औरंगाबाद शहर. कलेक्ट्रेट के सभागार में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में लू व गर्मी से बचाव के लिए समीक्षात्मक बैठक की गयी. डीएम ने विभागवार समीक्षा की. वहीं, गर्मी के कारण सुखाड़, अगलगी, पीने के पानी की कमी, लू जैसी आपदा से निबटने के लिए सभी संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये. डीएम ने कहा कि भीषण गर्मी में लू के कारण जन-जीवन प्रभावित होता है. स्वास्थ्य व पेयजल संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती है. विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती स्त्रीओं व दिहाड़ी मजदूरों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. पेयजल संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में यह आवश्यक है कि राज्य प्रशासन के विभागों द्वारा आमलोगों को भीषण गर्मी व लू से बचाव के लिए कारगर उपाय किये जाये. बैठक में डीएम ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि सभी अस्पतालों में लू से प्रभावितों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था जैसे पेयजल की समुचित व्यवस्था, दवा की उपलब्धता, ओआरएस घोल की उपलब्धता, ऑक्सीजन सिलिंडर, डॉक्टर्स की प्रतिनियुक्ति, साफ-सफाई की उचित व्यवस्था व अस्पतालों के ओपीडी स्थल में एसी और कूलर की पर्याप्त व्यवस्था करना सुनिश्चित करें. साथ ही ओआरएस घोल बंटवाने के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखें. सभी पीएचसी अस्पतालों में कम से कम पांच वातानुकूलित बेड लू प्रभावितों मरीज के लिए बनाएं. इसके अतिरिक्त आवश्यकता अनुसार प्रभावित क्षेत्र के लिए चलंत चिकित्सा दल की भी व्यवस्था सुनिश्चित करें.
खराब पड़े सभी चापाकलों की 15 दिनों में करें चालू
जिलाधिकारी ने सभी कार्यपालक पदाधिकारी से संबंधित वार्डों में पेयजल की समस्या का समाधान किस प्रकार कर रहे हैं. इसकी बिंदुवार जानकारी ली एवं वार्डों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था टैंकर, वाटर एटीएम व प्याऊ के माध्यम से करने का निर्देश दिया. शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की व्यवस्था, खराब चपकालों की युद्धस्तर पर मरम्मत करने का एवं स्लम क्षेत्र एवं आश्रय स्थलों में पेयजल और व्यवस्था भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिले में कुल 12000 चापाकल अधिष्ठापित है, जिसमें में कुल लगभग 1000 चापाकल खराब स्थिति में थी, जिसमें 468 चापकलों की मरम्मत करा दी गयी है. डीएम ने निर्देश दिया कि सभी खराब चापाकल को 15 दिनों के अंदर में मरम्मत करना सुनिश्चित करें. इसे अतिरिक्त निर्देश दिया गया कि जिन वार्डों में नल जल फंक्शनल नहीं है, उसे यथाशीघ्र मरम्मति कराएं.
अग्निपीड़ितों को शीघ्र उपलब्ध कराएं सुविधा :
पशु एवं मत्स्य पदाधिकारी को पशुओं की दवा की पर्याप्त उपलब्धता व पशुओं के लिए पानी पीने की समुचित व्यवस्था के बारे में पूछा. डीएम ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया कि किसी घर में अगलगी की घटना होती है, तो उसे अविलंब मुआवजा भुगतान करें. अगर किसी घर में सारा सामान जल गया हो तो उन परिवारों के लिए खाना-पीना की भी व्यवस्था करें. इस भीषण गर्मी में सुखाड़, पीने का पानी की समस्या, लू जैसे आपदा से निपटने के लिए अन्य विभाग के संबंधित पदाधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश दिए गए. बैठक में उप विकास आयुक्त अभ्येंद्र मोहन सिंह, अपर समाहर्ता आपदा उपेंद्र पंडित, जिला परिवहन पदाधिकारी शैलेश कुमार, जिला पंचायती राज पदाधिकारी इफ्तेखार अहमद, आपदा प्रभारी अंतरा कुमारी, कार्यपालक अभियंता पीएचडी एवं विद्युत, सिविल सर्जन विनोद कुमार आदि थे.
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