Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती का पर्व प्रतिवर्ष बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वर्ष 2025 में यह उत्सव 12 अप्रैल को आयोजित होगा. सामान्यतः यह पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है? इस अद्वितीय परंपरा के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा छिपी हुई है. आइए, इसके रहस्य को समझते हैं.
भगवान हनुमान को अमर क्यों माना जाता है?
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को एक चिरंजीवी (अमर) देवता के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि वे आज भी पृथ्वी पर उपस्थित हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. उन्हें राम भक्त, संकटमोचन और बजरंगबली जैसे अनेक नामों से जाना जाता है. हनुमान जी की भक्ति और शक्ति के कारण हिंदू धर्म में उनकी पूजा का विशेष महत्व है.
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है, और इस वर्ष यह कब है?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था. इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है. इसके अतिरिक्त, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को भी हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 2025 में, यह पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा.
हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?
पहली हनुमान जयंती- इसे हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को आती है. इसे हनुमान जन्मोत्सव कहा जाता है.
दूसरी हनुमान जयंती- इसे विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो चैत्र पूर्णिमा के दिन होती है. इस दिन भगवान हनुमान को नया जीवन प्राप्त हुआ था.
हनुमान जयंती के पीछे की पौराणिक कथा
हनुमान जी के जन्मोत्सव को दो बार मनाने की एक दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि जब हनुमान जी छोटे थे, तब उनकी शक्ति अद्वितीय थी. एक बार उन्हें अत्यधिक भूख लगी और उन्होंने आकाश में चमकते सूर्य को फल समझकर उसे निगलने का प्रयास किया. जैसे ही उन्होंने सूर्य को खाने की कोशिश की, चारों ओर अंधेरा छा गया. यह देखकर इंद्र देव चिंतित हो गए और उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया. इस हमले से हनुमान जी बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़े. यह दृश्य देखकर उनके पिता पवन देव (वायु देवता) अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरे ब्रह्मांड में वायु का प्रवाह रोक दिया.इससे सम्पूर्ण सृष्टि में संकट उत्पन्न हो गया और चारों ओर हाहाकार मच गया. तब भगवान ब्रह्मा ने हस्तक्षेप किया और पवन देव को शांत किया. उन्होंने हनुमान जी को नया जीवन प्रदान किया. मान्यता है कि यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा को हुई थी, इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है.
हनुमान जयंती का महत्व
इस दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से भय, दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है. भक्तजन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करते हैं. मंदिरों में विशेष हवन, भजन-कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चोला अर्पित करने की परंपरा भी है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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