नया विचार न्यूज़ पटना– बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री श्री अशोक चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर के कहा है कि कृषि में वर्ष 2005 के बाद जो व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है, वह न केवल राज्य के लिए एक विकास गाथा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यह अद्भुत परिवर्तन संभव हो सका है बिहार के ओजस्वी, दूरदर्शी एवं जन-जन के प्रति संवेदनशील नेतृत्वकर्ता, माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के कुशल मार्गदर्शन से। उन्होंने आरंभ से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि बिहार का समावेशी विकास, कृषि के सतत और संरचनात्मक विकास से ही संभव है। श्री चौधरी ने कहा कि विगत डेढ़ दशकों में बिहार प्रशासन द्वारा संचालित चारों कृषि रोड मैप (2008–2028) ने राज्य में कृषि के क्षेत्र में क्रमिक, समेकित और दूरदर्शी विकास की मजबूत आधारशिला रखी है। प्रथम कृषि रोड मैप (2008–2012) ने बीज गुणवत्ता, यांत्रिकरण और जैविक खेती को प्रोत्साहित कर कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की, जिससे राज्य को ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। इसके पश्चात द्वितीय रोड मैप (2012–2017) ने किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आधारभूत संरचना, विद्युत आपूर्ति, भंडारण तथा ग्रामीण सड़कों के माध्यम से बाज़ार तक पहुँच को सुदृढ़ किया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार तृतीय रोड मैप (2017–2022) में जैविक खेती के लिए विशेष कॉरिडोर्स, 1500 मेगावाट कृषि विद्युत फीडर, मछली पालन को बढ़ावा और कृषि आधारित पोषण जैसे नवाचारों को समाहित किया गया, जिससे आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम सिद्ध हुआ। अब चतुर्थ रोड मैप (2023–2028) ने समावेशी कृषि, स्त्री एवं भूमिहीन कृषकों की भागीदारी, डिजिटलीकरण (जैसे – मृदा मानचित्रण), जलवायु-संवेदनशीलता तथा पशुपालन संरचनाओं पर बल देकर कृषि को सतत, वैज्ञानिक और समावेशी स्वरूप देने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया है। श्री चौधरी ने बताया कि इन चारों चरणों की तुलना से स्पष्ट है कि बिहार की कृषि नीति अब पारंपरिक उत्पादन से हटकर टिकाऊ, प्रौद्योगिकी-सक्षम और किसान केंद्रित मॉडल की ओर अग्रसर हो चुकी है। यही क्रमिक दृष्टिकोण बिहार को “कृषि नवाचार राज्य” के रूप में प्रतिष्ठित कर रहा है। श्री चौधरी ने बताया कि वर्ष 2008 से आरंभ किए गए कृषि रोड मैपों की चार श्रृंखलाओं के माध्यम से राज्य में न केवल फसल उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि हुई है, बल्कि किसानों के जीवन स्तर में भी अभूतपूर्व सुधार आया है। वर्ष 2005-06 में जहाँ चावल की उत्पादकता मात्र 11.41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, वह 2019-20 में बढ़कर 20.96 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई – अर्थात 83% की वृद्धि। गेहूं की उत्पादकता में 86% तथा मक्का में 34% की वृद्धि दर्ज की गई। इसी अवधि में सभी प्रमुख खाद्यान्न फसलों की सम्मिलित उत्पादकता में 130% की वृद्धि बिहार को कृषि समृद्ध राज्यों की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा करती है।श्री चौधरी ने बताया कि राज्य को चावल, गेहूं और मक्का उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए हिंदुस्तान प्रशासन द्वारा अब तक कुल पाँच कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जो बिहार की कृषि नीति की सफलता का राष्ट्रीय प्रमाण है। इसके अतिरिक्त बिहार के किसानों ने आलू और धान की उत्पादकता में विश्व रिकॉर्ड तक कायम किया है, जो न केवल राज्य का गौरव है, बल्कि हिंदुस्तानीय कृषि विज्ञान के लिए एक उदाहरण भी है। कृषि आधारभूत संरचना के क्षेत्र में भी माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में व्यापक कार्य हुए हैं – प्रमंडलीय और जिला स्तरीय संयुक्त कृषि भवनों का निर्माण, ई-कृषि भवन, डिजिटल कृषि प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली, ‘ई-नाम पोर्टल’, सीधा लाभ अंतरण (DBT), और घर-घर बीज एवं उन्नत यंत्रों की आपूर्ति जैसी योजनाओं ने बिहार के किसानों को तकनीक से जोड़ने और उनकी सुविधाओं को उनके गाँव तक पहुँचाने का कार्य किया है।श्री चौधरी ने कहा कि ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’, ‘ऑर्गेनिक प्रमाणीकरण’, ‘क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर’, ‘जलवायु अनुकूल कृषि मॉडल’, ‘फसल अवशेष प्रबंधन’, तथा ‘डिजिटल एग्री-इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम’ जैसी योजनाओं ने राज्य में वैज्ञानिक और सतत कृषि को बढ़ावा दिया है। स्त्री कृषकों के सशक्तिकरण के लिए जीविका समूहों के माध्यम से उन्हें कृषि आधारित उद्यमों से जोड़ने का जो अभिनव प्रयास हुआ है, वह आत्मनिर्भर ग्रामीण बिहार की नींव रखता है। उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक पात्र किसान को अनुदान, बीमा, प्रशिक्षण और विपणन की पारदर्शी सुविधा मिले – इसके लिए ऑनलाइन आवेदनों से लेकर अनुदान की राशि सीधे आधार-संलग्न खातों में भेजी जा रही है। कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत कृषक समूहों को यंत्र बैंक से जोड़ा गया है और किसानों को हर स्तर पर डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में प्रशिक्षित किया जा रहा है।इन सभी प्रयासों के मूल में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की यह दृढ़ आस्था रही है कि कृषि केवल आजीविका नहीं, बल्कि सम्मान, समृद्धि और सामाजिक न्याय का आधार है। बिहार प्रशासन की यह प्रतिबद्धता रही है कि राज्य का हर किसान सशक्त हो, सक्षम हो और आधुनिक तकनीकों से युक्त हो।श्री चौधरी ने अंत में कहा कि इस ऐतिहासिक यात्रा में सहभागी बनते हुए पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में आने वाला समय कृषि, ग्रामीण विकास और जनकल्याण की नई ऊँचाइयाँ छुएगा। बिहार की धरती अब केवल अन्नदाता नहीं, नवाचार, समावेशी विकास और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी है।