Hanuman Chalisa: बहुत से लोग हनुमान चालीसा को केवल रट लेते हैं और बार-बार बोलते रहते हैं, परंतु केवल बोलने से यह सिद्ध नहीं होती. हनुमान चालीसा की सिद्धि “जप” से होती है. जप का अर्थ होता है — शब्द पर ध्यान लगाना. आप जो भी नाम या स्तुति का जप कर रहे हैं, उसके अर्थ को समझना आवश्यक है. हनुमान चालीसा के प्रत्येक शब्द का अर्थ जानना ही सिद्धि की पहली सीढ़ी है. हमें यहां ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा बता रहे हैं हनुमान चालीसा को सिद्ध करने की सही विधि जप और पाठ में क्या अंतर है ? मैं हर मंगलवार को मंदिर जाता हैं. वहां अनेक भक्त हनुमान जी की उपासना करते हैं. परंतु जितना मैंने देखा है, उनमें से अधिकतर लोग केवल पाठ कर रहे होते हैं, जप नहीं. जब आप हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, तो मन में हर शब्द का अर्थ जागृत होना चाहिए. धीरे-धीरे और भावपूर्वक पाठ करें, अर्थ का स्मरण करते रहें — यही सच्चा जप है. हनुमान चालीसा का इतिहास और अर्थ क्या है ? हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने लगभग 500 वर्ष पूर्व की थी. “चालीसा” शब्द का अर्थ होता है — चालीस पंक्तियां. इस स्तुति में कुल 40 चौपाइयां हैं, इसलिए इसे हनुमान चालीसा कहा गया. ‘हनुमान’ नाम का अर्थ क्या है ? ‘हनु’ शब्द का अर्थ है ठुड्डी या हनन करना, और ‘मान’ का अर्थ है सम्मान या यश. कहा जाता है कि बचपन में जब हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, तब इंद्र के वज्र से उनके जबड़े में चोट आई थी, इसी कारण उनका नाम ‘हनुमान’ पड़ा. उनकी विकृत ठुड्डी भी उनके तेज और सौंदर्य को और निखारती थी — इसलिए ‘हनु’ के साथ ‘मान’ जुड़ गया. अर्थ सहित जाप का प्रभाव हनुमान चालीसा के अर्थों में अपार शक्ति छिपी है. यह केवल भक्ति नहीं, बल्कि जीवन के लिए मार्गदर्शक ग्रंथ है. यदि आपके जीवन में कोई दिशा नहीं है, तो अर्थ सहित जाप आपको उद्देश्य दिखाएगा. यदि आप दुखी हैं, तो यह जप आपको दुखों से मुक्ति देगा. यदि आप परिस्थितियों के आगे झुक चुके हैं, तो यही जप आपको भीतर से शक्ति देगा, ताकि आप फिर से खड़े होकर संघर्ष कर सकें. ये भी पढ़ें: हर मंगलवार को करें हनुमान चालीसा का पाठ, दूर होगी परेशानियां और दुख से मिलेगा छुटकारा हनुमान चालीसा से मिलने वाला आत्मबल आपके जीवन में चाहे कितनी भी समस्याएं हों — रोग, दर्द या मानसिक तनाव — हनुमान चालीसा का अर्थ सहित पाठ धीरे-धीरे सबको शमन कर देता है. यह केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि एक आत्मिक चिकित्सा है जो मन, बुद्धि और आत्मा तीनों को शुद्ध करती है. ‘गोस्वामी’ और ‘स्तुति’ के गहरे अर्थ ‘गोस्वामी’ शब्द का अर्थ होता है — जिसने अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण पा लिया हो, विशेषकर वासना और मोह से स्वयं को मुक्त कर लिया हो. ‘स्तुति’ का अर्थ है — ध्यान लगाना या ईश्वर का चिंतन करना. जब आप हनुमान चालीसा का अर्थ सहित पाठ करते हैं, तो स्वतः ही आपका ध्यान हनुमान जी में केंद्रित हो जाता है. हनुमान चालीसा: एक साधना, एक ध्यान यदि आप केवल पंक्तियां रट रहे हैं, तो यह ध्यान नहीं कहलाएगा. परंतु यदि हर शब्द के अर्थ को महसूस करते हुए पढ़ते हैं, तो यह आपके भीतर मेडिटेशन की अवस्था उत्पन्न करता है. यह अवस्था मन को शांत करती है और आपको हनुमान जी की उपस्थिति का अनुभव कराती है. शुद्ध कर्म ही सच्ची साधना हनुमान चालीसा के साथ-साथ अपने कर्म, वाणी और विचारों की पवित्रता बनाए रखना भी आवश्यक है. मन में किसी के प्रति गलत विचार, वाणी में अपशब्द या शरीर से कोई अनुचित कर्म — ये सब साधना में बाधक हैं. हनुमान जी का साक्षात्कार उन्हीं को होता है जिनका मन, वचन और कर्म तीनों पवित्र हों. हनुमान जी के गुण: बल, बुद्धि और विनम्रता हनुमान जी में अतुलनीय बल, तीव्र बुद्धि और गहन विद्या थी, फिर भी उनमें अहंकार का लेश मात्र भी नहीं था. यही कारण है कि वे देवत्व को प्राप्त हुए. बल, बुद्धि और विद्या होने पर भी जो विनम्र बना रहे, वही सच्चा भक्त और वीर कहलाता है. अहंकार रहित व्यक्ति ही ‘भगवान’ कहलाता है जो व्यक्ति अपने भीतर के अहंकार का पूर्ण हनन कर देता है, वही समाज में सम्मान और मान का पात्र बनता है. भगवान होना कोई जन्मगत विशेषता नहीं, बल्कि एक अवस्था है — जैसे कोई व्यक्ति अपनी साधना और गुणों से प्रमोशन पाकर मैनेजर से डायरेक्टर बनता है. इसी प्रकार, जिन्होंने अपने अहंकार को नष्ट कर दिया, वे ‘भगवान’ कहलाए. The post Hanuman Chalisa: आज मंगलवार को जानें हनुमान चालीसा को सिद्ध करने की वास्तविक विधि appeared first on Naya Vichar.