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क्षेत्रीय सहयोग का उभरता और प्रभावी मंच बिम्सटेक

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात एशियाई देशों के संगठन ‘बिम्सटेक’ के बैंकॉक में आयोजित छठे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और इन देशों के बीच बेहतर जुड़ाव, आर्थिक और डिजिटल संबंधों को प्रगाढ़ करने हेतु आह्वान किया. ‘बिम्सटेक’ में बांग्लादेश, भूटान, हिंदुस्तान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 2024 के अनुमानों के अनुसार ये देश कुल 5.23 ट्रिलियन डाॅलर की जीडीपी का उत्पादन करते हैं, जिसमें हिंदुस्तान का योगदान सर्वाधिक है. यह बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है, जिसमें पाकिस्तान नहीं है. जून, 1997 में इसका गठन बिस्टेक के नाम से हुआ था. दिसंबर, 1997 में इसमें म्यांमार को शामिल किया गया और इसका नाम बिम्सटेक हो गया. फरवरी, 2004 में नेपाल और भूटान इसके सदस्य बन गये और इसका नाम तो बिम्सटेक ही रहा, पर इसे अब ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कॉओपरेशन’ के नाम से जाना जाने लगा.

हिंदुस्तान के पड़ोसी देशों का एक संगठन सार्क है. वर्ष 1985 में सात देशों के संगठन के रूप में इसका गठन हुआ. वर्ष 2007 में अफगानिस्तान इसमें शामिल हुआ. सार्क के नौ पर्यवेक्षक देश भी हैं, जिनमें यूरोपीय संघ, अमेरिका, ईरान और चीन आदि हैं. शुरू से ही सार्क में विवाद रहा, क्योंकि पाकिस्तान ने हिंदुस्तान के विरुद्ध छोटे देशों को भड़का कर उसे बदनाम करने का काम शुरू किया था. पाकिस्तान के इस रुख को देखते हुए हिंदुस्तान ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के तहत बिम्सटेक को बढ़ावा देने का काम शुरू किया. वर्ष 1997 में इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन, वर्ष 2000 में मैकांग-गंगा को-ऑपरेशन और 2015 में बांग्लादेश, भूटान, हिंदुस्तान तथा नेपाल ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट करते हुए बिम्सटेक को मजबूत करने का काम किया गया. हिंदुस्तान के सार्क से विमुख होने के बाद इसका महत्व ही खत्म हो गया.

बिम्सटेक में शामिल हिंदुस्तान के पड़ोसी या समीपवर्ती सातों देश विकासशील देश हैं. इनमें वित्तीय स्थिति और जनसंख्या के नाते सबसे बड़ा देश हिंदुस्तान है. विभिन्न प्रकार के अवरोध और असमंजस के बीच हिंदुस्तान की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के तहत इस क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन का महत्व और बढ़ जाता है. हिंदुस्तान ने पिछले एक दशक में जो तकनीकी और आर्थिक प्रगति की है, इस क्षेत्र के लोग उससे प्रभावित हैं. कनेक्टिविटी का मामला हो, डिजिटाइजेशन की बात हो या अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग का मामला हो, हिंदुस्तान इस क्षेत्र के देशों को मदद करने की स्थिति में है. हिंदुस्तान की मजबूत आर्थिक स्थिति और सॉफ्ट पावर, दोनों ही उसे इस क्षेत्र के नेतृत्व हेतु बिम्सटेक में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं. छठे शिखर सम्मेलन में मोदी ने बिम्सटेक को दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच महत्वपूर्ण सेतु बताया. उन्होंने बिम्सटेक के एजेंडे व क्षमता को और मजबूत करने हेतु आह्वान किया है. उन्होंने बिम्सटेक में संस्थान और क्षमता निर्माण की दिशा में हिंदुस्तान के नेतृत्व में कई पहलों की घोषणा भी की. इनमें आपदा प्रबंधन, सतत समुद्री परिवहन, पारंपरिक चिकित्सा और कृषि में अनुसंधान व प्रशिक्षण पर हिंदुस्तान में बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना शामिल है. उन्होंने युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक नये कार्यक्रम की भी घोषणा की, जिसके तहत पेशेवरों, छात्रों, शोधकर्ताओं, राजनयिकों और अन्य लोगों को प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी. उन्होंने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में क्षेत्रीय जरूरतों के आकलन के लिए हिंदुस्तान द्वारा एक पायलट अध्ययन और क्षेत्र में कैंसर देखभाल के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम की भी पेशकश की. उन्होंने बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना और हिंदुस्तान में हर वर्ष बिम्सटेक बिजनेस समिट आयोजित करने की भी पेशकश की. हिंदुस्तान इस वर्ष बिम्सटेक एथलेटिक्स मीट और 2027 में पहले बिम्सटेक स्पोर्ट्सों की मेजबानी भी करेगा. यह बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव की मेजबानी भी करेगा. क्षेत्र के युवाओं को करीब लाने के लिए प्रधानमंत्री ने यंग लीडर्स समिट, हैकाथॉन और यंग प्रोफेशनल विजिटर्स प्रोग्राम की घोषणा की.

पाकिस्तान के नकारात्मक रवैये से सार्क के मृतप्राय होने की पृष्ठभूमि में बिम्सटेक नये क्षेत्रीय समूह के रूप में उभरा है, जिसमें हिंदुस्तान एक प्रमुख शक्ति है, जहां क्षेत्र के विभिन्न देश अंतरिक्ष क्षेत्र, भुगतान प्रणाली, डिजिटलीकरण, औद्योगिकीकरण आदि में सहयोग के लिए हिंदुस्तान की ओर देख रहे हैं. यह हिंदुस्तान को इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का नया अवसर देता है, जहां चीन बुनियादी ढांचे और अन्य तरीकों से हावी होने की कोशिश कर रहा है. श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों की प्रधानमंत्री की यात्रा संकेत है कि हिंदुस्तान अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग विकसित करने के बारे में गंभीरता से सोच रहा है. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इसका भू-नेतृत्वक महत्व भी है. बिजनेस समिट, यंग लीडर्स समिट, बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना, स्पोर्ट्स आयोजन और ऐसे अन्य उपायों के रूप में बिम्सटेक देशों के साथ नियमित बातचीत, क्षेत्र के देशों के बीच आर्थिक सहयोग बेहतर करने में लंबा रास्ता तय कर सकती है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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