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June 28, 2025

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18 लोग नदी में डूबे, वीडियो देख फट जाएगा कलेजा!

Flood IN Pakistan: खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात नदी में शुक्रवार को अचानक आई बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई. इस बाढ़ में एक ही परिवार के 18 लोग डूब गए. अब तक चार शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि बाकी लोगों की तलाश जारी है. बचाव कार्य में जुटे रेस्क्यू-1122 के महानिदेशक शाह फहाद ने बताया कि पांच विभिन्न स्थानों पर राहत एवं बचाव अभियान चल रहा है, जिसमें करीब 80 कर्मी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि यह परिवार पर्यटकों के एक समूह का हिस्सा था, जो भारी बारिश के चलते नदी के उफान में फंस गया. अचानक जलस्तर बढ़ने से लोग संभल नहीं पाए और नदी में बह गए. स्वात नदी, खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी हिस्से से होकर बहती है और अक्सर बारिश के मौसम में इसमें तेज बहाव आ जाता है. 18 tourists swept away in Swat River Flood in Pakistan pic.twitter.com/2LDKWniFow — Ghar Ke Kalesh (@gharkekalesh) June 28, 2025 इस घटना के साथ ही पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत में भी मौसम ने कहर बरपाया है. प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (PDMA) के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में भारी बारिश के चलते 7 लोगों की मौत हो गई और 27 अन्य घायल हुए हैं. झेलम नदी में डूबने से दो लोगों की जान गई, जबकि ओकारा और बहावलनगर में बारिश से संबंधित हादसों में दो बच्चों की मौत हो गई. वहीं मुजफ्फरगढ़ में दीवार गिरने से दो और खानेवाल में बिजली गिरने से एक व्यक्ति की मौत. इसे भी पढ़ें: वजीरिस्तान में हमला, 13 सैनिकों की मौत, 29 लोग घायल इसे भी पढ़ें: बुलडोजर से गिराया गया दुर्गा मंदिर, मूर्ति तोड़ी, मचा बवाल इसे भी पढ़ें: मार पड़ी तो ‘डैडी’ की गोद में भागा इजरायल, ट्रंप ने किसकी बचाई जान? The post 18 लोग नदी में डूबे, वीडियो देख फट जाएगा कलेजा! appeared first on Naya Vichar.

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शहरों के बाद अब कॉलेजों के नाम में बदलाव, 5 इंजीनियरिंग संस्थानों को नई पहचान

UP News: यूपी में शनिवार को राज्य के 5 इंजीनियरिंग कॉलेजों के नाम बदल दिया है. इनमें मैनपुरी, गोण्डा, बस्ती, मिर्जापुर और प्रतापगढ़ जिले के कॉलेजों के नाम हैं. इन सभी कॉलेजों का नाम ऐतिहासिक और प्रेरणादायक व्यक्तियों के नाम पर रखे गए हैं. कॉलेजों के नाम सीएम योगी के निर्देश के बाद बदले गए हैं. समाचार अपडेट हो रही है… The post शहरों के बाद अब कॉलेजों के नाम में बदलाव, 5 इंजीनियरिंग संस्थानों को नई पहचान appeared first on Naya Vichar.

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CBI और NIA में क्या है अंतर? ‘पावर मशीन’ जानेंगे तो इन नौकरियों के लिए लगा देंगे दौड़

CBI vs NIA: हिंदुस्तान में 10वीं और 12वीं के बाद कई ऐसी जाॅब्स होती हैं जो आपको एक शानदार करियर दे सकती हैं. हालांकि आपने शायद ही कभी सोचा हो कि जब भी गंभीर अपराध, आतंकवाद या हाई-प्रोफाइल केस की बात आती है तो दो एजेंसियों का नाम CBI (Central Bureau of Investigation) और NIA (National Investigation Agency) का नाम सबसे पहले आता है. अगर आप इन दोनों एजेंसियों के बारे में जानेंगे तो नौकरियों के लिए बेस्ट ऑप्शन खोजना शुरू कर देंगे. इस लेख में आपको CBI vs NIA में अंतर है और यहां नौकरियों के लिए क्या करना होगा आदि के बारे में बताया जा रहा है. CBI क्या है? CBI यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन कहा जाता है और यह हिंदुस्तान की सबसे पुरानी जांच एजेंसी है. इसका गठन 1963 में हुआ था और हेडक्वार्टर नई दिल्ली में है. CBI मुख्य रूप से भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, घोटाले, हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच करती है. यह एजेंसी प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन होती है. इसका मुख्य काम आर्थिक अपराध, बैंक फ्रॉड, हाई-प्रोफाइल मर्डर केस, भ्रष्टाचार के मामलों को इन्वेस्टिगेट करना है. NIA क्या है? NIA यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की स्थापना 2009 में मुंबई आतंकी हमले के बाद की गई थी. यह एजेंसी आतंकवाद और देश विरोधी गतिविधियों की जांच करती है. NIA को बिना किसी राज्य की अनुमति के भी जांच का अधिकार होता है. इसका हेडक्वार्टर भी नई दिल्ली में है. इसका मुख्य काम  आतंकवाद, आतंकी फंडिंग, राष्ट्र-विरोधी साजिश आदि के मामले आने पर जांच करना है.  CBI और NIA में क्या अंतर है? (CBI vs NIA) CBI vs NIA में अंतर की बात की जाए तो NIA को किसी भी राज्य की इजाजत के बिना जांच शुरू करने की शक्ति है जबकि CBI को राज्य प्रशासन की सहमति लेनी होती है. NIA सिर्फ गंभीर आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जांच करती है.  कौन सी नौकरी बेहतर है? दोनों एजेंसियों में जॉब मिलना बहुत कठिन और सम्मानजनक होता है. यहां तक पहुंचने के लिए ये एग्जाम क्लियर करने होते हैं- CBI Officer बनने के लिए UPSC, SSC CGL या पुलिस सेवा से आ सकते हैं NIA Officer बनने के लिए UPSC, SSC CGL, या पुलिस/पैरा-मिलिट्री से चयन होता है. यह भी पढ़ें- CBSE Important Notice 2025: 12वीं के बाद पढ़ाई के लिए यहां मिलेगी Scholarship, सीबीएसई ने जारी किया नोटिस यह भी पढ़ें- BTech Placement 2025: Google और Apple में प्लेसमेंट, IIT-NIT नहीं, इस काॅलेज का रुख कर रहे स्टूडेंट्स The post CBI और NIA में क्या है अंतर? ‘पावर मशीन’ जानेंगे तो इन नौकरियों के लिए लगा देंगे दौड़ appeared first on Naya Vichar.

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समधी ने पीट-पीटकर समधन की ली जान, कारण जान रह जायेंगे हैरान, हत्या के बाद गांव में तनाव

Aurangabad Crime: औरंगाबाद जिले के उपहारा थाना क्षेत्र के खैरा गांव में अंतरजातीय विवाह को लेकर परिवारों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद शुक्रवार को खूनी संघर्ष में बदल गया. इस विवाद में बेटे की अंतरजातीय शादी से नाराज लड़की के पिता ने अपनी समधन को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया. मामला क्यों बढ़ा पुलिस के मुताबिक मृतका शांति देवी (पत्नी काशी सिंह) के बेटे राजेश कुमार ने सोनम कुमारी नामक युवती से कुछ समय पहले अंतरजातीय विवाह किया था. इस शादी को लेकर लड़की के पिता मिथलेश पासवान लगातार नाराज चल रहे थे. दोनों परिवारों के बीच कई बार कहासुनी भी हुई थी. शुक्रवार को यह विवाद इतना बढ़ गया कि मिथलेश पासवान ने अपनी समधन शांति देवी पर लाठी-डंडे से हमला कर दिया. अस्पताल ले जाने पर हुई मौत घटना की सूचना मिलते ही डायल 112 की पुलिस मौके पर पहुंची और घायल स्त्री को इलाज के लिए अस्पताल भेजा. गंभीर चोटों के चलते इलाज के दौरान शांति देवी की मौत हो गई. पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. बिहार चुनाव की ताजा समाचारों के लिए क्लिक करें मामले की जांच के लिए SIT का गठन औरंगाबाद एसपी के निर्देश पर दाउदनगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कुमार ऋषिराज की अगुवाई में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है. SIT को निर्देश दिया गया है कि आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी कर घटना की जांच की जाए. पुलिस ने कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसे भी पढ़ें: तेजस्वी के साथी दल कर रहे 174 सीटों की मांग, कैसे करेंगे मैनेज, मचेगा घमासान! इलाके में फैला तनाव घटना के बाद खैरा गांव समेत आसपास के इलाकों में तनाव का माहौल है. पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है ताकि हिंसा न भड़के. फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य इकट्ठा किए हैं. पुलिस ने मृतका के परिजनों के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली है. पुलिस ने परिजनों और ग्रामीणों को भरोसा दिलाया है कि बहुत जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर कानून के हवाले किया जाएगा. (मृणाल कुमार) The post समधी ने पीट-पीटकर समधन की ली जान, कारण जान रह जायेंगे हैरान, हत्या के बाद गांव में तनाव appeared first on Naya Vichar.

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आधा भारत नहीं जानता होंडा का कॉरपोरेट कलर क्यों है लाल, जान जाएगा तो कर देगा कमाल

Honda Corporate Color: जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी का नाम होंडा है. होंडा पहले हीरो मोटोकॉर्प के साथ मिलकर हिंदुस्तान में दोपहिया वाहनों की बिक्री करती थी. इन दोनों की साझेदारी से ‘हीरो होंडा’ नाम से मोटरसाइकिलें आती थीं. लेकिन, अब हीरो से होंडा अलग हो गई. होंडा आज भी हिंदुस्तान के लोगों के जेहन में अपनी जगह बनाए हुई है और इसकी प्राय: सभी गाड़ियां लाल रंग की आती हैं. इसके कार्यालयों के इंटीरियर और एक्सटीरियर डिजाइन भी चटकदार लाल रंग का होता है. देश के अधिकांश लोग नहीं जानते होंगे कि होंडा का कॉरपोरेट कलर लाल ही क्यों हैं? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. होंडा की 75वीं वर्षगांठ पर नया अपडेट होंडा मोटर्स एंड स्कूटर इंडिया ने प्रोफेशनल्स स्पेशल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर अपने एक पोस्ट में कंपनी के कॉरपोरेट कलर चटकीला लाल रंग का राज खोला है. अपने लंबे-चौड़े लेख में कंपनी ने खुलासा किया है कि होंडा के लोगो में इस्तेमाल किया गया चटकीला लाल रंगर एक कॉरपोरेट कलर है, जिसे कंपनी ने “होंडा रेड” के नाम से खास तौर पर नामित किया है. साल 2023 में होंडा की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर होंडा ने अपनी आधिकारिक अपडेटेड लाइनअप में होंडा रेड कलर की पेंसिल को शामिल किया है और अक्टूबर 2023 से इसे बिक्री के लिए उपलब्ध कराया है, ताकि होंडा रेड को नए सिरे से देखा जा सके और इसे और फैलाया जा सके. 1960 के दशक में होंडा ने शुरू की प्रक्रिया होंडा ने अपने पोस्ट में लिखा है, ”एक समय जापान में लाल या सफेद रंग की कारों की अनुमति नहीं थी. यह होंडा ही थी, जिसने 1960 के दशक में इस विनियमन को संशोधित किया था. 1950 के दशक में जापान का ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों से पिछड़ रहा था. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमआईटीआई, वर्तमान में वित्तीय स्थिति, व्यापार और उद्योग मंत्रालय) ने “राष्ट्रीय कार कॉन्सेप्ट” की घोषणा की, जिसके तहत ऑटो निर्माताओं ने मंत्रालय की ओर से निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाले ऑटोमोबाइल पेश करने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की. इस समय कारें फोर-सीटर, 100 किमी प्रति घंटा की अधिकतम गति और 150,000 येन की कीमत पर बेची जाती थीं. होंडा ने ऑटोमोबाइल बाजार में उतरने के लिए विकास करने के लिए युवा इंजीनियरों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जो उस समय एक मोटरसाइकिल निर्माता थी. होंडा को रोकने के लिए नया कानून हालांकि, जब विकास अभी भी प्रक्रिया में था. एमआईटीआई ने एक बुनियादी ऑटोमोटिव प्रशासनिक नीति (बाद में निर्दिष्ट उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अस्थायी उपायों के लिए कानून) निर्धारित की. ये कानून ऑटोमोबाइल निर्माताओं के उन्मूलन/समेकन और नए निर्माताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के लिए थे. होंडा को इस हद तक घेर लिया गया था कि अगर ये कानून पारित हो जाते, तो वह ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रवेश नहीं कर पाती. कानून से बचने के लिए होंडा ने प्रोडक्ट का डिजाइन हालांकि, होंडा मोटर कंपनी लिमिटेड के संस्थापक सोइचिरो होंडा ने इस विश्वास के साथ इसका विरोध किया कि मुक्त प्रतिस्पर्धा एक उद्योग को पोषित करती है, लेकिन प्रशासन ने कानूनों को प्रस्तुत करने की दिशा में कदम नहीं बदले. इसलिए, होंडा को कानूनों के पारित होने से पहले ऑटोमोबाइल उत्पादन का इतिहास रखने के लिए दो प्रकार की चार पहिया स्पोर्ट्स कारों और दो प्रकार के मिनी ट्रकों के डिजाइन और विकास में तेजी लानी पड़ी. होंडा के जुनून से जापान में आई पहली लाल कार उस समय एक स्टाइलिंग डिजाइनर ने स्पोर्ट्स 360 के प्रोटोटाइप को लाल नारंगी रंग में रंगा, ताकि यह थोड़ा और अलग दिखे. जब सोइचिरो होंडा ने इसे देखा, तो इसे पसंद किया. इसलिए, उन्होंने अगले नए मॉडल पर लाल रंग अपनाने की अनुमति दे दी. लेकिन, उस समय जापान में घरेलू बाजार के लिए कार की बॉडी पर लाल रंग का इस्तेमाल करना कानूनन प्रतिबंधित था. इसका कारण यह था कि लाल वाहनों को आपातकालीन वाहनों जैसे कि दमकल और एम्बुलेंस के साथ भ्रमित किया जा सकता था. सोइचिरो होंडा ने एक अखबार के माध्यम से की अपील की. होंडा मोटर कंपनी लिमिटेड के संस्थापक सोइचिरो होंडा ने लाल रंग के पक्ष में अखबारों में कॉलम के जरिए प्रशासन और आम जनता से अपील की. उन्होंने अखबारों के माध्यम से बताया, ”लाल डिजाइन का एक बुनियादी रंग है. वे इसे कानून द्वारा कैसे प्रतिबंधित कर सकते हैं? मैंने दुनिया के किसी दूसरे शीर्ष राष्ट्र के बारे में नहीं सुना है, जिसमें प्रशासनी रंगों के इस्तेमाल पर एकाधिकार करता है.” होंडा के प्रभारी व्यक्ति ने लाल रंग के इस्तेमाल की स्वीकृति हासिल करने के लिए परिवहन मंत्रालय (वर्तमान में भूमि, अवसंरचना और परिवहन मंत्रालय) के लगातार दौरे किए. लेख में लिखा है कि जिस बुनियादी ऑटोमोटिव प्रशासनिक नीति ने होंडा को ऑटोमोबाइल विकास पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था, वह अंततः पारित नहीं हुई. हालांकि, होंडा के लिए यह चुनौती कभी भी निरर्थक नहीं थी. इसका परिणाम न केवल ऑटोमोबाइल बाजार में उद्यम के रूप में सामने आया, बल्कि विकास प्रौद्योगिकियों और “लाल कार” को भी महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में विरासत में मिला. चटकीले लाल प्रोडक्ट से प्रेरित “होंडा बवंडर” ऑटोमोबाइल और मोटरसाइकिल उत्पादन के अलावा होंडा आम जनजीवन और काम के लिए आवश्यक बिजली उपकरणों जैसे टिलर, जनरेटर, स्नो ब्लोअर और लॉन मोवर के निर्माण के लिए गतिशीलता उत्पाद विकास में विकसित अपनी इंजन प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाता है. इन बिजली उत्पादों के लिए मुख्य रंग भी लाल है. हालांकि, आजकल लाल उत्पाद होंडा से जुड़े हुए हैं और चमकीले लाल रंग की होंडा दुनिया भर में देखी जा सकती हैं, लेकिन होंडा शुरू से ही उद्योग में अब की तरह अग्रणी कंपनी नहीं थी. ऑटोमोबाइल की विकास यात्रा में होंडा अपने किसी भी डोमेन में एक अनुयायी कंपनी थी. 1952 में होंडा ने “क्यूब टाइप एफ” लॉन्च किया, जो एक सहायक मोटर थी, जिसे साइकिल में लगाया जा सकता था. इसका कैच लाइन “सफेद टैंक, लाल इंजन” था. अपने छोटे और हल्के डिजाइन और नए स्टाइल के कारण यह उत्पाद लोकप्रिय हो गया, जिससे यह छवि फैल गई कि “होंडा का इंजन लाल है.” जब कंपनी

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Election Commission: संविधान के दायरे में फर्जी मतदाताओं की पहचान कर रहा आयोग

Election Commission: चुनाव के दौरान फर्जी मतदाताओं द्वारा परिणाम प्रभावित करने का आरोप विपक्ष लगाता रहा है. विपक्ष के आरोप पर चुनाव आयोग विस्तृत जवाब दे चुका है. इसके बावजूद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का काम जारी है. विपक्षी दलों के फर्जी मतदाताओं के चुनाव को प्रभावित करने के आरोप को देखते हुए आयोग बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं का विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) शुरू किया है. इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर(बीएलओ) घर-घर जाकर गणना प्रपत्र (इन्युमेरेशन फार्म) देंगे और मतदाताओं को इसे भरकर आयोग को देना होगा. इसके आधार पर आयोग फर्जी मतदाता की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची से बाहर करेगा. आयोग के इस फैसले को लेकर विपक्षी दल आक्रामक हो गए हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर आयोग काम कर रहा है और गरीब मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है. चुनाव आयोग की इस पहल का विरोध पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी किया है और इसे नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) से जोड़ दिया है. विपक्ष के तमाम दावों को नकारते हुए हुए आयोग का कहना है कि फर्जी वोटरों को मतदाता सूची से हटाने के लिए ऐसा करना जरूरी है. बिहार में इससे पहले ऐसा सर्वे वर्ष 2003 में किया गया था और अब दो दशक से अधिक समय के बाद आयोग घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करने का निर्णय लिया है. इसके लिए चुनाव आयोग ने अधिकारियों के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किया है.  संविधान के अनुसार हो रहा है काम चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि देश में संविधान सबसे ऊपर है. देश के सभी लोग, नेतृत्वक दल और आयोग संविधान के अनुसार काम करते है. संविधान के अनुच्छेद 326 में मतदाता बनने को लेकर साफ बात कही गयी है. नियम के तहत 18 साल से अधिक उम्र के सिर्फ हिंदुस्तानीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है. विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) बिहार में सफलता के साथ शुरू किया गया है. ताकि योग्य मतदाता ही चुनाव में मतदान कर सकें. इस काम में सभी नेतृत्वक दलों का पूरा सहयोग हासिल है. इस बाबत चुनाव आयोग बिहार में 77895 बूथ लेवल अधिकारी को तैनात कर चुका है और नये मतदान केंद्र के लिए 29603 बीएलओ को तैनात करने की तैयारी है. साथ ही फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए एक लाख से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता भी मदद करेंगे. खासकर बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग मतदाताओं की पहचान में ऐसे संगठनों की भूमिका अहम होगी. सभी पंजीकृत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों ने मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं का नाम हटाने के लिए 1.54 लाख से अधिक बीएलओ की तैनाती कर चुके है और आने वाले समय में और अधिक बीएलओ की नियुक्ति कर सकते हैं. बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्र में फर्जी मतदाताओं का पता लगाने की पहल शुरू हो चुकी है. आयोग ने इस बाबत शिकायत के निपटाने के लिए भी विशेष व्यवस्था की है.  The post Election Commission: संविधान के दायरे में फर्जी मतदाताओं की पहचान कर रहा आयोग appeared first on Naya Vichar.

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Shefali Jariwala Last Rites: आज होगा शेफाली जरीवाला का अंतिम संस्कार, इस जगह होगी पंचतत्व में विलीन

Shefali Jariwala Last Rites: मशहूर कांटा लगा गर्ल शेफाली जरीवाला का 41 साल की उम्र में निधन हो गया. शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, 27 और 28 जून के बीच गुरुवार देर रात को उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा. उनके पति पराग त्यागी आनन फानन में उन्हें मुंबई के बेलेव्यू मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके अचानक चले जाने से फैंस काफी दुखी हैं. कब होगा शेफाली जरीवाला का अंतिम संस्कार मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेफाली जरीवाला का अंतिम संस्कार आज यानी 28 जून 2025 को ओशिवारा के इसी श्मशान घाट पर होगा. सिद्धार्थ शुक्ला का अंतिम संस्कार भी इसी श्मशान भूमि पर हुआ था. View this post on Instagram A post shared by Instant Bollywood Videos (@instantbollywoodvideos) शेफाली के मौत का कारण साफ नहीं शेफाली जरीवाला मौत का सही कारण अभी तक अज्ञात है. परिवार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. अभिनेत्री और बिग बॉस फेम के अचानक निधन के कुछ घंटों बाद, उनके पति पराग त्यागी को पहली बार सार्वजनिक रूप से देखा गया, वे काफी दुखी नजर आए. उन्हें अपॉर्टमेंट में अपने पालतू कुत्ते सिम्बा के साथ बाहर निकलते देखा गया. उन्होंने अपनी पत्नी की तस्वीर भी पकड़ रखी थी. शेफाली के बारे में शेफाली पहली बार रीमिक्स म्यूजिक वीडियो कांटा लगा में अपने बोल्ड और ग्लैमरस लुक से मशहूर हुईं. उन्हें “कांटा लगा गर्ल” का टैग दिया गया. उन्होंने सलमान खान और अक्षय कुमार अभिनीत 2004 की फिल्म मुझसे शादी करोगी में भी काम किया था. बाद में एक्ट्रेस ने रियलिटी टीवी की ओर रुख किया और अपने पति के साथ नच बलिए में नजर आई. वह बिग बॉस 13 में भी दिखाई दी थी. यह भी पढ़ें- Shefali Jariwala Death: पराग त्यागी ने पत्नी शेफाली की मौत पर दिया पहला रिएक्शन, बोले- अभी बस… Video The post Shefali Jariwala Last Rites: आज होगा शेफाली जरीवाला का अंतिम संस्कार, इस जगह होगी पंचतत्व में विलीन appeared first on Naya Vichar.

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नवविवाहिता की संदिग्ध मौत पर गहराया शक, परिजनों का ससुराल वालों पर गंभीर आरोप

Bihar Crime: बेतिया में एक नवविवाहिता का शव मिलने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया. घटना शनिवार साठी थाना क्षेत्र के पकड़िहार गांव की है. मृतका की पहचान मुस्ताक मियां की पत्नी रोजी खातून (20) के रूप में हुई है. मायके वालों का आरोप है कि दहेज के लिए ससुराल वालों ने रोजी की हत्या की है. वहीं दूसरी ओर घटना के बाद से ससुराल के सभी सदस्य फरार हैं. मिली जानकारी के अनुसार रोजी की शादी एक साल पहले हुई थी. आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले मोटरसाइकिल की मांग कर रहे थे. इसको लेकर रोजी को प्रताड़ित भी किया जाता था. गले पर मिले काले निशान प्राप्त जानकारी के अनुसार रोजी के चाचा इस्राफील मियां ने बताया कि उन्हें रोजी के गांव के लोगों द्वारा फोन आया था. जिसमें बताया गया कि रोजी की तबीयत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई है. परिवार के लोग जब उससे ससुराल पहुंचे, तो रोजी पलंग पर मृत पड़ी थी. गले पर काले निशान थे, जिससे गला दबाकर हत्या की आशंका जताई जा रही है. यही नहीं मृतका के दोनों पैरों के अंगूठे भी बंधे थे. बिहार की ताजा समाचारों के लिए यहां क्लिक करें लिखित आवेदन मिलने पर होगी कार्रवाई घटना की सूचना पाकर साठी थानाध्यक्ष विनय कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे. एफएसएल टीम भी मौके पर पहुंचकर साक्ष्य जुटाने का काम किया. थानाध्यक्ष ने बताया कि प्रथम जांच में मामला दहेज हत्या का प्रतीत हो रहा है. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. परिजनों की ओर से लिखित आवेदन मिलने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसे भी पढ़ें: Shravani Mela 2025: अलर्ट मोड पर प्रशासन, कांवड़ यात्रा की सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम The post नवविवाहिता की संदिग्ध मौत पर गहराया शक, परिजनों का ससुराल वालों पर गंभीर आरोप appeared first on Naya Vichar.

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जमीन विवाद पर डीएम का फूटा गुस्सा! तहसीलदारों को दी पद से हटाने की धमकी, जानें पूरा मामला

Prayagraj News: प्रयागराज में शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित विशेष जनसुनवाई में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ का कड़ा रुख देखने को मिला. उन्होंने जमीन पर अवैध कब्जों की बढ़ती शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए करछना, फूलपुर, सोरांव, हंडिया, बारा, मेजा और कोरांव तहसीलों के तहसीलदारों को स्पष्ट निर्देश दिए कि 30 जून तक सभी लंबित मामलों का निस्तारण कर दिया जाए. अन्यथा, उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है. 387 शिकायतें, 168 का हुआ तत्काल निस्तारण जनसुनवाई दोपहर 11 बजे शुरू हुई, जिसमें भारी संख्या में लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे. कुल 387 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 168 का मौके पर ही समाधान कर दिया गया. अधिकांश शिकायतें जमीन पर अवैध कब्जों से जुड़ी थीं. इसको देखते हुए डीएम ने सभी संबंधित तहसीलदारों को जिम्मेदारी दी कि वे हर मामले को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएं. चिल्ला के प्रधान के खाते पर उठे सवाल, डीएम ने जताई नाराजगी एक और मामला चिल्ला गांव से जुड़ा सामने आया, जहां जेल से रिहा होते ही एक प्रधान का पहले से फ्रीज किया गया बैंक खाता फौरन शुरू करा दिया गया. इस पर डीएम ने कड़ी नाराजगी जताई. यह प्रधान वर्ष 2008 में रिश्वत मामले में फंसे थे और सेवानिवृत्ति के बाद प्रधान बने. बाद में रिश्वत केस में जेल भी गए और 14 महीने बाद जेल से छूटे. डीएम ने इस मामले की जांच के निर्देश डीपीआरओ को दिए हैं. लेखपाल की लापरवाही पर फूटा डीएम का गुस्सा खानपुर डांडों गांव के एक शिकायतकर्ता ने लेखपाल की शिकायत की. डीएम ने मौके पर ही फोन कर लेखपाल से बात करने की कोशिश की लेकिन लेखपाल ने तीन बार कॉल करने पर भी फोन नहीं उठाया. इसके बाद डीएम ने खुद अपने सीयूजी नंबर से कॉल किया, तो पहली ही घंटी में कॉल रिसीव हो गया. इस पर डीएम ने लेखपाल को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि आम जनता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. डीएम की कार घेर कर भूमिहीनों ने की पट्टे की मांग यमुनापार के करछना, बारा समेत 37 गांवों की स्त्रीओं और पुरुषों ने डीएम की कार को घेर लिया और प्रदर्शन कर अपनी मांगें रखीं. डॉ. अंबेडकर वेलफेयर नेटवर्क के रामबृज गौतम के नेतृत्व में पहुंचे लोगों ने मांग की कि गांवों में जो प्रशासनी जमीनें अवैध कब्जे में हैं, उन्हें मुक्त कराकर भूमिहीनों को आवंटित किया जाए. बताया गया कि ये सभी प्रदर्शनकारी 25 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय जाने की योजना बना चुके थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोक लिया. इसी सिलसिले में शुक्रवार को ये सभी डीएम के पास पहुंचे और प्रदर्शन किया. डीएम ने उनकी बात सुनने के बाद आश्वासन दिया कि मामले की गंभीरता से जांच कराई जाएगी और जरूरतमंदों को प्राथमिकता दी जाएगी. स्त्री चिकित्सक पर कार्रवाई के बाद 55 मरीजों का इलाज, नर्सिंग होम खोलने के निर्देश करछना सीएचसी में तैनात संविदा स्त्री चिकित्सक पर पहले कार्रवाई हुई थी क्योंकि वह सीएचसी नहीं जा रहीं थीं और अंदावा स्थित अपने निजी नर्सिंग होम में बैठती थीं. जबकि उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपये वेतन मिलता था. डीएम ने उनका वेतन रोकते हुए नर्सिंग होम सील करा दिया था और निर्देश दिया था कि जब तक वह एसआरएन के 50 गंभीर मरीजों का इलाज नहीं करतीं, तब तक उनका निजी क्लीनिक नहीं खुलेगा. इस आदेश के बाद चिकित्सक ने 55 मरीजों का इलाज किया, जिसकी सूची, फोटोग्राफ और वीडियो डीएम को दिखाए गए. संतुष्ट होने पर डीएम ने उनका नर्सिंग होम फिर से खोलने के निर्देश दिए. डीएम के एक्शन मोड में आने से प्रशासन में मची हलचल पूरे दिन चली जनसुनवाई में डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ का सक्रिय और कड़ा रुख प्रशासनिक अमले के लिए एक स्पष्ट संदेश रहा. चाहे वह तहसीलदार हों, लेखपाल या डॉक्टर हर जिम्मेदार अधिकारी को जनता की समस्याओं को नजरअंदाज करने पर अब सीधे कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. डीएम की इस विशेष जनसुनवाई ने न सिर्फ जनता को राहत दी, बल्कि प्रशासनी अमले को यह भी स्पष्ट संदेश दे दिया कि कार्य में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. भूमि विवाद, भ्रष्टाचार और जनसेवा में लापरवाही जैसे मामलों में अब जिलाधिकारी खुद मोर्चा संभाल चुके हैं. The post जमीन विवाद पर डीएम का फूटा गुस्सा! तहसीलदारों को दी पद से हटाने की धमकी, जानें पूरा मामला appeared first on Naya Vichar.

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Viral Tea Bread Recipe: इस इंडियन स्वाद के दीवाने हो उठे लोग जानिए इसे खास बनाने वाली बात

Viral Tea Bread Recipe: चाय के साथ कुछ अलग और स्वादिष्ट खाने की चाह हर किसी को होती है. हाल ही में सोशल मीडिया पर एक नई चीज़ ने लोगों का दिल जीत लिया है – टी ब्रेड. ये ब्रेड खास इसलिए बनती है क्योंकि इसका स्वाद हमारी रोजमर्रा की चाय से जुड़ा हुआ है. टी ब्रेड ने इंटरनेट पर इतनी तेजी से लोकप्रियता पाई कि लोग इसे चाय टाइम स्नैक के रूप में अपनाने लगे हैं. इसकी खासियत ये है कि यह न सिर्फ दिखने में आकर्षक होती है बल्कि इसका स्वाद भी बेहद अनोखा होता है. टी ब्रेड की नर्म बनावट और चाय की खुशबू एक साथ मिलकर ऐसा स्वाद देती है कि हर बाइट में देसीपन झलकता है. चाहे आपकी चाय दूध वाली हो या ब्लैक टी, टी ब्रेड दोनों के साथ खूब जचती है. Viral Tea Bread तैयार करने का आसान तरीका Pic credit- freepik टी ब्रेड का असली मजा तब आता है जब उसके साथ एक परफेक्ट चाय हो. इसके लिए आप अपनी पसंद की चाय बना सकते हैं. दूध वाली चाय: पानी और दूध बराबर मात्रा में लें. अदरक, इलायची और चाय पत्ती डालें और अच्छे से उबालें. ब्लैक टी: सिर्फ पानी में चाय पत्ती और थोड़ी चीनी डालकर उबालें. नींबू का रस डालकर परोसें. टी ब्रेड और चाय को परोसने के टिप्स टी ब्रेड को हल्का गर्म ही परोसें ताकि इसकी नमी और softness बनी रहे.चाहें तो ब्रेड की स्लाइस पर थोड़ा बटर या शहद लगा सकते हैं.चाय के साथ ब्रेड को छोटे-छोटे क्यूब्स में काटकर सर्व करें ताकि खाने में सुविधा हो.टी ब्रेड के साथ सूखे मेवे या ताजे फल भी प्लेट में रखें, इससे स्नैक टाइम और भी रिच लगेगा. Also Read: Aaloo Pyaj ke Lacchedar Pakore: इस तरह बनाएं आलू प्याज के लच्छेदार पकौड़े चाय की चुस्की के साथ लें मजा Also Read: Gobhi Kabuli Recipe: प्रोटीन फाइबर और विटामिन्स से भरपूर गोभी काबुली की स्वादिष्ट रेसिपी Also Read: Gobhi Dum Biryani Recipe: फूलगोभी वाली शाही बिरयानी बनाकर तो देखें, स्वाद के दीवाने हो जाएंगे आप The post Viral Tea Bread Recipe: इस इंडियन स्वाद के दीवाने हो उठे लोग जानिए इसे खास बनाने वाली बात appeared first on Naya Vichar.

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