हाई कमान ने घंटे भर के अंदर फैसला वापस लिया व प्रदेश अध्यक्ष विरेन सिंह को पद से हटा दिया
नया विचार पटना– नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने हिंदुस्तानीज जनता पार्टी को जोरदार झटका दिया है. जेडीयू ने बुधवार को मणिपुर की भाजपा नीत प्रशासन से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया. अब राज्य विधानसभा में जेडीयू का एकमात्र विधायक अब विपक्ष की बेंच पर बैठेगा. मणिपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने छह सीटें जीतीं, लेकिन चुनाव के कुछ महीनों बाद, पांच विधायक भाजपा में चले गए, जिससे सत्तारूढ़ दल की संख्या मजबूत हो गई. मणिपुर की जदयू इकाई के प्रमुख केश बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर घटनाक्रम की जानकारी दी है. जेडीयू के समर्थन वापसी की घटना कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी द्वारा पिछले साल नवंबर में समर्थन वापस लेने के कुछ ही महीनों के भीतर हुई है.
जेडीयू एमएलए को माना जाए विपक्षी विधायक
बिहार में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड की मणिपुर इकाई के पत्र में कहा गया है कि जेडीयू की मणिपुर इकाई प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य प्रशासन का समर्थन नहीं करती है. इसलिए हमारे एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को सदन में विपक्षी विधायक माना जाएगा. हालांकि, नीतीश कुमार ने बीजेपी प्रशासन से जदयू का समर्थन वापस लेने का निर्णय क्यों लिया, इसकी घोषणा अभी नहीं की गई है.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दबाव बना रही JDU
करीब दो सालों से हिंसा झेल रहे मणिपुर में BJP प्रशासन पहले से ही कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का दबाव झेल रही है. बिहार में इसी साल अक्टूबर के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं. नीतीश कुमार के इस फैसले के दिल्ली से लेकर बिहार तक कई मायने निकाले जाएंगे. JDU केंद्र और बिहार में BJP की प्रमुख सहयोगी पार्टी है. JDU के इस फैसले को सीट बंटवारे के लिए BJP पर दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जाएगा.
जेडीयू ने मणिपुर के राज्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र भेज दिया है.
जेडी(यू) के पीछे हटने के बावजूद उसके इस कदम से बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली प्रशासन की स्थिरता को तत्काल कोई खतरा होने की आशंका नहीं है. राज्य विधानसभा में मजबूत बहुमत रखने वाली भाजपा के बिना किसी महत्वपूर्ण व्यवधान के सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने की संभावना है.