Economic Survey: 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पहले हिंदुस्तान प्रशासन 31 जनवरी को आर्थिक समीक्षा 2025 प्रस्तुत करेगी. यह समीक्षा हिंदुस्तानीय वित्तीय स्थिति की वर्तमान स्थिति और भविष्य के आर्थिक विकास की दिशा पर प्रकाश डालने वाली महत्वपूर्ण रिपोर्ट होगी. इस रिपोर्ट को मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन पेश करेंगे. वे 2022 से इस पद पर हैं.
आर्थिक समीक्षा की भूमिका
आर्थिक समीक्षा हर साल बजट से पहले वित्त मंत्रालय की ओर से पेश की जाती है. यह रिपोर्ट हिंदुस्तानीय वित्तीय स्थिति के मौजूदा प्रदर्शन, प्रमुख आर्थिक संकेतकों, और आने वाले वर्षों में वित्तीय स्थिति के विकास की संभावनाओं का मूल्यांकन करती है. इस साल की समीक्षा में वित्तीय स्थिति के लिए बड़े जोखिम, राजकोषीय नीति, मुद्रास्फीति और निवेश के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है.
जीडीपी वृद्धि का आकलन
आर्थिक समीक्षा में हिंदुस्तान की जीडीपी वृद्धि दर पर गहन चर्चा हो सकती है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसा, वित्त वर्ष 2024-25 में हिंदुस्तान की आर्थिक वृद्धि 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है. आर्थिक समीक्षा में इस दर की आंकड़ों के साथ आने वाले वर्षों के लिए विकास दर का लक्ष्य और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उपाय बताए जा सकते हैं. मांग में कमी और महंगाई के कारण आर्थिक मंदी को न्यूनतम करने के उपाय पर चर्चा हो सकती है.
महंगाई और उपभोग
महंगाई हिंदुस्तान में एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, क्योंकि इससे सामान्य उपभोक्ता की क्रय शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. महंगाई दर को कम करने के लिए हिंदुस्तानीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मुद्रास्फीति नियंत्रण नीति के प्रभाव का मूल्यांकन हो सकता है. वेतन वृद्धि, खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव और ब्याज दरों के प्रभाव पर प्रकाश डाला जा सकता है. आर्थिक समीक्षा में घरेलू उपभोग और निवेश की गतिविधियों में भी गिरावट के कारण उपभोक्ता मांग में कमी की संभावना पर बात की जा सकती है.
राजकोषीय घाटा और बजट प्रस्तावों की दिशा
आर्थिक समीक्षा में राजकोषीय घाटा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि यह हिंदुस्तान प्रशासन के वित्तीय स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक है. राजकोषीय घाटा के 4.5% से नीचे आने का लक्ष्य है, जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले संकेत दिया था. राजकोषीय प्रबंधन और निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए अग्रणी बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में प्रशासनी खर्च बढ़ाने का सुझाव हो सकता है. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) और आयकर नीति में भी सुधार होने की संभावना है.
निवेश के अवसर और सुधार
निवेश हिंदुस्तान की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के लिए नीतिगत बदलाव की घोषणा की जा सकती है. स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए राहत उपायों का सुझाव दिया जा सकता है, ताकि रोजगार सृजन और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिले. साइबर सुरक्षा, डिजिटलीकरण और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं का विस्तृत आकलन हो सकता है.
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व्यापार संतुलन और रुपये की स्थिति
रुपये की कमजोरी और हिंदुस्तान का व्यापार घाटा भी इस समीक्षा का हिस्सा हो सकता है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर विचार किया जा सकता है, जो आयात महंगा करता है और निर्यात पर दबाव डालता है. निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नई नीति और मुद्रास्फीति के प्रभाव को नियंत्रित करने के उपाय सुझाए जा सकते हैं.
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