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October 19, 2025

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बिहार में सहकारिता विभाग में भर्ती, सैलरी होगी 30000 से ज्यादा

Bihar Sarkari Naukri 2025: बिहार में प्रशासनी नौकरी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए खुशसमाचारी है. बिहार प्रशासन ने कई विभागों में भर्तियों का नोटिफिकेशन जारी किया है. इनमें सबसे खास भर्ती सहकारिता विभाग (Cooperative Department) में ऑडिटर (Auditor) के पदों पर निकली है. इस भर्ती के माध्यम से 198 रिक्त पदों को भरा जाएगा. इस भर्ती (Bihar Sarkari Naukri 2025) के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन मोड में जारी है. पहले आवेदन की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर 2025 तय की गई थी, लेकिन अब उम्मीदवारों की सुविधा के लिए इसे 21 नवंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है. जिन उम्मीदवारों ने अब तक फॉर्म नहीं भरा है, वे अब भी आवेदन कर सकते हैं. Bihar Sarkari Naukri 2025: ऐसे करें अप्लाई सबसे पहले बिहार प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाएं. वहां “Bihar Cooperative Department Auditor Recruitment 2025” लिंक पर क्लिक करें. अब आवेदन फॉर्म को ध्यानपूर्वक भरें. सभी जरूरी दस्तावेज, फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करें. आवेदन शुल्क जमा करें और फॉर्म सबमिट करें. अंत में फॉर्म का प्रिंट निकालकर सुरक्षित रख लें. BSSC 4th Graduates Level Recruitment 2025 Apply Online BSSC 4th Graduates Leve Eligibility: कौन कर सकता है अप्लाई? ऑडिटर पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन या बीकॉम (BCom) की डिग्री होना जरूरी है. यह भर्ती उन युवाओं के लिए एक शानदार मौका है जो प्रशासनी सेवा में करियर बनाना चाहते हैं. इस पद पर सेलेक्ट होने वाले कैंडिडेट्स को पे लेवल 5 के तहत सैलरी मिलेगी. इसमें बेसिक सैलरी 29,200 रुपये से 92,300 रुपये तक होती है. ऐसे में इन हैंड सैलरी 30,000 रुपये से अधिक होगी. वैकेंसी डिटेल्स बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की तरफ से निकली वैकेंसी (Bihar Sarkari Naukri 2025) में सहकारिता विभाग में 198 पदों पर भर्तियां होंगी. इसमें जनरल कैटेगरी के 148 पदों पर, ओबीसी के 8 पदों, EWS के 20 पदों पर, एससी एससटी के 9 और 2 पदों पर भर्तियां होंगी. वहीं, बीसी वर्ग में 9 पदों पर भर्तियां होंगी. बीसी स्त्री वर्ग में 2 पदों पर भर्तियां की जाएंगी. यह भी पढ़ें: प्रशासनी कंपनी में 600 पदों पर वैकेंसी, सैलरी होगी 29000 से शुरू The post बिहार में सहकारिता विभाग में भर्ती, सैलरी होगी 30000 से ज्यादा appeared first on Naya Vichar.

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औरंगाबाद में टिकट बंटवारे का बवाल, राजद के तीन विधायकों का पत्ता कटा, समर्थक भड़के

Bihar Election 2025: महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में फंसे पेच के बीच औरंगाबाद के तीन विधायकों का टिकट कट गया है. इस वजह से कहीं आक्रोश है, तो कहीं सबक सिखाने की तैयारी चल रही है. दूसरे चरण के चुनाव के लिए 20 अक्तूबर यानी अंतिम दिन के नामांकन पर अब लोगों की नजर टिक गयी है. ऐसे में उम्मीद है कि अंतिम दिन बागी प्रत्याशी नामांकन का पर्चा दाखिल कर सकते हैं. जिन तीन विधायकों का टिकट कटा है, उनमें नवीनगर से राजद विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह, रफीगंज से राजद विधायक मो नेहालुद्दीन और गोह से राजद विधायक भीम सिंह यादव शामिल हैं. राजद में निभाते आये हैं बड़ी जिम्मेदारी विजय कुमार सिंह, मो नेहालुद्दीन और भीम सिंह यादव राजद में बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. सदस्यता अभियान से लेकर संगठन को मजबूत बनाने में इनकी प्रमुख भूमिका रही. विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू सिंह का नवीनगर से टिकट कटने पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. अन्य दोनों विधायकों के समर्थकों और कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है. अमरेंद्र, धर्मेंद्र और गुलाम पर राजद का भरोसा नवीनगर से राजद विधायक डब्लू सिंह का टिकट काटकर कुटुंबा के प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार चंद्रवंशी को प्रत्याशी बनाया गया है. रफीगंज से विधायक मो नेहालुद्दीन का टिकट काटकर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष डॉ गुलाम शाहिद और गोह विधायक भीम सिंह यादव का टिकट काटकर राजद जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है. अमरेंद्र, धर्मेंद्र और गुलाम पर भरोसा जताना राजद के लिए कितना कारगर होगा, यह आने वाले समय ही बतायेगा. बिहार चुनाव की ताजा समाचारों के लिए क्लिक करें तीन विधायक टिकट बचाने में रहे कामयाब वर्ष 2020 के चुनाव में औरंगाबाद जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी जीतने में सफल हो गये थे. इस बार के चुनाव में तीन विधायकों का टिकट काट दिया गया है. तीन विधायक अपना टिकट बचाने में कामयाब हो गये. कुटुंबा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, औरंगाबाद विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधायक आनंद शंकर सिंह और ओबरा विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी के रूप में ऋषि कुमार चुनाव लड़ रहे हैं. ये तीनों अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. इसे भी पढ़ें: RJD से टिकट नहीं मिलने से नाराज रितु जायसवाल कल दाखिल करेंगी नामांकन, परिहार सीट पर दिखेगा त्रिकोणीय फाइट The post औरंगाबाद में टिकट बंटवारे का बवाल, राजद के तीन विधायकों का पत्ता कटा, समर्थक भड़के appeared first on Naya Vichar.

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इतिहास में दर्ज लूव्र म्यूजियम की सबसे बड़ी चोरी! मोना लिसा से लेकर ‘द वेव’ तक, एक में डकैती ‘धूम 2’ जैसा दोहराया गया

Louvre Museum Biggest Heists: अगर आप सोचते हैं कि ‘धूम 2’ या ‘मनी हाइस्ट’ जैसी चोरी सिर्फ फिल्मों में होती है, तो जरा रुकिए. असली जिंदगी में भी कुछ लोगों ने ऐसा कर दिखाया है. जगह थी पेरिस का मशहूर लूव्र म्यूजियम वो जगह जहां लोग दुनिया की सबसे मशहूर पेंटिंग मोना लिसा देखने आते हैं. लेकिन इस बार चर्चा कला की नहीं, बल्कि एक धांसू डकैती की हो रही है. दिनदहाड़े कुछ चोर आए, और सिर्फ 7 मिनट में फ्रांस के शाही आभूषण लेकर चंपत हो गए. Louvre Museum Biggest Heists: दिनदहाड़े लूवर में ‘धूम 2’ जैसा सीन रविवार की सुबह, जब लोग लूवर घूमने पहुंचे थे, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही देर में क्या होने वाला है. सुबह करीब 9:30 बजे कुछ संदिग्ध लोग स्कूटर पर वहां पहुंचे. उन्होंने ट्रक पर लगी माल ढोने वाली लिफ्ट का इस्तेमाल करके म्यूजियम की एक खिड़की तक पहुंच बनाई. इसके बाद उन्होंने एंगल ग्राइंडर (धातु काटने वाली मशीन) से रास्ता बनाया और सीधे घुस गए अपोलो कक्ष में जहां रखे थे फ्रांस के क्राउन ज्वेल्स, यानी वो आभूषण जिन्हें प्रशासन ने “अनमोल” बताया है. बस 7 मिनट में चोरी पूरी हुई और फिर ये गिरोह वैसे ही स्कूटर पर सवार होकर भाग निकला, जैसे किसी फिल्म का आखिरी सीन हो. फ्रांस के गृह मंत्री लॉरेंट नुनेज के मुताबिक, यह चोरी किसी आम अपराधी ने नहीं, बल्कि बहुत अनुभवी और संगठित अपराधियों के छोटे समूह ने की थी. उन्होंने बताया कि यह एक बेहद अनुभवी टीम थी जिसने पहले से पूरी तैयारी की थी और बहुत तेजी से काम किया. इस घटना के बाद लूव्र म्यूजियम को फिलहाल बंद कर दिया गया है. पुलिस जांच में जुटी है और आस-पास के इलाकों की सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है. लूव्र म्यूजियम और चोरी का पुराना रिश्ता यह पहली बार नहीं है जब दुनिया का सबसे मशहूर म्यूजियम किसी बड़ी चोरी का निशाना बना हो. लूव्र म्यूजियम का इतिहास जितना पुराना है, उसमें उतनी ही रोमांचक चोरी की कहानियां भी हैं. 1911 में मोना लिसा की चोरी: 21 अगस्त 1911 को मोना लिसा पेंटिंग चोरी हो गई थी. इसे एक इतालवी कारीगर विन्सेन्जो पेरुग्गिया ने चुराया था. वो संग्रहालय कर्मचारी के कपड़े पहनकर अंदर गया और रात भर वहीं छिपा रहा. अगली सुबह उसने पेंटिंग को अपने कोट के नीचे छिपाकर बाहर निकाल लिया. यह कलाकृति दो साल बाद 1913 में इटली से बरामद हुई. 1971 में  ‘द वेव’ गायब: 1971 में गुस्ताव कूरबेट की मशहूर पेंटिंग “द वेव” भी लूवर से चोरी हो गई. आज तक ये पेंटिंग नहीं मिली, और चोरी कैसे हुई. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. शार्डिन की ‘स्टिल लाइफ’ भी रहस्यमय ढंग से गायब: जीन-बैप्टिस्ट-सिमोन शार्डिन की “स्टिल लाइफ विद एट्रिब्यूट्स ऑफ द आर्ट्स” नाम की पेंटिंग भी रहस्यमय तरीके से लूवर से गायब हो गई. इसका गायब होने का समय और वजह आज तक साफ नहीं हो पाई. 1983 में कवच की चोरी: 1983 में दो घटनाएं हुईं. एक बार चोरी की कोशिश नाकाम रही, जबकि दूसरी बार ऐतिहासिक कवच के कई टुकड़े चोरी हो गए. कुछ सामान बाद में मिल गया, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए. ये भी पढ़ें: दुनिया से 8 साल पीछे जी रहा है यह देश, 13 महीने का कैलेंडर, सितंबर में मनाता है न्यू ईयर, जानें वजह ऋतिक रोशन का फैन निकला चोर! स्कूटर से आया धूम 2 स्टाइल में म्यूजियम से उड़ा ले गया करोड़ों की ज्वेलरी The post इतिहास में दर्ज लूव्र म्यूजियम की सबसे बड़ी चोरी! मोना लिसा से लेकर ‘द वेव’ तक, एक में डकैती ‘धूम 2’ जैसा दोहराया गया appeared first on Naya Vichar.

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Deepotsav 2025: 500 वर्षों तक हमें अपमान सहना पड़ा…अयोध्या में गरजे योगी आदित्यनाथ, सपा और कांग्रेस पर बोला हमला

Deepotsav 2025: अयोध्या में भव्य दीपात्सव की शुरुआत करने के बाद सीएम योगी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा- “उन्होंने अयोध्या की पहचान मिटा दी थी और इसका नाम बदलकर फैजाबाद कर दिया था, और हमने अयोध्या की पहचान वापस लाकर इसे फिर से अयोध्या धाम बना दिया है.” कांग्रेस ने कहा था कि राम एक मिथक हैं : योगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति विपक्षी दलों के रुख को लेकर उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘‘इसी अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने कहा था कि राम एक मिथक हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं.’’ उन्होंने पिछले वर्ष हुए राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के निमंत्रण को कथित रूप से अस्वीकार करने को लेकर भी विपक्षी दलों की आलोचना की. आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘ये वही लोग हैं जो बाबर की कब्र पर सजदा करते हैं, लेकिन जब उन्हें श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया जाता है, तो वे निमंत्रण अस्वीकार कर देते हैं.’’ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अयोध्या में आए बदलावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अयोध्या अब ‘‘विकास और विरासत का अद्भुत संगम’’ प्रस्तुत करता है. #WATCH | Ayodhya: Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath says, “They had erased Ayodhya’s identity and renamed it Faizabad, and we have brought back the identity of Ayodhya, making it Ayodhya Dham again…”#Deepotsav2025 (Source: ANI/UP Govt) pic.twitter.com/vQElnX5ceO — ANI (@ANI) October 19, 2025 ये दीपक 500 वर्षों के अंधकार पर आस्था की जीत के प्रतीक : योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ये दीपक सिर्फ दीपक नहीं हैं; ये दीपक 500 वर्षों के अंधकार पर आस्था की जीत के भी प्रतीक हैं. ये दीपक इस बात के प्रतीक हैं कि उन 500 वर्षों में हमें किस तरह का अपमान सहना पड़ा और हमारे पूर्वजों को किस तरह का संघर्ष करना पड़ा. उस समय भगवान श्री राम एक तंबू में विराजमान थे और अब, जब दीपोत्सव का 9वां संस्करण मनाया जा रहा है, भगवान राम अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हैं.” सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता : योगी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हर दीया हमें याद दिलाता है कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता. सत्य की नियति विजयी होना है और विजय की इसी नियति को लेकर सनातन धर्म ने 500 वर्षों तक निरंतर संघर्ष किया है. उन्हीं संघर्षों के परिणामस्वरूप अयोध्या में एक भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हुआ है.” The post Deepotsav 2025: 500 वर्षों तक हमें अपमान सहना पड़ा…अयोध्या में गरजे योगी आदित्यनाथ, सपा और कांग्रेस पर बोला हमला appeared first on Naya Vichar.

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शास्त्र से अधिक लोक मर्यादाओं को ऊपर रख कर जीये मर्यादा पुरुषोत्तम राम: डीएन गौतम

राम ने मर्यादाओं की देहरी कभी नहीं लांघी, इसलिए राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये. उन्होंने शिष्य, पति, भाई, बेटे, राजा और योद्धा के रूप में उन्होंने मर्यादाओं को पूरा पालन किया. उन्होंने शास्त्रोक्त और लोक दोनों मर्यादाओं का पालन किया. लेकिन, जब भी उन्हें शास्त्रोक्त और लोक मर्यादाओं में किसी एक का चयन करना पड़ा, तो उन्होंने शास्त्र के ऊपर लोक (आम जन) मर्यादा को ही महत्व दिया. राम ने लोक मर्यादा को शास्त्रों से अधिक जन हितकारी माना. राम ने एक राजा के रूप में साबित किया कि शासक या राजा को हमेशा संदेह रहित रहना चाहिए. चाहे उसके निजी हित कितने ही प्रभावित क्यों न होते हों. एक शासक के लिए निजी हित इतने महत्वपूर्ण नहीं होते, जितना कि जनभावनाओं का मान रखना होता है. इसका सबसे महान उदाहरण सीता के परित्याग की घटना है, जिसमें उन्होंने अपने निजी हित को छोड़ते हुए लोक मर्यादा की रक्षा की. गहराई से वाल्मीकि रामायण और अन्य शास्त्रों का अध्ययन करें, तो पता चलता है कि राजा राम कितने संवेदनशील थे. उन्हें एक धोबी परिवार की निजी और नितांत बातचीत की सूचना अपने राजमहल में मिलती है. इसमें एक धोबी अपनी पत्नी से कह रहा था कि मैं कोई राम नहीं कि …..पत्नी का रख लूं. उनके लिए यह बात किसी आपदा से कम नहीं थी. वह खाना-पीना और हंसना बंद कर देते हैं. उनके चेहरे की कांति खो जाती है. सीता पर उन्हें कोई संदेह नही था. लेकिन, प्रजा के बीच उठ रहे संदेहों को वह कैसे मिटाएं, यह उनके लिए बड़ी चिंता थी. गुप्तचरों से महारानी सीता ने पति और राजा राम के मन की चिंता को जान लिया. एक दिन महारानी सीता ने वन घूमने की इच्छा प्रकट की. राम को नहीं बताया कि वह छोड़ कर जा रही हैं. राम ने कहा- सीता के साथ लक्ष्मण को भेजना उचित होगा. महर्षि वाल्मीकि आश्रम के पास सीता लक्ष्मण से लौटने को कहती हैं. वाल्मीकि के आश्रम से बाहर वह उदास रहती हैं. वाल्मीकि पिता का स्नेह देकर आश्रम में ले जाते हैं. इसके बाद लक्ष्मण लौट आते हैं. वाल्मीकि जानते हैं कि वह गर्भवती हैं. लव-कुश का जन्म होता है. वही वाल्मीकि, जिन्होंने वनवास के दौरान अगस्त ऋषि की भांति वनवासी राम को अपने अस्त्र नहीं दिये, उन्होंने राम के पुत्रों के दिव्यास्त्र सौंप दिये. यह विवरण शास्त्रों पर आधारित है. इस पूरे प्रसंग में राजा राम ने कई मर्यादाओं का पालन किया. पत्नी की सुरक्षा की मर्यादा का पालन किया. पत्नी सीता को उन्होंने खुद कभी आम जन के मन में उठ रहे विचारों या संदेह की जानकारी नहीं दी. पति धर्म का पालन किया. आम जन की मर्यादा की भी पूरी रक्षा की. जनता की शंकाओं का समाधान किया, क्योंकि उनका मानना था कि शासक या राजा को संदेहरहित होना चाहिए. शासकों को राम की इस मर्यादा से सीखना चाहिए. मेरा मानना है कि राम ने ‘स्टेट क्राफ्ट’ की नीति अपनायी. स्टेट क्राफ्ट का अर्थ राज्य-कला या शासन-कला है, जो किसी देश या राज्य को चलाने के कौशल और अभ्यास को संदर्भित करता है. इसके जरिये अघोषित महानतम लक्ष्य प्राप्त किये. इस दिशा में अभी और अध्ययन की जरूरत है. मर्यादाओं में बंधे रहे राम तुलसी लिखित रामचरित मानस की संपुट के रूप में प्रयुक्त की जानी वाली चौपाई ‘‘मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी’’ उनकी मर्यादा का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है. इस चौपाई के पहले वाक्य का अर्थ बेहद सामान्य है. दूसरे वाक्य के ‘द्रवहु’ का अर्थ ‘कृपा करो’ या  ‘पिघल या द्रवित या करुणा जाओ’ है और ‘अजिर बिहारी’ का अर्थ ‘आंगन में विहार करने वाले’ है. वह बालपन से ही मर्यादाओं में बंधे रहे. योगेश्वर कृष्ण की तरह देहरी यानी मर्यादा लांघने का प्रयास नहीं किया. युद्ध में रहे मर्यादित मां जानकी को रावण से मुक्त कराने जब राम सेतु पार कर लंका पहुंचे, तो उन्होंने रावण को युद्ध से बचने के लिए एक मौका और दिया. जाहिर है कि युद्ध उनके लिए मजबूरी थी. वह अपने और दुश्मन दोनों के हितों का ख्याल रख रहे थे. उनकी रावण से लड़ाई लोक मर्यादा के लिए थी. युद्ध के मुहाने पर बैठ कर युद्ध टालने की बात कोई राम ही कर सकता है. जब कैकई ने कहा -मेरा राम स्वप्न में कोई अपराध नहीं कर सकता? —–राम वनवास क्यों जा रहे हैं? नहीं पूछा. राम के मन में मां कैकई के बारे में कोई मन में मैल नहीं था. उनके वन गमन के बाद जब केकई से उनके राजमहल और रिश्तों की नारियों ने पूछा कि राम वन क्यों गये हैं? क्या अपराध किया था? तब मां कैकई ने कहा कि था कि ‘‘मेरा राम सपने में भी अपराध नहीं कर सकते हैं.’’ मैंने उनके पिता से दो वर मांगे थे. मंदोदरी ने भी की राम की मर्यादा की कुछ यूं चर्चा की :  रावण की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी मंदोदरी विजेता राम से मिलने के बाद लौट कर अपने महल आती हैं, तब उनसे उनके परिजनों ने पूछा कि राम का व्यवहार कैसा था या वह कैसे दिखते हैं? मंदोदरी ने कुछ यूं कहा-‘‘राम ने मेरे सामने सिर ही नहीं उठाया. वह मेरी परछायी ही देख रहे थे, उस पर राम की निगाहें मेरे पैराें पर ही थी.’’ अपने पति के विजेता दुश्मन की मर्यादा की तारीफ बताती है कि राम इतने महान क्यों थे. उन्हें अपनी विजय का दंभ नहीं था. ऐसे थे हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम राम. इस तरह राम ने अपने पिता,भाई और अन्य परिजन और अपनी प्रजा की मर्यादाओं और लोकलाज की हमेशा रक्षा की. इसके तमाम उदाहरण तमाम ग्रंथों में भरे पड़े हैं. राम राज्य में विषमता नहीं थी. तुलसी दास लिखते हैं कि ‘‘बैर न कर काहू सन कोई, राम प्रताप विषमता खोई’’, जिसका अर्थ है कि राम के राज्य में कोई किसी से शत्रुता नहीं करता था और उनके प्रताप के कारण सभी की आंतरिक विषमता या भेदभाव समाप्त हो गयी थी. (लेखक श्रीराम की आत्मकथा आदि पुस्तकों के लेखक व पूर्व डीजीपी हैं) The post शास्त्र से अधिक लोक मर्यादाओं को ऊपर रख कर जीये मर्यादा पुरुषोत्तम राम: डीएन गौतम appeared first on Naya Vichar.

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Reliance Jio का दिवाली धमाका! फ्री गोल्ड, अनलिमिटेड कॉलिंग और 5G डेटा का तोहफा

देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी Reliance Jio ने दिवाली 2025 के मौके पर अपने ग्राहकों के लिए खास फेस्टिव प्रीपेड ऑफर पेश किया है. इस ऑफर में यूजर्स को मिल रहे हैं फ्री Jio Gold क्रेडिट्स, अनलिमिटेड कॉलिंग, और 5G डेटा के साथ कई OTT प्लेटफॉर्म्स की फ्री सर्विसेज भी. क्या है Jio का नया दिवाली ऑफर? Jio ने Festive Offer: Gold + Home Trial टैग के साथ कई प्रीपेड प्लान्स लॉन्च किए हैं. इन प्लान्स में यूजर्स को 5G डेटा, OTT एक्सेस (जैसे JioCinema, JioHotstar), और JioHome ट्रायल की सुविधा मिल रही है. साथ ही, हर योग्य प्लान पर मिल रहा है Jio Gold बोनस क्रेडिट, जिसे Jio ऐप के रिवॉर्ड सेक्शन में यूज किया जा सकता है. Jio के दिवाली फेस्टिव प्लान्स और फायदे प्लान (₹) वैधता डेटा अतिरिक्त लाभ ₹349 28 दिन 2GB/दिन Jio Gold + JioHome + OTT ₹3599 365 दिन 2.5GB/दिन Jio Gold + JioHome + OTT ₹899 90 दिन 2GB/दिन + 20GB Jio Gold + JioHome + OTT ₹999 98 दिन 2GB/दिन Jio Gold + JioHome + OTT ₹100 (ऐड-ऑन) 30 दिन 5GB (फिक्स्ड डेटा) Festive Tag Add-on कहां मिलेगा यह ऑफर? यह ऑफर Jio.com, MyJio App और ऑफलाइन रिटेलर्स पर उपलब्ध है. यह केवल प्रीपेड यूजर्स के लिए लागू है. फिलहाल पोस्टपेड ग्राहकों के लिए कोई अलग फेस्टिव प्लान जारी नहीं किया गया है. Jio का दिवाली ऑफर, इन प्लान्स में मिल रहा अनलिमिटेड डेटा और 2 महीने JioHome का फ्री ट्रायल Jio यूजर्स की मौज, अब खाना ऑर्डर करने पर होगा 600 रुपये का फायदा, साथ में मिलेगा कैशबैक भी The post Reliance Jio का दिवाली धमाका! फ्री गोल्ड, अनलिमिटेड कॉलिंग और 5G डेटा का तोहफा appeared first on Naya Vichar.

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भगवान राम का पूरा जीवन ही मर्यादा का रूप, मुख्यमंत्री से लेकर चपरासी तक का ईमानदार होना राजधर्म: बीएस दुबे

भगवान  राम ने ईश्वर होते हुए भी पुरुषोत्तम का पात्र अदा किया. कभी भगवान होने का जरा सा भी भान नहीं होने दिया. पिता-पुत्र का रिश्ता कैसा होना चाहिए, उनके जीवन में यह निहित है. राजधर्म का अक्षरश: पालन उनके व्यक्तित्व में समाहित है. एक भी व्यक्ति अंगुली उठाता है, तो उसका भी जवाब देना वह राजधर्म समझते थे. चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक को ईमानदार होने को वह राजधर्म समझते थे. भगवान राम का पूरा चरित्र अनुशासन पर आधारित  भगवान राम ने रावण वध के समय भी शिविलिंग की स्थापना की प्रक्रिया रावण से ही पूरा करवायी. रावण को मारने का उपाय विभीषण से पूछते हैं. मां सीता भगवती थीं. फिर भी रावण उनका हरण कर लेता है. एक मनुष्य के रूप में इन झंझावतों से कैसे निबटा जाये, यही राम का पूरा चरित्र है. रावण के मरने के बाद भी भगवान राम की मर्यादा देखिए. लक्ष्मण से कहते हैं कि रावण से बड़ा पंडित कोई नहीं हुआ. इससे जाकर कुछ सीख लो. ये सब अनुशासन पर आधारित है. पिता-पुत्र का आचरण कैसा होना चाहिए, ये उनके जीवन की बड़ी सीख है. वनवास जाने के लिए उन्होंने कैकेयी को कभी दोषी नहीं ठहराया, जबकि लक्ष्मण ने खूब बुरा-भला कहा था. वनवास से लौट कर भी पहले कैकेयी के पैर भगवान राम ने छूये थे.  राम ने कोल, अछूतों की सेना बना कर सामाजिक सद्भाव कायम किया राम राजा दशरथ के लड़के थे. वह सब तरह से युद्ध कला में प्रवीण थे. उनको क्या जरूरत थी कि हनुमान और वनवासियों की मदद लें. हमलोग, जिसे वानरी सेना समझते थे, वह उस समय के ट्राइब (आदिवासी) ही थे. राम ने कभी राजपूतों की सेना नहीं बनायी. वनवास के दौरान जिनके यहां गये, उनकी जाति नहीं देखी. वाल्मीकि के यहां गये. सबरी के जूठ बेर खाये. अछूतों को गले लगाया. इससे बड़ा सामाजिक सामंजस्य का क्या उदारण हो सकता है. त्रेता युग में भी राजपूत कुल का राजा दलितों, अछूतों, आदिवासियों और वनवासियों के सहयोग से रावण पर चढ़ाई करता है.  14 साल एक धोती में सादगी से वनों में घूमते रहे राम ने अपने जीवन का 14 साल एक धोती पहन कर जंगल में बितायी. वहां कोई राजसी ठाट नहीं थी. राम ने तथाकथित धोबी के गलत कहने पर भी अपनी पत्नी का परित्याग कर दिया. अब तो आरोप लगने पर भी कोई गद्दी नहीं छोड़ रहा है. एक व्यक्ति पर भी अगर अंगुली उठती है, तो वह उनकी बात सुनते हैं. पूरे समय उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार नहीं किया. लंका भी विभीषण को सौंप दिया. पूरे जीवनकाल में एक ही पत्नी रखी, जबकि उस दौर में राजा कई पत्नियां रखते थे.  राम का हर वचन संकल्प की तरह है भगवान राम का संकल्प है कि पिता के वचन का पालन किया. एक आदमी ने भी कुछ कहा, तो उसकी बात सुनी. उनका हर वचन एक संकल्प की तरह है. पहले पिता, फिर विभीषण के साथ भी किया गया वादा संकल्प की तरह ही पूरा किया. गरीबी, अज्ञानता खत्म करना उनका संकल्प था. इसी कारण हमेशा रामराज्य की कल्पना की जाती है, क्योंकि रामराज्य में कोई गरीब नहीं था. कोई व्याभिचारी नहीं था.  एक से अधिक पत्नी राम ने नहीं कर ब्रह्मचर्य का पालन किया उस समय में कम उम्र में शादी होती थी. इसके बावजूद भगवान राम की शादी 27 साल की उम्र में हुई. एक ही पत्नी रखी. पहला ब्रह्मचर्य 25 साल का ही होता है. किसी दूसरी स्त्री पर कभी आंख उठा कर भी नहीं देखी. हमेशा चरित्र की मर्यादा में रहे, जबकि उनके पिता और उनके ससुर की एक से अधिक शादियां थीं. घर में ही इस तरह के उदाहरण रहने के बावजूद उनके जीवन में ब्रह्मचर्य है.  रावण की पत्नी को भी प्रणाम भेज किया स्त्री सम्मान भगवान स्त्री मर्यादा का पूरा पालन किया. जब सुपर्णरेखा उसके पास आयीं, तो बहन व मां कह कर उनको अपने सामने से जाने को कहा. सुपर्णरेखा का हठ बढ़ा, तो उसे सबक सिखाने के लिए अपने भाई लक्ष्मण को आगे कर दिया. भगवान राम चाहते, तो खुद उसका नाक काट सकते थे. लेकिन, उसको लक्ष्मण के पास भेज दिया. रावण के निधन के बाद मंदोदरी को समझाने के लिए लक्ष्मण को भेजा. मंदोदरी को अपना प्रणाम भिजवाया.  सचिव, वैध और गुरु बढ़िया रहने पर ही नीति ठीक बनेगी भगवान राम ने सभी जगह नीति की शिक्षा दी. सचिव, वैध और गुरु को बढ़िया रखने की सलाह दी. कहा कि ये तीनों जब अच्छे होंगे, तब ही राज ठीक से चल सकता है. तब ही राजधर्म का पालन होगा.  गुरु, बिनु वेद न सचिव बिनु नीति। राज धरम बिनु नृप बिनु प्रीति भगवान राम ने कहा कि कभी दूसरे की संपत्ति मत रखो. उन्होंने श्रीलंका को अपने रात में नहीं मिलाया. किसी दूसरे पर कभी कुदृष्टि नहीं डाली. अपने हक तक ही संपत्ति रखने को कहा. अधिकार को लेकर हमेशा वे सजग रहने की सीख देते हैं.  दूसरे के बारे में सोचना राजधर्म है चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री का ईमानदार होना ही राजधर्म है. राजा हो या चपरासी यदि घूसखोर होगा, तो राजधर्म का पालन नहीं कर पायेगा. दूसरे के बारे में सोचना भी राजधर्म है. मैं अगर जनता की जगह होता तो क्या करता, क्या सोचता, इस तरह से शासन चलाना राजधर्म है. जनता की अपेक्षाओं को भांपना राजधर्म है. राजा खुद जनता होता, तो वो क्या चाहता, इस तरह से राज चलाना राजधर्म है. (लेखक बीएस दुबे बिहार के पूर्व मुख्य सचिव रहे हैं) The post भगवान राम का पूरा जीवन ही मर्यादा का रूप, मुख्यमंत्री से लेकर चपरासी तक का ईमानदार होना राजधर्म: बीएस दुबे appeared first on Naya Vichar.

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Bihar Crime News: सिवान में अधेड़ को पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट, जांच में जुटी पुलिस 

Bihar Crime News, सिवान, अरविंद कुमार सिंह: जिले के एम.एच नगर थाना क्षेत्र के लहेजी गांव में दिवाली से एक दिन पहले उस समय सनसनी फैल गई जब एक बुजुर्ग व्यक्ति की लहूलुहान शव उसके फार्महाउस से बरामद की गई. मृतक की पहचान स्वर्गीय सकी अहमद के 50 वर्षीय पुत्र निजामुद्दीन खान के रूप में हुई है. रविवार की दोपहर तक जब वे घर नहीं लौटे, तो परिजनों ने तलाश शुरू की. खोजबीन के दौरान जब परिवार के लोग फार्महाउस पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि निज़ामुद्दीन खान का शव खून से लथपथ जमीन पर पड़ा है. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा  सूचना मिलते ही एम.एच नगर थाना प्रभारी रूपेश कुमार वर्मा पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने मौके से खून से सनी ईंट और लोहे की रॉड बरामद की, जिनसे हत्या किए जाने की आशंका जताई जा रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एफएसएल टीम को भी बुलाया गया, जिसने घटनास्थल से कई अहम साक्ष्य इकट्ठा किए हैं. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सिवान भेज दिया है. परिवार में पसरा मातम मृतक के पुत्र इमरान खान ने बताया कि उनके पिता शनिवार की रात घर पर खाना खाने के बाद रोज की तरह अपने फार्महाउस पर चले गए थे. सुबह तक घर नहीं लौटने पर जब वे वहां पहुंचे, तो यह भयावह दृश्य देखा. उन्होंने बताया कि यह हत्या रात में ही अज्ञात लोगों द्वारा की गई है. परिवार में मातम का माहौल है और गांव में दहशत का वातावरण बना हुआ है. बिहार की ताजा समाचारों के लिए यहां क्लिक करें केस दर्ज  थाना प्रभारी रूपेश कुमार वर्मा ने कहा कि पुलिस ने परिजनों के बयान के आधार पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और जांच की जा रही है. शुरुआती जांच में प्रतीत होता है कि मृतक पर ईंट और लोहे की रॉड से वार कर हत्या की गई है. आसपास के लोगों से पूछताछ की जा रही है और हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए पुलिस हर पहलू से जांच में जुटी हुई है. इसे भी पढ़ें: Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव में इंट्रेस्ट नहीं ले रहे राहुल गांधी, बंगाल में प्रचार अभियान के लिए जारी किया डेट The post Bihar Crime News: सिवान में अधेड़ को पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट, जांच में जुटी पुलिस  appeared first on Naya Vichar.

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भारत का इकलौता राज्य जहां हैं सिर्फ 2 जिले, खूबसूरत नजारों के लिए मशहूर

GK Quiz: हिंदुस्तान में जहां ज्यादातर राज्यों में दर्जनों जिले हैं, वहीं एक राज्य ऐसा भी है जहां पूरे राज्य में सिर्फ दो जिले हैं. इस राज्य का नाम गोवा है. हां, वही गोवा जहां का जिक्र होते ही लोगों के दिमाग में बीच, पार्टी और सुकून भरी छुट्टियों की तस्वीरें घूमने लगती हैं. समुद्र की सुनहरी लहरें, ताड़ के पेड़, शांत बीच और रंग-बिरंगे झूले यहां की खासियत हैं. जनरल नॉलेज सेक्शन में ऐसे जगहों के बारे में सवाल (GK Quiz) जरूर होते हैं. GK Quiz About Goa: गोवा में दो ही राज्य गोवा हिंदुस्तान का सबसे छोटा राज्य है, लेकिन यहां का आकर्षण सबसे बड़ा. यह राज्य दो जिलों में बंटा है- उत्तर गोवा (North Goa) और दक्षिण गोवा (South Goa). जहां उत्तर गोवा अपनी रौनक और नाइटलाइफ़ के लिए जाना जाता है, वहीं दक्षिण गोवा अपनी शांति और नेचुरल ब्यूटी से दिल जीत लेता है. अगर आप एडवेंचर पसंद करते हैं, तो गोवा में स्कूबा डाइविंग, पैरासेलिंग, जेट स्की जैसे कई रोमांचक विकल्प हैं. वहीं अगर आपको सुकून चाहिए, तो बस किसी शांत बीच पर बैठ जाइए- लहरों की आवाज़, ठंडी हवा और नारियल के पेड़ों की छांव सब कुछ भुला देगी. उत्तर गोवा (North Goa) उत्तर गोवा गोवा का रोमांच और रौनक वाला हिस्सा है. यहां की खासियत हैं बिजी बीच, नाइटलाइफ, म्यूजिक फेस्टिवल और शॉपिंग मार्केट्स. कलांगुट, बागा और अंजुना जैसे बीच पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. यहां ऐतिहासिक चर्च और पुर्तगाली स्थापत्य भी देखने को मिलते हैं. उत्तर गोवा ज्यादा पार्टी और एडवेंचर प्रेमियों के लिए जाना जाता है. दक्षिण गोवा (South Goa) दक्षिण गोवा शांति और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है. यहां सुपीरियर बीच, रिजॉर्ट्स और हरियाली देखने को मिलती है. पलोलेम, कोलवा और अगोंडा जैसे बीच कम भीड़ वाले और शांत हैं. दक्षिण गोवा में सांस्कृतिक और पारंपरिक उत्सव ज्यादा मनाए जाते हैं. यह जिला उन लोगों के लिए परफेक्ट है जो सुकून और प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं. यह भी पढ़ें: ये है दुनिया की सबसे गहरी झील, खड़े-खड़े डूब जाएगा 22 से ज्यादा कुतुब मीनार The post हिंदुस्तान का इकलौता राज्य जहां हैं सिर्फ 2 जिले, खूबसूरत नजारों के लिए मशहूर appeared first on Naya Vichar.

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मैक्लुस्कीगंज में मसीहियों ने मनाया नवाखानी पर्व

मैक्लुस्कीगंज. सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च लपरा में नवाखानी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया. पल्ली पुरोहित फादर हुबेरतुस बेक ने मिस्सा अनुष्ठान व विशेष प्रार्थना सभा संपन्न कराये. चर्च परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मायापुर, चामा, लपरा, मसरीखाड़, लालपुर आदि जगहों के मसीही शामिल हुए. पुरोहित ने उपस्थित लोगों को नवाखानी पर्व की शुभकामना दी. मसीहियों को संत पापा के संदेश संबोधित करते हुए पुरोहित बेक ने कहा कि आज का दिन ईश्वर को अच्छी उपज के लिए धन्यवाद देने का दिन है. नवाखानी के दिन विश्वासी अपनी पहली उपज का हिस्सा ईश्वर के नाम पर दान के रूप में समर्पित करते हैं. साथ ही कहा कि आज का दिन अपने पूर्वजों को भी धन्यवाद देने का दिन है, क्योंकि उनके अथक परिश्रम से हमारे लिए खेत तैयार किये गये थे. तत्पश्चात नवाखानी पर्व पर टोकरियों में अनाज लेकर चर्च पहुंचे विश्वासियों ने ईश्वर को समर्पित किया. इस दौरान अनुयायियों के बीच प्रसाद के रूप में चूड़ा का वितरण किया गया. डिक्कन सेबेस्टियन लोपीस ने सभी विधियों में सहयोग किया. युवतियों के समूह ने प्रभु की आराधना में भजन प्रार्थनामय गीत व नृत्य प्रस्तुत किये. तत्पश्चात परम प्रसाद का वितरण किया गया. सामूहिक प्रीतिभोज से समारोह का समापन हुआ. मायापुर मुखिया पुष्पा खलखो, किशोरी खेस, सिस्टर भूषण, सचिन खलखो, तोबियस बाड़ा, कोर्नेलुइस खेस, अनिता टोप्पो, मेरी बाड़ा, अनिमा लकड़ा, नीलम भेंगरा सहित बड़ी में मसीही विश्वासी उपस्थित थे. कार्यक्रम में मायापुर, चामा, लपरा, मसरीखाड़, लालपुर आदि जगहों के मसीही शामिल हुए डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है The post मैक्लुस्कीगंज में मसीहियों ने मनाया नवाखानी पर्व appeared first on Naya Vichar.

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