संवाददाता, दुमका सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने स्नातकोत्तर संताली विभाग की प्राध्यापिका डॉ शर्मिला सोरेन द्वारा लिखित एवं संपादित पुस्तक बाबूलाल मुर्मू ””आदिवासी”” का विमोचन किया. कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और प्राध्यापक उपस्थित थे. लेखिका डॉ शर्मिला सोरेन ने कहा कि बाबूलाल मुर्मू ””आदिवासी”” का संताली भाषा और साहित्य को पहचान दिलाने में अतुलनीय योगदान रहा है. वे न केवल प्रतिष्ठित साहित्यकार थे, बल्कि कुशल कलाकार, संगीतकार और गीतकार भी थे. संताली के विभिन्न प्रकार के गीतों के वे ज्ञाता थे. बांसुरी में विशेष रुचि थी. उन्होंने बताया कि बाबूलाल मुर्मू केवल संताली भाषा के ही नहीं, बल्कि हिंदी, बांग्ला, अंग्रेली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी दक्ष थे. उनकी कई रचनाएं आज विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल की गयीं हैं. वे अपने निजी जीवन में अत्यंत सरल थे और अपने वेतन का अधिकांश भाग साहित्य-सृजन और भाषा-संवर्धन में व्यय करते थे. आदिवासी समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. कुलपति ने डॉ सोरेन के कार्य की सराहना की. कहा कि अकादमिक जगत में इस प्रकार के साहित्यिक योगदान अत्यंत सराहनीय है. उन्होंने डॉ सोरेन को आगे भी लेखन कार्य जारी रखने के लिए प्रेरित किया. मौके पर विश्वविद्यालय के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ जैनेंद्र यादव, कुलसचिव डॉ राजीव कुमार, वित्त पदाधिकारी डॉ संजय कुमार सिन्हा, सहायक डीएसडब्ल्यू डॉ पूनम हेंब्रम, संताली विभागाध्यक्ष डॉ सुशील टुडू सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. सभी ने डॉ शर्मिला सोरेन के प्रयास की सराहना की.
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