Bihar News: बरसात के बाद तेज धूप और फिर बढ़ती उमस से हर कोई परेशान है, जिसका लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है. तापमान में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव के चलते अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. रोजाना 400-500 से अधिक लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इनमें सर्दी, खांसी, बुखार, सिरदर्द, उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों से पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में सावधानी न बरती जाये, तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है. बदलते मौसम ने सेहत पर बुरा असर डाला है लगातार बारिश और बदलते मौसम ने लोगों की सेहत पर बुरा असर डाला है. शहर के प्रमुख अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या में 20% तक इजाफा हुआ है. पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स, आइजीआइएमएस और न्यू गार्डिनर रोड अस्पतालों में सर्दी-खांसी, बुखार, पेट दर्द, उल्टी, डायरिया, स्किन इंफेक्शन और वायरल फीवर के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में सामान्य दिनों की तुलना में 700 मरीज तक ओपीडी में पहुंचे, जबकि सामान्यतः 400–500 मरीज ही आते हैं. वहीं आइजीआइएमएस में ओपीडी मरीजों की संख्या 3800 और पीएमसीएच में 2027 मरीज पहुंचे. डॉक्टरों के अनुसार, लगातार बदलता मौसम-कभी तेज धूप, कभी बारिश. शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर रहा है. उमस भरे वातावरण और नमी के चलते संक्रमण तेजी से फैल रहा है. विशेषज्ञों ने लोगों को साफ-सफाई बनाये रखने और खानपान पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी है. गले में इंफेक्शन, खांसी व वायरल बुखार के बढ़े मरीज मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के चलते गले में इंफेक्शन के कारण खांसी व सर्दी-जुकाम के साथ ही वायरल बुखार और जोड़ों में दर्द के मरीजों में अधिक इजाफा हुआ है. अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में 20 फीसदी तक का इजाफा हुआ है. ठीक होने में एक सप्ताह तक का समय लग जा रहा. चिकित्सकों का मानना है कि थोड़ी सी जागरूकता से हम इस बीमारी से बच सकते हैं. इलाज कर रहे डॉक्टरों के अनुसार करीब एक सप्ताह से ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है. मौसम के अलावा इस समय प्रदूषण भी बढ़ा हुआ है. इससे गले में इंफेक्शन आसानी से हो जा रहा. लोगों को सलाह है कि अभी ढीले-ढाले कपड़े जरूर पहनें. जब भी घर से बाहर निकले तो मास्क जरूर लगाएं. बदलते मौसम में प्रभावित होने लगता है इम्यूनिटी इम्यून सिस्टम हमारे शरीर का एक सुरक्षा तंत्र है. मौसम में बदलाव होने से शरीर का इम्यून सिस्टम सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. जब मौसम में बदलाव होता है तो अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया वायरस तापमान के अनुसार सक्रिय हो जाते हैं, जो शरीर पर आक्रमण करते हैं. बारिश के मौसम के दौरान यदि शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होगा, तो बैक्टीरिया आसानी से शरीर को कमजोर करना शुरू कर देता है. यही नहीं बारिश के मौसम में आसपास कीचड़ और पानी जमा होने से मलेरिया और डेंगू के मच्छर अधिक पैदा होते हैं. इस कारण भी लोग बारिश के मौसम में अधिक बीमार पड़ते हैं. इससे लोगों को अधिक सावधान रहना चाहिए. मौसमी बीमारियों से बचने के उपाय मौसमी बीमारियों से बचने के लिए लोगों को चाहिए की बारिश के दौरान ठंडी चीज कम खाएं और ठंडे एसी के कमरे से निकलकर अचानक धूप में न जाएं. कुछ देर कमरे से बाहर खड़े होकर शरीर का तापमान समान करना चाहिए. लोगों को प्रोटीन व फाइबर से भरपूर डाइट लेना चाहिए. ज्यादा तेल या वसायुक्त भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए. वहीं इसके अलावा इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए विटामिन सी, विटामिन बी व विटामिन डी को जरूर शामिल करना चाहिए. डॉक्टरों ने सुझाए उपाय- 1. गर्मी और दूषित पानी से बचाव जरूरी वरिष्ठ फिजिशियन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि बारिश के बाद मौसम में फिर से गर्मी बढ़ने लगी है, जो बीमारियों को न्योता देती है. बाहर निकलते समय शरीर को ढककर रखें और छाता या टोपी का प्रयोग करें. ताजे और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, लेकिन बर्फ मिले पेय पदार्थों और बासी या कटे-फटे फलों से परहेज करें, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को. उन्होंने चेतावनी दी कि बारिश के कारण पेयजल में गंदा पानी मिल रहा है, जिससे दस्त, उल्टी, बुखार, पेट दर्द और सिर दर्द जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं. ऐसे में पानी को उबालकर पीना बेहद जरूरी है. भोजन हमेशा ताजा और साफ-सफाई के साथ तैयार करें. खाना बनाने, परोसने और खाने से पहले हाथ धोना संक्रमण से बचने में मदद करता है. 2. बच्चों की सेहत में लापरवाही न करें वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एनके अग्रवाल ने बताया कि इस बदलते मौसम में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत है. अधिक ठंडी चीजें खाने से उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ सकता है, इसलिए बच्चों को आइसक्रीम, ठंडे ड्रिंक आदि से दूर रखें. दूध पिलाते समय हमेशा गिलास या कटोरी का प्रयोग करें और प्लास्टिक की बोतलों से परहेज करें. यदि बोतल का उपयोग आवश्यक हो, तो स्टील की बोतल का इस्तेमाल करें और हर बार उसे गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करें. डॉ अग्रवाल ने यह भी कहा कि यदि शिशु को डायरिया, उल्टी या बुखार के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. देरी करने पर बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. 3. गर्भवती स्त्रीएं बारिश में रखें सावधानी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ नीलू प्रसाद का कहना है कि गर्भवती स्त्रीओं को मानसून में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. गर्भावस्था में प्रतिरोधक क्षमता पहले से कमजोर होती है, जिससे वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम और त्वचा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. बारिश में भीगना या गीले कपड़े देर तक पहनना फंगल इन्फेक्शन की आशंका को और बढ़ा सकता है, खासकर पैरों और जननांगों के आसपास. उन्होंने सलाह दी कि बाहर निकलते समय छाता या रेनकोट जरूर साथ रखें और भीगने की स्थिति में तुरंत कपड़े बदलें और शरीर को अच्छी तरह सुखाएं. साफ-सफाई का ध्यान रखना और नमी से बचाव ही संक्रमण से सुरक्षा का सबसे सरल उपाय है. 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