विश्व नृत्य दिवस पर विशेष
देश-विदेश में परफॉर्म कर रहे शहर के नर्तक
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
एक समय था जब शहर की पहचान कथक नृत्यांगना थी. तीन दशक पहले शहर की नया टोला निवासी काजल, नीलम कुमार और डॉ रंजना प्रशासन ने कथक नृत्य में अपनी विशिष्टता के कारण जानी जाती थी. पं. बिरजू महाराज से नृत्य का प्रशिक्षण लेने के बाद शहर की कई नृत्यांगनाओं ने देश सहित विदेशों में परफॉर्म कर हिंदुस्तानीय संस्कृति की पहचान दिलायी, लेकिन अब शहर के नर्तक अपनी प्रतिभा से शहर को प्रतिष्ठा दिला रहे हैं. शहर के कई नर्तकों को देश-विदेश में कार्यक्रम परफॉर्म करने के लिये आमंत्रित किया जा रहा है. यहां ऐसे तीन नर्तकों के बारे में लिखा जा रहा है, जो नृत्य में एमए करने के बाद अब एक परफॉर्मर के रूप में चर्चित हो रहे हैं.
राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम रहे विकास
शहर के विकास पासवान इन दिनों अपने परफॉर्म को लेकर काफी चर्चित हैं. कथक से इन्होंने खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से एमए किया है. नृत्य की शुरुआत शिक्षा इन्होंने डॉ रंजन प्रशासन से ली. इसके बाद खैरागढ़ में नृत्यांगना मांडवी सिंह से प्रशिक्षण लिया. विकास बिहार, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में परफॉर्म कर चुके हैं. पिछले साल छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय नृत्य कला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया. विकास कहते हैं कि नृत्य ही उनकी मंजिल है. इसके जरिये देश का नाम रोशन करूं यही तमन्ना है.
रूस और इटली में भी परफॉर्म कर चुके हरेंद्र
शहर के हरेंद्र भूषण ने शहर से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पं. बिरजू महाराज से नृत्य का प्रशिक्षण लिया. वैशाली, राजगीर, ताज, उज्जैन और खजुराहो महोत्सव में के साथ नयी दिल्ली में आयोजित नुपूर कला महोत्सव में भी हिस्सा लिया. नृत्य में प्रवीण हरेंद्र नृत्यकला से एमए हैं, लेकिन बतौर परफॉर्मर इनकी पहचान अधिक है. पिछले दिनों हरेंद्र ने रूस और इटली में कथक की प्रस्तुति दी थी. हरेंद्र कहते हैं कि नृत्य का जुनून बचपन से था. बाद में उसी को कॅरियर बनाया और लगातार नृत्य का अभ्यास कर रहा हूं, यही मेरे मंजिल है.
देश के विभिन्न महोत्सवों में की प्रस्तुति
आयुष सिन्हा भी कथक में काफी चर्चित हैं. नृत्य से एमए करने के बाद आयुष लगातार कथक परफॉर्म कर रहे हैं. पिछले 12 वर्षों से नृत्य का प्रशिक्षण ले रहे हैं. देश के अनेक महोत्सवों में आयुष ने परफॉर्म किया है. झांसी, उज्जैन, राजगीर, नर्मदा और महुआ महोत्सव में आयुष ने परफाॅर्म कर काफी प्रसिद्धि बटोरी. आयुष कहते हैं कि घर में नृत्य का संस्कार रहा है. इस कारण बचपन से ही नृत्य में रुचि जग गयी. इस कारण बचपन से ही नृत्य सीखने लगा. अब नृत्य के क्षेत्र में ही अपनी पहचान बनाना चाहता हूं. इसके लिये लगातार मेहनत कर रहा हूं.
डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
The post कभी नृत्यांगनाओं से थी शहर की पहचान, अब नर्तक दिला रहे प्रतिष्ठा appeared first on Naya Vichar.