औरंगाबाद कार्यालय. उत्तर कोयल परियोजना अब साकार होने के चंद कदम पर पहुंच चुकी है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो एक साल के भीतर कुटकु डैम में फाटक लग जायेगा. गेट बनकर तैयार हो गया है. परियोजना का कार्य भी तेज गति से चल रहा है. बड़ी बात यह है कि परियोजना के अंतर्गत डूब क्षेत्र में आने वाले सात गांवों के 780 परिवारों के बीच मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है. प्रत्येक परिवार को 15 लाख रुपये के साथ-साथ गढ़वा जिले के विश्रामपुर में एक-एक एकड़ जमीन भी दी जा रही है. ये बातें प्रेसवार्ता के दौरान भाजपा के पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहीं. उन्होंने बताया कि डैम स्थल के समीप डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सात गांव के 780 परिवारों के बीच मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया शुरू है. प्रत्येक परिवार को पहली किस्त के रूप में 10 लाख रुपये दिये जा रहे है. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही जमीन के लिए दूसरी बार केंद्र प्रशासन द्वारा मुआवजा दिया जा रहा है. पहले भी मुआवजा दिया जा चुका है. यह ऐतिहासिक निर्णय है. इससे पहले कहीं भी दूसरी बार मुआवजा नहीं दिया गया है. मुआवजे की दूसरी किस्त तभी दी जायेगी, जब संबंधित किसान विश्रामपुर में दी जाने वाली जमीन पर काबिज हो जायेंगे. किसानों को विस्थापन होते ही डैम में गेट लगा दिया जायेगा. पलामू, गढवा, औरंगाबाद और गया के किसानों के लिए बहुप्रतिक्षित मांग बहुत जल्द पूरी होने वाली है. परियोजना में उनकी रही भूमिका, श्रेय लेने वाले बनेंगे हंसी के पात्र पूर्व सांसद ने कहा कि उत्तर कोयल परियोजना उनके लिए ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. उन्होंने पलामू, चतरा, गया, जहानाबाद के सांसदों के साथ परियोजना से संबंधित आवाज उठायी. संसद में कई बार ध्यान आकृष्ट कराया. शिष्टमंडल के माध्यम से लगातार परियोजना से संबंधित आवाज बुलंद की. 2017 में केंद्रीय मंत्री परिषद ने 1622 करोड़ की स्वीकृति दी. कार्य पूरा कराने के लिए ढाई साल का समय निर्धारित किया. 30 माह के अंदर कार्य पूरा नहीं होने की संभावना को देखते हुए पुन: समय बढ़ाया गया. प्रस्तावित राशि बढ़ायी गयी. 2456 करोड़ की स्वीकृति हिंदुस्तान प्रशासन ने दी. एक ही जमीन पर दूसरी बार मुआवजा देने का निर्णय हुआ. यह लिक से हटकर निर्णय था. ऐसे में हिंदुस्तान प्रशासन ने परियोजना को पूरा कराने के लिए 4078 करोड़ रुपये दिये. कार्य में प्रगति देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि परियोजना में उन्होंने ईमानदारी व तत्परता से भूमिका निभायी. अगर कोई इसका श्रेय ले रहा है, तो उसकी बुद्धि नहीं है. तमाम लोग जानते है कि कैसे परियोजना में प्रगति हो रही है. श्रेय लेने वाले हास्य के पात्र हो जायेंगे. पूर्व सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया और कहा कि अगर उनकी दृढ़ इच्छा नहीं होती तो परियोजना का कार्य पूरा नहीं होता. केंद्रीय विद्यालय की जमीन दिलाने में निभायी भूमिका, अब हुआ साकार औरंगाबाद और देवकुंड में केंद्रीय विद्यालय निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद अब जमीन की अड़चने दूर हो गयी है. पूर्व सांसद ने कहा कि 2009 में जब एमपी बने तो केंद्रीय विद्यालय खुलवाने का प्रयास किया. 2010 में औरंगाबाद में स्वीकृति मिली, लेकिन जमीन का अभाव होने की वजह से विद्यालय अपने मूर्त रूप में नहीं आया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट ने सोन नहर प्रमंडल की कॉलोनी के समीप तीन एकड़ 96 डिसमिल जमीन देकर भवन निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. मदनपुर को नगर पंचायत बनाये जाने पर पूर्व सांसद ने हर्ष जताया है. प्रेसवार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष विजेंद्र सिंह चंद्रवंशी, पार्षद अशोक कुमार सिंह, पूर्व उप प्रमुख मनीष राज पाठक मौजूद थे.
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