ओल चिकी निर्माण करना और समाज, साहित्य, शिक्षा जगत में स्थापित हो सकता है तो आप जैसे आधुनिक सुख-सुविधा से लैस होनहार विद्यार्थी कहां तक सोच सकते है? संताली विभाग रांची विश्वविद्यालय से की डॉ शकुंतला बेसरा ने एक गीत के माध्यम से बताया कि ओल चिकी का निर्माण पंडित रघुनाथ मुर्मू ने किस तरह संघर्ष कर किया. मंच संचालन हो भाषा के सहायक प्राध्यापक डॉ जय किशोर मंगल ने करते हुए ओल चिकी से संबंधित एक कविता पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन संताली विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ डुमनी माई मुर्मू ने किया. मौके पर ये थे मौजूद कार्यक्रम के बीच में बाबुलाल मुर्मू, बिनय टुडू, उषा किरण हांसदा, अनिल सोरेन आदि ने संताली गीत गाया एवं अंत में सामूहिक नृत्य-गीत प्रस्तुत किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की डॉ आभा झा, भौतिकी के डॉ जेपी शर्मा, कुड़मालि के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ परमेश्वरी प्रसाद महतो, संताली के संतोष मुर्मू, कुड़मालि के डॉ निताई चंद्र महतो, नागपुरी के डॉ मनोज कच्छप, डॉ मालती बागिशा लकड़ा, कुड़ुख की सुनीता कुमारी, खड़िया की शांति केरकेट्टा, मुंडारी की डॉ शांति नाग, खोरठा की सुशीला कुमारी, शोधार्थी सलमा टुडू समेत अन्य उपस्थित थे. पंडित रघुनाथ मुर्मू के संघर्ष से मिली ओल चिकी लिपि ‘ओल चिकी’ संताली भाषा की एक वैज्ञानिक लिपि है. आज से 100 वर्ष पूर्व ब्रिटिश हिंदुस्तान में 1925 ई को इसे विकसित किया गया था. इसके प्रणेता पंडित रघुनाथ मुर्मू थे. इनका जन्म हिंदुस्तान के ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर के नजदीक डाहारडीह गांव में वैशाख पूर्णिमा के दिन 5 मई 1905 को हुआ था. इसके पिता नंदलाल और माता सलमा मुर्मू थे. वे बचपन से ही अपनी मातृभाषा संताली में अध्ययन के लिए इच्छुक थे, परंतु स्कूल में उन्हें ओड़िया भाषा में पठन-पाठन करना पड़ता था. इससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस कठिनाई से प्रेरित होकर उन्होंने बचपन से ही नई लिपि में अपने समाज को शिक्षित करने को ठाना. ओल चिकी लिपि निर्माण के लिए गांव-घर, नदी में स्थित मिट्टी, बालू में चित्रात्मक ढंग से गढ़ने का प्रयास करने लगे. प्रिंट के लिए अपने हाथों से लकड़ी में इस लिपि का ढांचा बनाया. 1925 आते-आते एक संपूर्ण लिपि का निर्माण कर दिया. इसे आज हम ‘ओल चिकी’ लिपि के नाम से जानते हैं. ये भी पढ़ें: झारखंड: पाक महीने में नापाक हरकत, अपनी ही नाबालिग बिटिया से दुष्कर्म के दोषी को आखिरी सांस तक उम्रकैद, 1 लाख जुर्माना The post पंडित रघुनाथ मुर्मू ने संताली को दिलायी अंतरराष्ट्रीय पहचान, ओल चिकी लिपि के शताब्दी समारोह में बोले DSPMU वीसी appeared first on Naya Vichar.

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