Vidur Niti: महात्मा विदुर महाहिंदुस्तान के उन चरित्रों में हैं, जिन्होंने धर्म, नीति और सत्य का जीवंत उदाहरण पेश किया. राजपरिवार में जन्म न लेने के बावजूद, उन्होंने केवल अपने ज्ञान और विवेक के बल पर हस्तिनापुर जैसे शक्तिशाली राज्य में प्रधानमंत्री का पद संभाला है. विदुर हमेशा न्याय और सच्चाई के पक्ष में खड़े रहे. उन्होंने राजा धृतराष्ट्र को भी बिना भय के कठोर सत्य सुनाया, क्योंकि उनके लिए धर्म सर्वोपरि था. यही साहस और नीति पर आधारित विचार आज “विदुर नीति” के रूप में विख्यात हैं. विदुर नीति कोई धार्मिक ग्रंथ मात्र नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की कला है, जो आज की जटिल दुनिया में भी प्रासंगिक है. यह हमें बताती है कि सच्चाई, विवेक और कर्तव्यनिष्ठा के साथ कोई भी व्यक्ति महानता की ऊंचाइयों को छू सकता है. एक श्लोक में महात्मा विदुर बताते हैं कि इस तरह के व्यक्ति दुनिया में बहुत ही शोभित होते हैं.
कठोर शब्दों का इस्तेमाल न करने वाला
महात्मा विदुर कहते हैं कि जिनकी वाणी बहुत ही मधुर होती है और व्यहवार बहुत ही सौम्य होता है. वे इस दुनिया में बहुत ही शोभा पाते हैं. इसलिए कहा जाता है कि इंसान को अपनी वाणी पर काबू रखना चाहिए. कठोर या अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन शब्दों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति हर जगह अपमानित होते हैं.
यह भी पढ़ें- महात्मा विदुर के चार अमूल्य सूत्र जो बदल सकते हैं आपका जीवन
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: अकेलेपन में छिपा है खतरा, इन 4 कामों से रहें दूर
दुष्टों लोगों का आदर न करने वाला
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति दुष्ट लोगों का आदर नहीं करते हैं, जरूरत के समय बुरे लोगों के सामने झुकते नहीं हैं. इस दुनिया में ऐसे लोगों की बहुत ही ज्यादा इज्जत होती है. ऐसे लोग बहुत ही गुणी प्रकृति के होते हैं.
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: जीवन में सफलता की तलाश है? अपनाइए महात्मा विदुर के ये 3 जीवन के सूत्र
Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. नया विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है.
The post विदुर नीति से सीखें कैसे बनें सम्माननीय और गुणी व्यक्ति appeared first on Naya Vichar.