Bihar Election 2025 : पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत सर्वे पर खूब बहस हुई. सर्वे के आधार पर हिस्सेदारी की बात कही गयी, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान सभी दलों ने उम्मीदवार चुनते समय जातिगत सर्वे को कूड़ेदान में ही रखा. किसी दल ने संख्या के आधार पर उम्मीदवारों का चयन नहीं किया. जनसंख्या के मुकाबले मुस्लिम को जहां सबसे कम हिस्सेदारी मिली है, वहीं संख्या पर के आधार पर देखें तो राजपूतों को सबसे अधिक तवज्जों मिली है. सभी दलों ने राजपूतों को उनकी जनसंख्या के मुकाबले सबसे अधिक हिस्सेदारी दी है. जहां तक बात भाजपा की है तो पार्टी के 101 उम्मीदवारों की सूची में ‘भूरा बाल’ यानी भूमिहार, राजपूत, ब्राहमण और लाला को कुल जनसंख्या प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी दी है. बिहार में जातिगत वोटरों की संख्या राजपूत – 3.45 % भूमिहार- 2.86% ब्राह्मण- 3.65% वैश्य- 2.31 % दलित-19.65% अतिपिछड़ा-36% यादव- 14.26% कोईरी- 4.2 1% मुस्लिम- 17.70% भाजपा ने दी किसे कितनी हिस्सेदारी राजपूत- 21% भूमिहार- 15% ब्राह्मण- 11% वैश्य- 17% दलित- 12 % अतिपिछड़ा-7 % यादव- 6% कोईरी-6% मुसलमान-0% राजपूत को सबसे अधिक, अतिपिछड़ों को सबसे कम भाजपा ने उम्मीदवारों की सूची बनाने के दौरान ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और वैश्य को उनके जनसंख्या के अनुपात से अधिक टिकट दिया है, तो दलित और अतिपिछड़ा को उनके जनसंख्या के अनुपात में कम टिकट दिया है. बिहार में कुल वोटरों में राजपूत वोटरों की संख्या महज 3.45 % है, लेकिन भाजपा ने उसे कुल उम्मीदवारों की सूची में 21 प्रतिशत हिस्सेदारी दी है. अगर कम हिस्सेदारी की बात करें तो बिहार में कुल वोटरों में अतिपिछड़ा वोटरों की संख्या 36 % के करीब है, लेकिन भाजपा ने उसे महज 6 फीसदी हिस्सेदारी दी है. कोइरी जाति को जरूर भाजपा ने जनसंख्या के अनुपात में टिकट दिया है. कोइरी जाति से 6 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. बिहार में कोइरी जाति की आबादी 4.2 1% है. भाजपा ने किसे कितना टिकट राजपूत जाति- 21 भूमिहार जाति- 15 ब्राह्मण- 11 वैश्य- 17 दलित- 12 अतिपिछड़ा-7 यादव- 6 कोईरी-6 मुसलमान-0 यादव और मुस्लिम संख्या के मुकाबले नदारद भाजपा की सूची में अगर जातिगत उम्मीदवारी देखें तो बिहार के दो सबसे बड़े जातिगत समूह यादव और मुस्लिम में यादव की हिस्सेदारी जहां बेहद कम है, वहीं मुस्लिम की तो सूची में नाम तक नहीं है. बिहार में मुसलमान की आबादी 17.70% है और भाजपा ने उन्हें एक भी सीट पर उम्मीदवार नहीं बनाया है. बिहार में यादवों की जनसंख्या 14.26% है, लेकिन भाजपा ने यादव जाति के 7 नेताओं को विधानसभा की टिकट दिया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा ने सवर्ण को छोड़कर केवल कोईरी जाति को ही उसके जनसंख्या के अनुपात में अधिक हिस्सेदारी देने का काम किया है. सर्वे करानेवाले जदयू ने भी नहीं रखा संख्या का ख्याल जदयू के उम्मीदवारों की बात करें तो इस बार उसने चार मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा अधिक था. जदयू की लिस्ट में 13 स्त्रीएं भी दिखाई दे रही हैं, जिनमें से कुछ विधायकों को फिर से मौका मिला है. जदयू के 101 उम्मीदवारों में से 59 ईबीसी और ओबीसी हैं. ईबीसी को 22 टिकट मिले हैं. वहीं, नीतीश कुमार की जाति कुर्मी पर एक बार फिर खास ध्यान दिया गया है और 12 प्रत्याशी इसी जाति से घोषित किए गए हैं. इसके अलावा, आठ यादव और चार अन्य जातियों को भी जदयू की उम्मीदवारी लिस्ट में शामिल किया गया है. पार्टी की तरफ से पांच प्रत्याशी मुसहर और रविदासी समुदाय से भी रखे गए हैं. Also Read: Bihar Election 2025: बिहार भाजपा में नयी पीढ़ी की नेतृत्व, 16 पुराने विधायक हुए बेटिकट Also Read: Bihar News: बिहार चुनाव में सितारों की जमघट, पवन सिंह, मैथिली ठाकुर खुद तो खेसारी अपनी पत्नी को उतारेंगे मैदान में The post Bihar Election 2025 : विधानसभा चुनाव में जातिगत जनगणना हुआ फेल, संख्या के बल पर किसी दल ने नहीं दी हिस्सेदारी appeared first on Naya Vichar.