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Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल 2025 को दोपहर 1.30 बजे पहलगाम में जब पर्यटकों पर आतंकवादियों ने हमला किया तब दो प्रमुख बातें हुई थी. एक तो आतंकवादियों ने सेना जैसी वर्दी पहनी थी और मास्क लगाया हुआ था. दूसरी यह कि उन्हें धर्म पूछकर और कलमा पढ़वाकर गोली मारी गई. पर्यटन के मौसम में अचानक कश्मीर के इस घटनाक्रम के बाद घाटी में रहने वाले या फिर वहां घूमने के लिए जाने वाले हिंदुओं में डर फैल गया है. सभी 1989 में शुरू हुए उस दौर को याद कर रहे हैं, जब कश्मीरी पंडितों को डरा-धमकाकर जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालना शुरू किया गया था. उन्हें घर छोड़कर जाने की धमकियां दी गई. ये सारा अभियान जेकेएलएफ और हिजबुल के नेतृत्व में किया गया. इनका साथ घाटी की आम जनता, खासतौर से युवाओं ने भी दिया. वो समय है और आज का समय है, घाटी में आज भी कश्मीरी पंडित वापस लौट नहीं पाए हैं.
याद आ गया 1989 का दौर
पहलगाम में आतंकियों के अटैक से ज्यादा धर्म पूछकर हत्या करने के तरीके ने दहशत फैलायी है. इससे एक बार फिर घाटी में हिंदुओं का जाने और रहने पर असर पड़ेगा. 1989 में जब कश्मीरों पंडितों को जम्मू-कश्मीर से भगाने का सिलसिला शुरू हुआ था, तब उन्हें पर्चे फेंककर, अखबारों के माध्यम से और मस्जिदों से घाटी छोड़ने की चेतावनी दी जा रही थी. इससे कश्मीरों पंडितों ने डर से वहां से पलायन शुरूकर दिया. लेकिन हथियारबंद दहशतगर्दों ने इसके बावजूद निरीह कश्मीरी पंडितों की हत्या की और डर फैलाया.
आर्टिकल-370 के हटने के बाद बदले थे हालात
जम्मू-कश्मीर से अगस्त 2019 में आर्टिकल-370 हटाने के बाद केंद्र प्रशासन को उम्मीद थी कि वहां हालात सामान्य हो जाएंगे. लेकिन हालात सामान्य होने आम चुनाव कराने में केंद्र प्रशासन को 5 साल लग गए. 2024 में विधानसभा चुनाव हुए. यहां नेशनल कांफ्रेंस की प्रशासन बनी और उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री. उम्मीद थी कि अपनी प्रशासन मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात सामान्य होंगे. वास्तव में हुआ भी ऐसा ही. घाटी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला और उनकी आर्थिक स्थितियां सुधरीं. जम्मू-कश्मीर टूरिज्म विभाग के अनुसार 2024 में कुल 2.35 करोड़ पर्यटक वहां पहुंचे थे. ये आंकड़ा 2020 के बाद तेजी से बढ़ा था. 2020 में जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 34 लाख पर्यटक पहुंचे थे. वहीं 2021 में 1.33 करोड़, 2022 में 1.88 करोड़, और 2023 में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2.11 करोड़ हो गई. आम प्रशासन बनने के बाद लगातार पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही थीं. लेकिन पहलगाम की घटना के बाद जम्मू-कश्मीर में छुट्टियां बिताने का अपना प्लान लोगों ने बदल दिया है. वहां के होटलों, शिकारों की 90 फीसदी बुकिंग कैंसिल की जा रही हैं.
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