नया विचार – हिंदुस्तान रत्न जननायक पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 101 वीं जयंती पर हिंदुस्तान के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को समस्तीपुर पहुंचे हैं। उनके साथ केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय गृह राज्य राज मंत्री नित्यानंद राय, स्थानीय सांसद शांभवी चौधरी भी मौजूद हैं। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं। उपराष्ट्रपति ने कर्पुरीग्राम जिला स्मृति भवन में कर्पूरी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और धर्म प्रार्थना में शामिल हुए। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने अंग वस्त्र लेकर, पुस्तक वॉइस आफ द वॉइसलेस भेंट की।
उनको कीर्तिमान प्राप्त है
जगदीप धनखड़ इसके बाद चरण कर्पूरी फुलेश्वरी महाविद्यालय परिसर में आयोजित कर्पूरी परिचर्चा में शामिल हुए। उपराष्ट्रपति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने पूरा जीवन जनता के लिए समर्पित रहा। वो लोगों के लिए जननायक हैं। विधानसभा चुनाव में उनको कीर्तिमान प्राप्त है। हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपना जीवन समाज के आसरे पर रहने वाले लोगों के लिए समर्पित किया।
पीएम मोदी की तारीफ की
आगे कहा कि आज तक बिहार में उतना विकास नहीं किया जितना विकास पिछले 10 सालों में हुआ है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम की तारीफ की। विकसित हिंदुस्तान एक सपना नहीं है, ये निश्चित होगा। 2047 में हिंदुस्तान आजादी की शताब्दी मना रहा होगा तब वह विकसित राष्ट्र होगा। हिंदुस्तान विश्वगुरु होगा। मैं युवाओं से कहना चाहूंगा कि आज आपलोगों के लिए सकारात्मक वातावरण है। प्रशासनी योजनाएं, नीतियां आपके पक्ष में हैं। धन की कोई कमी नहीं है। युवा अपनी आकांक्षा को पूरी कर सकते हैं। दुनिया हिंदुस्तान की ओर ही देख रही है।
रुद्राक्ष और चंदन के पेड़ लगाए
उपराष्ट्रपति ने रुद्राक्ष और चंदन के पेड़ लगाए। साथ ही वह कर्पूरी ठाकुर की वैसी ही झोपड़ी का जायजा लिया, जिस तरह की झोपड़ी में कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन व्यतीत हुआ था। इस झोपड़ी को कर्पूरी ठाकुर की याद में उनकी बेटी ने निर्माण कराया है।
वहीं, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पटना पहुंचने पर उनका स्वागत किया है।
झोपड़ी कर्पूरी ठाकुर की स्मृतियों से जुड़ी
बता दें कि इस जयंती समारोह को यादगार बनाने के लिए कर्पूरी ठाकुर की उस झोपड़ी को पुनः वैसा ही लुक दिया गया है, जैसी झोपड़ी में कर्पूरी ठाकुर ने अपना जीवन गुजारा था।
इस झोपड़ी में वैसे ही खाट रखी गई है। जैसी खाट कर्पूरी ठाकुर सोया करते थे। झोपड़ी में सिलबट्टा, आटा पीसने वाला जातां, मिट्टी के चूल्हे बनाए गए हैं। जिस समय वह झोपड़ी में रहते थे बिजली की व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं थी तो घर के अंदर रोशनी के लिए लालटेन के साथ ही ढिबरी भी रखी गई है।