Chanakya Niti: आपने भी अक्सर इस बात को सुना होगा कि किसी भी व्यक्ति को संगति से पहचाना जाता है. इसलिए लोग हमेशा अच्छी संगति में रहने के लिए कहते हैं. सही लोगों का साथ हमारे जीवन को आगे बढ़ा सकता है और गलत लोगों का साथ जिंदगी को भी बिगाड़ सकता है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में रिश्तों के महत्व को गहराई से बताया है. आचार्य चाणक्य प्राचीन हिंदुस्तान के बुद्धिमान लोगों में से एक हैं और उनके द्वारा अर्थशास्त्र की रचना की गई थी. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के चौथे अध्याय के दूसरे श्लोक में संगति के फल के ऊपर अपनी राय दी है.
साधुम्यस्ते निवर्तन्ते पुत्रः मित्राणि बान्धवाः।
ये च तैः सह गन्तारस्तद्धर्मात्सुकृतं कुलम्॥
- इस श्लोक के अनुसार, कई लोग जैसे पुत्र, दोस्त और भाई साधु-संतों की संगति में नहीं रहते. आगे इस श्लोक में कहा गया है कि जो लोग संतों की संगति में रहते हैं वे अपने पूरे परिवार और कुल को धन्य कर देते हैं. साधु-संत की संगति और सेवा करने से अच्छा फल मिलता है.
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- आचार्य चाणक्य ने संगत पर जोर दिया है और अच्छी संगति के महत्व को उजागर किया है. लोग साधु-संतों की संगति से दूर रहते हैं मगर जो लोग संतों और विद्वानों की संगति में रहते हैं वे अपने साथ अपने परिवार का भी भला कर देते हैं. ऐसे लोग अपने परिवार का गौरव बढ़ाते हैं. ऐसा व्यक्ति पूरे परिवार और समाज के लिए आदर्श है.
- चाणक्य नीति के मुताबिक, सत्संगति व्यक्ति का हर समय साथ देने में सक्षम है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, मछली, कछुआ और चिड़िया अपने शिशु पर ध्यान देती है और उनकी देख-रेख करती है उसी तरह अच्छे लोगों की संगति भी जीवनभर आपका साथ निभाती है और मुश्किल घड़ी में साथ देने में सक्षम है. इसलिए व्यक्ति को सज्जन लोगों के साथ रहना चाहिए.
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