नया विचार पटना- बिहार के शिवहर जिले से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जो प्रशासनी योजनाओं की खामियों और लापरवाही की पोल खोल रही है। यहां खेतों के बीचों-बीच एक पुल तो खड़ा है, लेकिन उससे जुड़ने के लिए कोई सड़क ही नहीं बनाई गई। यह दृश्य देखने पर ऐसा लगता है जैसे अब पुलों की खेती भी शुरू हो गई हो। स्थानीय लोगों में इस अधूरी परियोजना को लेकर आक्रोश है, और वे प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं कि जब चढ़ने-उतरने का कोई रास्ता ही नहीं है, तो इस पुल का उपयोग कैसे किया जाए? दरअसल, यह मामला शिवहर जिले के बेलवा-नरकटिया गांव से देवापुर तक बनने वाली स्टेट हाईवे-54 परियोजना से जुड़ा है। इस परियोजना के तहत कई पुलों का निर्माण किया जा चुका है, लेकिन उनसे जुड़ने वाली सड़क अब तक अधूरी है। ऐसे में ये पुल बेकार खड़े हैं, क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई रास्ता ही नहीं है। प्रशासन इसे ‘क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर’ बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह से प्रशासनी विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत का नतीजा है। गांव के लोगों का कहना है कि पुल बनाकर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण यह लोगों के किसी काम का नहीं है। उनका कहना है कि अगर सड़क नहीं बनी तो इस पुल का कोई औचित्य नहीं रह जाता। एक ग्रामीण रमेश यादव ने कहा, प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत से आधे-अधूरे निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। अगर पुल ही बनाना था, तो सड़क का भी इंतजाम होना चाहिए था। अब यह पुल केवल देखने की चीज बनकर रह गया है। वहीं, एक अन्य ग्रामीण सुरेश सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, हमारे खेतों में अरहर और तीसी की फसल के साथ अब पुल भी उगने लगे हैं। यह पूरी परियोजना बिना किसी ठोस योजना के बनाई गई है। प्रशासन से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस मामले में जब प्रशासन से सवाल किया गया, तो अधिकारियों का कहना था कि यह पुल असल में क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर है, जिसका इस्तेमाल जल निकासी के लिए किया जाता है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह सच में ड्रेनेज स्ट्रक्चर है, तो फिर इसे इस तरह क्यों बनाया गया कि यह सड़क का हिस्सा लगे? इस अधूरे निर्माण कार्य को लेकर विपक्ष ने भी प्रशासन पर निशाना साधा है। विपक्षी दल के नेता अशोक कुमार ने कहा, यह बिहार में विकास के दावों की असलियत दिखाने वाला मामला है। जनता के पैसे से आधे-अधूरे निर्माण कराए जा रहे हैं, और फिर प्रशासन अपनी गलती छिपाने के लिए बहाने बना रहा है। अगर प्रशासन सही मायने में विकास करना चाहती है, तो इस पुल से जुड़ी सड़क का तुरंत निर्माण कराना चाहिए। अब गांववाले प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस पुल से जुड़ी सड़क का निर्माण किया जाए, ताकि यह सही मायनों में लोगों के उपयोग में आ सके। लोगों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। बिहार में अधूरी प्रशासनी परियोजनाओं की यह कोई पहली तस्वीर नहीं है। इससे पहले भी कई जिलों में अधूरे पुल और सड़कें देखने को मिली हैं। यह मामला प्रशासन के विकास कार्यों की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह पुल यूं ही खेतों के बीच हवा में लटका रहेगा।