Mulank 2 Lucky Gemstone: यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है, तो आपका मूलांक 2 है. यह अंक चंद्रमा से संबंधित है, जो भावनाओं, कल्पनाशक्ति और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है. चंद्रमा की शीतलता और कोमलता के साथ-साथ यह जल्दी अशांत भी हो सकता है. इसलिए, मूलांक 2 के व्यक्तियों को अक्सर मूड स्विंग्स, मानसिक अस्थिरता, डर या निर्णय लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में, एक उपयुक्त रत्न आपके जीवन की दिशा को बदल सकता है, जबकि एक गलत रत्न सब कुछ उलझा सकता है. इसलिए यह जानना आवश्यक है कि आपके लिए कौन सा रत्न शुभ है, जो चंद्रमा को मजबूत करेगा, और कौन सा रत्न आपके लिए अशुभ है, जो आपकी ऊर्जा को प्रभावित कर सकता है. जानिए मूलांक 2 के व्यक्तियों को कौन सा रत्न धारण करना चाहिए और किन रत्नों से बचना चाहिए और क्यों?
मुलांक 2 का अर्थ क्या है?
यदि आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है, तो आपका मुलांक 2 होगा. इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है.
चंद्रमा का स्वभाव किस प्रकार का होता है?
चंद्रमा एक ठंडा, नाजुक और संवेदनशील ग्रह है. यह मन, भावनाओं, कल्पना, संवेदनशीलता और शांति का प्रतीक माना जाता है. हालांकि, यदि यह अशुभ हो जाए, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर, चिड़चिड़ा, डरपोक या उलझनों में फंसा रह सकता है.
मुलांक 2 के लिए उपयुक्त रत्न मोती है, जो चंद्रमा का रत्न माना जाता है. यह चंद्रमा की शक्ति को बढ़ाता है, जिससे मन में शांति, भावनात्मक स्थिरता, और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. यह नींद और मानसिक तनाव की समस्याओं को भी दूर करता है.
कैसे पहनें?
इसे पहनने के लिए, चांदी की अंगूठी में सोमवार को दाएं हाथ की छोटी उंगली में पहनना शुभ होता है. पहनने से पहले इसे कच्चे दूध, गंगाजल और शुद्ध जल से शुद्ध करना चाहिए और “ॐ सों सोमाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए.
मूलांक 2 के लिए अशुभ रत्न
नीलम (Blue Sapphire) और लहसुनिया (Cat’s Eye)
क्यों नहीं पहनना चाहिए? ये रत्न क्रमशः शनि और केतु से संबंधित होते हैं, जो चंद्रमा के स्वभाव से एकदम विपरीत ग्रह हैं. चंद्रमा को शांति पसंद है, जबकि शनि और केतु गहराई, रहस्य, संघर्ष और कठोरता से जुड़े होते हैं. इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है. डर, बेचैनी, अवसाद या दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है. पारिवारिक और भावनात्मक रिश्तों में खटास आ सकती है.
कुछ जरूरी बातें
रत्न धारण करने से पहले कुंडली की सावधानीपूर्वक जांच अवश्य कराएं और किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह लें. यदि चंद्रमा पहले से ही कुंडली में प्रबल हो, तो कई बार मोती पहनने की आवश्यकता नहीं होती. केवल मूलांक के आधार पर रत्न पहनना उचित नहीं होता, बल्कि ग्रहों की स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए.
मूलांक 2 के जातकों के लिए “मोती” अत्यंत शुभ रत्न माना जाता है, क्योंकि यह उनके स्वभाव और उनके स्वामी ग्रह चंद्रमा से अच्छी तरह मेल खाता है. वहीं, नीलम और लहसुनिया जैसे रत्न इनके लिए अशुभ हो सकते हैं, क्योंकि ये चंद्रमा के प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. इसलिए किसी भी रत्न को पहनने से पहले विवेकपूर्ण निर्णय और योग्य सलाह अवश्य लें.
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