World Kidney Day 2025: रांची, राजीव पांडेय-झारखंड में हर 10 में से एक व्यक्ति किडनी की बीमारी से पीड़ित है. इन मरीजों में किडनी की समस्या किसी ने किसी रूप में है. किडनी विशेषज्ञ डॉक्टरों से मिली जानकारी के अनुसार मरीजों की संख्या 35 लाख से अधिक हो गयी है. इसमें से आठ से 10 फीसदी किडनी मरीजों को डायलिसिस करानी पड़ती है.
सभी 24 जिलों में डायलिसिस की सुविधा
विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि 65 फीसदी मरीज गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचते हैं. राज्य के सभी 24 जिलों में डायलिसिस की सुविधा है, जहां 5,500 से ज्यादा मरीजों का डायलिसिस होता है. अगर लोगों में जागरूकता हो और समय पर स्क्रीनिंग की जाये तो किडनी मरीजों को गंभीर अवस्था में जाने से बचाया जा सकता है. किडनी मरीजों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या कम है. आबादी के हिसाब से 75 से 80 विशेषज्ञ डॉक्टर होने चाहिए, पर मुश्किल से 35 से 40 हैं.
खराब जीवनशैली है बीमारी की बड़ी वजह-डॉ अमित कुमार
किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ अमित कुमार ने बताया कि किडनी की बीमारी के बढ़ने का मुख्य वजह खराब जीवनशैली है. स्ट्रेस और समय पर सोने व उठने की दिनचर्या का पालन नहीं करना है. जंक फूड का उपयोग बढ़ा है, जिससे आवश्यकता से अधिक नमक की मात्रा इस्तेमाल हो जा रहा है. जंक फूड में स्वाद के लिए ज्यादा नमक का उपयोग होता है, जो किडनी पर दुष्प्रभाव डालता है.
अनावश्यक एंटीबायोटिक दवा से बढ़ रही समस्या
किडनी की समस्या बढ़ने में अनावश्यक एंटीबायोटिक का उपयोग भी वजह बन रहा है. मौसमी बीमारी जैसी समस्या में भी लोग बिना डॉक्टरी परामर्श के एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवा का उपयोग करते है. यही दवा किडनी को प्रभावित करती है. रिम्स के फिजिशियन डॉ बिंदे कुमार ने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को आवश्यकता के हिसाब से एंटीबायोटिक दवा दी जाती हैं, लेकिन चिंता यह है कि पूछने पर मरीज बताते हैं कि वह अपने मन से एंटीबायोटिक दवा लिए होते हैं.
रिम्स सहित निजी अस्पतालों में नेफ्रो प्लस की सुविधा
राज्य में रिम्स के अलावा नेफ्रोप्लस (निजी अस्पताल) अपनी सेवा देते हैं. इसके राज्य में 16 सेंटर हैं, जो 160 डायलिसिस मशीन स्थापित कर मरीजों की सेवा कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन सेंटर पर प्रत्येक 1600 से ज्यादा किडनी मरीजों का डायलिसिस किया जाता है. इसमें आयुष्मान मरीजों की संख्या 500 से अधिक है.वहीं, 1073 किडनी के सामान्य मरीज है. रिम्स में 25 मशीन के साथ डायलिसिस यूनिट स्थापित की गयी है, जिसमें 1600 डायलिसिस सेशन चलता है.
राज्य के 24 जिला में डायलिसिस यूनिट स्थापित
राज्य प्रशासन ने सभी के 24 जिला में दो एजेंसी को डायलिसिस सेंटर स्थापित करने का जिम्मा दिया है. इसमें आठ जिला को डीसीडीसी और 16 जिला में स्केग संजीवनी सेवा देती हैं.
विश्व किडनी दिवस पर 2025 की थीम
विश्व किडनी दिवस 2025 की थीम क्या आपकी किडनी ठीक है? प्रारंभिक निदान करें, किडनी स्वास्थ्य की रक्षा करें है. यह थीम किडनी रोगों की रोकथाम और उनके प्रबंधन में प्रारंभिक निदान और हस्तक्षेप के महत्व को उजागर करता है. इसके तहत इस बात पर जोर दिया है कि समय रहते किडनी स्वास्थ्य की जांच और उचित उपचार से बहुत सी गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है.
दो से तीन ग्राम ही नमक का करें उपयोग
किडनी मरीज नहीं बनें, इसके लिए नमक की मात्रा को नियंत्रित करना जरूरी है. विशेषज्ञों ने बताया कि नमक की मात्रा प्रतिदिन दो से तीन ग्राम होना चाहिए, लेकिन लोग आठ से 10 ग्राम नमक का उपयोग कर रहे है. यह इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि हर रोज लोग किसी न किसी रूप में जंक फूड का उपयोग कर लेते है. इसके अलावा कई तरह के भोजन का उपयोग एक दिन में करते है. इससे नमक की मात्रा बढ़ जाती है.
चार श्रेणी के मरीजों को सुविधाएं
- आयुष्मान कार्डधारी : फ्री
- बीपीएल कार्डधारी को : फ्री
- लोअर इनकम ग्रुप, जिनकी सालाना आय 72 हजार से कम : फ्री
- मेसर्स डीसीडीसी ( दिल्ली की कंपनी): आठ जिलों में सेवा देती है, सामान्य
मरीजों के लिए 1048 रुपये - मेसर्स एस्कैग(कोलकाता): 16 जिलों में सेवा देती है, सामान्य मरीजों
के लिए 1206 रुपये चार्ज
जिलों में स्थापित डायलिसिस मशीनें
पू सिंहभूम:04
प सिंहभूम:03
बोकारो:06
धनबाद:02
हजारीबाग:06
सिमडेगा:02
दुमका:04
पलामू:02
कोडरमा:04
देवघर:06
जामताड़ा:03
गोड्डा:03
सरायकेला:01
रांची:07
लातेहार:02
चतरा:02
गिरिडीह:05
गढ़वा:04
गुमला:02
पाकुड़:02
रामगढ़:04
लोहरदगा:03
साहिबगंज:02
किडनी की समस्या के प्रारंभिक लक्षण
- पैरों में सूजन
- पेशाब में झाग बनना
- पेशाब का रंग बदलना
- भूख में कमी
- जल्दी थक जाना
रांची सदर अस्पताल में हर महीने 600 से ज्यादा का डायलिसिस
रांची सदर अस्पताल में हर महीना 600 से ज्यादा मरीजों का डायलिसिस होता है. सदर अस्पताल में निजी एजेंसी डीसीडीसी सेवा प्रदान करता है. यहां पर आयुष्मान कार्डधारी, बीपीएल कार्डधारी और 72 हजार से कम आय वाले मरीजों को नि:शुल्क डायलिसिस किया जाता है. वहीं सामान्य मरीजों से 1,048 रुपये लिये जाते हैं.
बढ़ रही है किडनी मरीजों की संख्या-डॉ प्रज्ञा पंत
किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा पंत ने कहा कि किडनी मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसका मुख्य वजह गलत लाइफ स्टाइल है. खराब लाइफ स्टाइल से लोग बीपी और शुगर के मरीज बन रहे है. यहीं आगे चलकर किडनी मरीज बन जाते है. अगर लाइफ स्टाइल और खानपान को सुधारा जाये तो किडनी की समस्या से बचा जा सकता है.
जीवनशैली में सुधार करें-डॉ नवीन कुमार वर्णवाल
किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ नवीन कुमार वर्णवाल ने कहा कि झारखंड में किडनी के कितने मरीज हैं, इसका आधिकारिक डाटा अभी नहीं है. हालांकि बढ़ने का मुख्य वजह बीपी, शुगर, मोटापा और अनावश्यक दवाएं है. पैरों में सूजन और पेशाब की समस्या शुरु होने पर तत्काल डॉक्टर से मिले. जीवनशैली में सुधार करें और खानपान संतुलित रखें.
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