Jharkhand Village Story: कसमार (बोकारो), दीपक सवाल-झारखंड में भी ‘रावण की नगरी’ यानी लंका है. यह बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड में है. हालांकि इसका नाम भर लंका है. रामायण काल से यह बिल्कुल अलग है. यह गांव कलाकारों का है. यहां झूमर, छऊ नृत्य और नटवा की कई टीमें हैं. एक से बढ़कर एक कलाकार हैं. नामचीन कलाकार जगदीशचंद्र महतो का झूमर देखने लिए लोग उमड़ पड़ते हैं.
गांव में दिखती है झारखंडी संस्कृति की झलक
बोकारो के लंका गांव की अन्य कई विशेषताएं हैं. खासकर झारखंडी संस्कृति की झलक इस गांव में बखूबी देखी जा सकती है. जावा-करमा, टुसू से लेकर सोहराय समेत सभी झारखंडी पर्व-त्योहारों में यह गांव झारखंड की कला-संस्कृति का प्रतीक नजर आता है. हर कोई बढ़-चढ़ कर इसमें भाग लेता है.
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झूमर के नामचीन कलाकार हैं जगदीशचंद्र महतो
झूमर नृत्य, छऊ नृत्य और नटवा की भी कई टीमें लंका गांव में हैं. जगदीशचंद्र महतो झूमर के नामचीन कलाकार हैं. दूर-दूर तक इनकी प्रसिद्धि है. इनका कार्यक्रम देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं. इसके अलावा हरेलाल महतो, अमृत महतो, कार्तिक महतो, महेंद्र महतो, मनोज महतो, विजय महतो और रंगलाल महतो भी झूमर के मंजे कलाकार हैं. छऊ नृत्य में राजेश कालिंदी, मथुर महतो, मलय महतो और नारायण महतो का भी काफी नाम है.
कुड़मी बहुल गांव है लंका
बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड का यह गांव पश्चिम बंगाल की सीमा पर अवस्थित है. इसकी तीन दिशाएं दक्षिण, पश्चिम और पूरब में बंगाल सीमा है. लंका कुड़मी (महतो) बहुल गांव है. कुल आबादी में करीब 75 फीसदी आबादी कुड़मियों की है.
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