Indus Water Treaty : पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के के बाद सिंधु जल संधि को हिंदुस्तान ने निलंबित कर दिया. इसके बाद हिंदुस्तान को मिलने वाले पानी का अधिकतम उपयोग करने के प्रयासों के तहत केंद्र प्रशासन चिनाब नदी पर रणबीर नहर की लंबाई बढ़ाने की योजना पर विचार कर रही है. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अब तक हिंदुस्तान चिनाब से सीमित पानी का उपयोग करता रहा है जिसमें ज्यादातर सिंचाई के लिए होता है, लेकिन अब संधि के निलंबित होने पर इसका उपयोग, खासकर बिजली की मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में बढ़ाए जाने की गुंजाइश है.
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हिंदुस्तान नदियों पर अपनी मौजूदा जलविद्युत क्षमता को लगभग 3000 मेगावाट बढ़ाने की योजना बना रहा है. इसका इस्तेमाल पहले पाकिस्तान कर रहा था और जलविद्युत क्षमता बढ़ाने के संबंध में अध्ययन की योजना बनाई जा रही है. अधिकारी ने कहा, ‘‘एक प्रमुख योजना रणबीर नहर की लंबाई को 120 किलोमीटर तक बढ़ाने की है.’’ उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि बुनियादी ढांचे के निर्माण में समय लगता है, इसलिए सभी हितधारकों से प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया गया है.
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उन्होंने बताया कि इसके अलावा, कठुआ, रावी और परागवाल नहरों से गाद निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. साल 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों के पानी के वितरण और उपयोग से संबंधित है. लेकिन हिंदुस्तान ने पहलगाम हमले के बाद संधि को निलंबित करने का फैसला किया और तब से हिंदुस्तान कहता आ रहा है कि संधि तब तक निलंबित रहेगी ‘‘जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और स्थायी रूप से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करना नहीं छोड़ देता.’’
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