गालूडीह. घाटशिला प्रखंड की जोड़सा पंचायत स्थित छोलागोड़ा गांव के जाहेरथान में शुक्रवार को भूमिज समाज ने धूमधाम से सरहुल पर्व मनाया. मौके पर लाया (पुजारी) गुणधर सिंह, कुड़ुम दुर्योधन सिंह, हेमंत सिंह ने जाहेरथान में पूजा की. गांव व समाज की उन्नति और प्रगति की कामना की. जाहेर देवता का आह्वान कर प्रकृति से प्राप्त सखुआ (साल फूल) अर्पित किया. विभिन्न गांवों से पहुंचे सैकड़ों स्त्री-पुरुषों के बीच देवी-देवताओं के आशीर्वाद के रूप में सखुआ (साल फूल) वितरित किया गया.
स्त्रीओं ने देवी-देवताओं के आशीर्वाद के रूप में सखुआ फूल को अपने जुड़े में सजाया. पुरुषों ने फूल को अपने कान में सजाया. इसके बाद समाज के लोगों ने एक साथ बैठकर खिचड़ी खाकर सामाजिक चर्चा की. लाया गुणधर सिंह ने कहा कि आदिवासी समाज में सखुआ फूल को पवित्र पुष्प माना जाता है. इसे बाहा पर्व के दौरान सबसे पहले देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है. यह पर्व केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच गहरे संबंध का जीवंत प्रमाण है. यह समाज में सामूहिकता, श्रद्धा और प्राकृतिक संतुलन को संरक्षित करता है.
भूमिज समाज ने किया सामूहिक सरहूल नृत्य
ग्रामीणों ने जाहेरथान में नतमस्तक होकर अपने परिवार की उन्नति, प्रगति व सुख-शांति का आशीष मांगा. सूर्य ढलने से पूर्व ग्रामीणों ने मांदर और नगाड़े की थाप पर सैकड़ों स्त्रीओं और पुरुषों ने बाहा (सरहूल) नृत्य किया. देर रात तक नृत्य कर भूमिज समाज के लोगों ने सरहुल का आनंद लिया. नृत्य के लिए सुसुन दुरंग अखाड़ा तिरिलडीह और बड़ाखुर्शी सुंदरपुर अखाड़ा को आमंत्रित किया. मौके पर भूमिज भाषा के शिक्षक पुतुल सिंह सरदार, समाजसेवी हरीश चंद्र सिंह सरदार, ग्राम प्रधान जन्मेजय सिंह, तिलोचन सिंह, देबशरण सिंह, विजय सिंह, आतंग प्रसाद सिंह, सहदेव सिंह, बुधेश्वर सिंह, माधव सिंह, पद्मलोचन सिंह, रतन सिंह, संजय सिंह, मनमोहन सिंह, माणिक चंद्र सिंह, सदानंद सिंह, सच्चिदानंद सिंह आदि उपस्थित थे.
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